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283 साल पुराने रथ यात्रा पर कोरोना का असर ! लाखों रुपए का कारोबार होगा प्रभावित - 283 year old chariot in Pakur

पाकुड़ जिला मुख्यालय में रथ मेला राजा पृथ्वी चंद्र शाही के शासनकाल से अब तक लगता आ रहा है, लेकिन इस बार कोरोना की नजर इस मेले पर गयी है. यात्रा को दो दिन शेष बचे हैं और रथ मेला मैदान में कोई चहल पहल नहीं शुरु हुई है. रथ मेला नहीं लगने के कारण लाखों रुपए का कारोबार तो प्रभावित होगा ही साथ ही वर्षों पुरानी चली आ रही परंपरा का भी लोग अनुपालन नहीं कर पाएंगे.

rath mela will not be held in Pakur
पाकुड़ में नहीं लगेगा रथ मेला
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Published : Jun 21, 2020, 2:59 PM IST

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर जारी लॉकडाउन और अनलॉक वन का असर इस बार 283 साल पुरानी ऐतिहासिक पाकुड़ की रथ मेला पर भी पड़ने वाला है. कोरोना काल में पाकुड़ में रथ यात्रा नहीं लगेगा. रथ मेले की चर्चा आम सहित खास लोगों में अभी से होने लगी है. बता दें कि संथाल परगना प्रमंडल के दुमका का हिजला मेला, गोड्डा का गांधी मेला और पाकुड़ जिले का रथ मेला विख्यात है.

दखें स्पेशल स्टोरी
पाकुड़ जिला मुख्यालय में रथ मेला राजा पृथ्वी चंद्र शाही के शासनकाल से अब तक लगता आ रहा है लेकिन इस बार कोरोना की नजर इस मेले पर गयी है. रथयात्रा के दौरान न तो जिला मुख्यालय में भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र की यात्रा निकलेगी और न ही नगर थाने के सामने रथ मेला मैदान में एक महीने से ज्यादा दिनों तक चलने वाला रथ मेला ही लगेगा. रथयात्रा को दो दिन शेष बचे हैं और रथ मेला मैदान में कोई चहल-पहल नहीं शुरु हुई है. न ही दुकानें लगाने वाले दुकानदार पहुंचे हैं और न ही मनोरंजन के समान. श्रद्धालु इस बार विश्वव्यापी महामारी कोरोना के चलते नित्य काली मंदिर के सामने स्थित मैदान में रथ पर सवार अपने इष्ट देवता की प्रतिमा का दर्शन और पूजन कर सकेंगे. शर्त सिर्फ यही है कि सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करना. रथ मेला नहीं लगने के कारण लाखों रुपए का कारोबार तो प्रभावित होगा ही साथ ही वर्षों से चली आ रही परंपरा का भी लोग अनुपालन नहीं कर पाएंगे.

ये भी पढ़ें- आज है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, जानें इसका इतिहास

बता दें कि वर्षों से चली आ रही रथ मेला में जिले के अलावे राज्य के निकटवर्ती दूसरे जिले सहित पश्चिम बंगाल से भी हजारों श्रद्धालु रथयात्रा में हिस्सा लेने एवं रथ मेला का आनंद उठाने पूरे परिवार के साथ हर वर्ष पहुंचते हैं. पहली बार रथ मेला नहीं लगने और रथयात्रा नहीं निकाले जाने की वजह से श्रद्धालुओं का आना यहां वर्षो की अपेक्षा कम होगा. लॉकडाउन लागू होने के बाद से सड़क और रेल मार्ग पर यातायात पूरी तरह प्रभावित हुए हैं. लोग एक स्थान से दूसरे स्थान आने जाने के लिए सिर्फ चारपहिया वाहन का सहारा ले पा रहे हैं. बसों का पहिया जहां रुका हुआ है तो रेल पटरियों पर रेलगाड़ियों के चक्के नहीं दौड़ रहे हैं. यदि दोनों मार्गों पर पहिया दौड़ता तो कम से कम रथयात्रा के मौके पर पूजा अर्चना करने कम संख्या में ही सही श्रद्धालु जिला मुख्यालय जरूर पहुंचते.

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर जारी लॉकडाउन और अनलॉक वन का असर इस बार 283 साल पुरानी ऐतिहासिक पाकुड़ की रथ मेला पर भी पड़ने वाला है. कोरोना काल में पाकुड़ में रथ यात्रा नहीं लगेगा. रथ मेले की चर्चा आम सहित खास लोगों में अभी से होने लगी है. बता दें कि संथाल परगना प्रमंडल के दुमका का हिजला मेला, गोड्डा का गांधी मेला और पाकुड़ जिले का रथ मेला विख्यात है.

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पाकुड़ जिला मुख्यालय में रथ मेला राजा पृथ्वी चंद्र शाही के शासनकाल से अब तक लगता आ रहा है लेकिन इस बार कोरोना की नजर इस मेले पर गयी है. रथयात्रा के दौरान न तो जिला मुख्यालय में भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र की यात्रा निकलेगी और न ही नगर थाने के सामने रथ मेला मैदान में एक महीने से ज्यादा दिनों तक चलने वाला रथ मेला ही लगेगा. रथयात्रा को दो दिन शेष बचे हैं और रथ मेला मैदान में कोई चहल-पहल नहीं शुरु हुई है. न ही दुकानें लगाने वाले दुकानदार पहुंचे हैं और न ही मनोरंजन के समान. श्रद्धालु इस बार विश्वव्यापी महामारी कोरोना के चलते नित्य काली मंदिर के सामने स्थित मैदान में रथ पर सवार अपने इष्ट देवता की प्रतिमा का दर्शन और पूजन कर सकेंगे. शर्त सिर्फ यही है कि सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करना. रथ मेला नहीं लगने के कारण लाखों रुपए का कारोबार तो प्रभावित होगा ही साथ ही वर्षों से चली आ रही परंपरा का भी लोग अनुपालन नहीं कर पाएंगे.

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बता दें कि वर्षों से चली आ रही रथ मेला में जिले के अलावे राज्य के निकटवर्ती दूसरे जिले सहित पश्चिम बंगाल से भी हजारों श्रद्धालु रथयात्रा में हिस्सा लेने एवं रथ मेला का आनंद उठाने पूरे परिवार के साथ हर वर्ष पहुंचते हैं. पहली बार रथ मेला नहीं लगने और रथयात्रा नहीं निकाले जाने की वजह से श्रद्धालुओं का आना यहां वर्षो की अपेक्षा कम होगा. लॉकडाउन लागू होने के बाद से सड़क और रेल मार्ग पर यातायात पूरी तरह प्रभावित हुए हैं. लोग एक स्थान से दूसरे स्थान आने जाने के लिए सिर्फ चारपहिया वाहन का सहारा ले पा रहे हैं. बसों का पहिया जहां रुका हुआ है तो रेल पटरियों पर रेलगाड़ियों के चक्के नहीं दौड़ रहे हैं. यदि दोनों मार्गों पर पहिया दौड़ता तो कम से कम रथयात्रा के मौके पर पूजा अर्चना करने कम संख्या में ही सही श्रद्धालु जिला मुख्यालय जरूर पहुंचते.

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