पाकुड़: आखिरकार मनीषा की जिद के आगे उसके माता-पिता को झुकना पड़ा. अपने साहस और आगे पढ़ने की ललक ने 9वीं की छात्रा मनीषा मड़ैया को जबरन बाल विवाह जैसी कुप्रथा से मुक्ति दिला दी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मनीषा के साहसिक कदम को लेकर न केवल उसे सम्मानित किया गया, बल्कि जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने उसे तेजस्विनी योजना का जिले का आइकॉन घोषित किया.
मनीषा ने बताया कि वह राजकीय उच्च विद्यालय डांगापाड़ा में 9वीं की पढ़ाई करती है. उसके माता-पिता ने बाल उम्र में ही उसका विवाह तय कर दिया था. जबकि वह आगे की पढ़ाई करना चाहती थी. मनीषा के पिता सोतीराम मड़ैया उस पर विवाह का दबाव बना रहे थे जिसका वो लगातार विरोध कर रही थी.
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वहीं, छात्रा के शादी से मना करने पर भी जब उसके माता-पिता ने उसकी नहीं सुनी, तो उसने चाइल्ड लाइन कोलब सेंटर का सहारा लिया और 1098 लोक कल्याण परिषद की ओर से संचालित चाइल्ड लाइन को आपबीती सुनाई. जिसके बाद चाइल्ड लाइन के सदस्य मनीषा के घर पहुंचे और उसके पिता सोतीराम मड़ैया की काउंसलिंग की. जिसके बाद उसके घरवालों ने बाल विवाह कराने की जिद छोड़ी.
इधर, मनीषा की आगे पढ़ाई को लेकर आईटीडीए निदेशक डॉ ताराचंद ने बताया कि छात्रा मनीषा की पढ़ाई के लिए सरकार हर वह सुविधा मुहैया करायी जाएगी ताकि वे आगे की पढ़ाई कर सके.