पाकुड़: झारखंड राज्य के अंतिम छोर पर बसे पाकुड़ जिले को गोरखधंधा करने वाले लोगों ने सेफ जोन बना लिया है. यही वजह है कि सरकार के नियम कानून नहीं, बल्कि खुद के बनाए कानून के हिसाब से यहां काम होता है. ऐसा ही कुछ इन दिनों जिले में हो रहा है.
रेडियम रिफ्लेक्टर लगाने के नाम पर गोरखधंधा
कोयला, बालू और पत्थर के अवैध कारोबार के बाद अब पाकुड़ जिले में रेडियम रिफ्लेक्टर लगाने के नाम पर गोरखधंधा शुरू हुआ है. इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहा मानव जीवन फाउंडेशन नामक संस्था और इसका सहयोग जिले की पुलिस कर रही है. जिले को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाली महेशपुर-सोनारपाड़ा मुख्य सड़क पर कोविड-19 के तहत बनाया गया चेक पोस्ट के निकट दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों पर रोड सेफ्टी रेडियम रिफ्लेक्टर लगाने के एवज में 50 से 100 रुपये की वसूली की जा रही है. रेडियम रिफ्लेक्टर लगाने वाली संस्था को सुरक्षा का हवाला देते हुए पुलिस के जवान भी उपलब्ध कराए गए हैं. जवानों की मौजूदगी के कारण मोटरसाइकिल चालक हो या अन्य वाहन चालकों को मानव जीवन फाउंडेशन के कर्मियों को मजबूरन पैसा देना पड़ रहा है.
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रोड सेफ्टी स्टैंडर्ड का अनुपालन
संस्था के ही एक सदस्य धर्मेंद्र मिश्र का कहना है कि सरकार के निर्देश पर ही वो रेडियम रिफ्लेक्टर लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पाकुड़ एसपी की ओर से सुरक्षा मुहैया कराई गई है. इस मामले में एसपी मणिलाल मंडल ने फोन पर बताया कि भारत सरकार के गाइडलाइन के आधार पर रोड सेफ्टी स्टैंडर्ड का अनुपालन किया जाना है इसलिए हमने सुरक्षा दिया है, पर यह वॉलिंटियरिंग करना है. परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, विभाग ने 4 एजेंसियों को टेंडर दिया है और ट्रेड लाइसेंस जब तक नहीं मिलेगा, तब तक रेडियम रिफ्लेक्टर लगाने का काम किया जा सकता है.
फिलहाल, जो वसूली की जा रही है, वह पूरी तरीके से अवैध है. डीसी कुलदीप चौधरी ने बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही जांच का निर्देश जिला परिवहन पदाधिकारी और अनुमंडल पदाधिकारी को दिया गया है. डीसी ने कहा कि जांच के उपरांत वसूली करने वाले संबंधित संस्था के प्रतिनिधियों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.