पाकुड़: राज्य सरकार (state government) के निर्देश पर पाकुड़ प्रशासन (pakur administration) संभावित तीसरी लहर से निपटने को लेकर मुकम्मल तैयारी में जुटा है. सरकार तीसरी लहर से निपटने का दावा भी कर रही है, लेकिन पाकुड़ जिले में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं, बल्कि सामान्य डॉक्टरों की भी कमी है. स्थिति यह है कि जिले में डॉक्टरों के स्वीकृत 99 पद हैं, जिसके विरुद्ध सिर्फ 23 डॉक्टर पदस्थापित हैं.
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शिशु वार्ड (child ward) की आधारभूत संरचना विकसित करने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. तीसरे लहर को ध्यान में रखते हुए चाइल्ड फ्रेंडली वार्ड बनाया गया है. इस वार्ड में बच्चों की समुचित इलाज की व्यवस्था के साथ-साथ घर जैसा माहौल देने के लिए पेंटिंग और कार्टून से दीवारों को सजाया गया है लेकिन शिशु वार्ड में शिशु रोग विशेषज्ञ(pediatrician) डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई है. स्थिति यह है कि तीसरी लहर आने से पहले ही लोग डरने लगे हैं.
पदस्थापन के बाद से गायब हैं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर
झारखंड राज्य बनने के बाद से अब तक आदिवासी बहुल पाकुड़ जिले में चाइल्ड स्पेशलिस्ट के पदस्थापन के मामले में उपेक्षित रहा है. चार माह पहले ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पहल पर सरकार की ओर से शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ तरुण कुमार की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में की.
डॉ तरुण कुमार पदभार ग्रहण करने के बाद कभी सदर अस्पताल नहीं पहुंचे. स्थिति यह है कि डॉ तरुण कहां है, सरकार की ओर से आज तक खोज खबर नहीं ली गई. जब सरकार ही शिशु रोग विशेषज्ञ के पदस्थापन में अनदेखी कर रही है, तो फिर कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से लड़ने में कैसे कामयाब होंगे.
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चाइल्ड फ्रेंडली बनाया गया वार्ड
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री कांग्रेस कोटे से है. ग्रामीण विकास मंत्री की पहल पर शिशु रोग विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति की गई जो व्यवस्था को ठेंगा दिखाकर गायब हैं. चाइल्ड फ्रेंडली वार्ड बनकर तैयार है. संक्रमित बच्चों के समुचित इलाज के साथ उनके मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी गई है. इतना ही नही, ऑक्सीजन का भी इंतजाम कर दिया गया है, ताकि स्थिति भयावह नहीं बनें.
सरकार से की गई है मांग
सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान कहते हैं कि शिशु रोग विशेषज्ञ जिले में नहीं है, लेकिन सरकार से चाइल्ड स्पेशलिस्ट की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से निपटने को लेकर जिले में पदस्थ चिकित्सकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा.