पाकुड़: राज्य में बदलाव के लिए बनी हेमंत सरकार के शासनकाल में आदिवासी और पहाड़िया को इलाज के लिए दर-दर भटकने को विवश होना पड़ रहा है. राज्य के मंत्री आलमगीर आलम ने गर्भवती महिलाओं को निशुल्क सेवा मुहैया कराने के लिए जिस डिजिटल अल्ट्रासाउंड यूनिट का उद्घाटन बीते 4 दिन पूर्व किया था, उसका भी लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
वहीं, बीते 23 जनवरी को दुली को प्रसव पीड़ा हुई और रक्तस्राव होने लगा. परिजनों ने सबसे पहले उसे अमड़ापाड़ा के ही स्वास्थ्य केंद्र लाया. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की वजह से उसका प्राथमिक उपचार किया गया और एंबुलेंस से सदर अस्पताल भिजवा दिया गया. सदर अस्पताल में दुली की स्थिति देख चिकित्सकों ने अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर ले जाने की सलाह दे दी.
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दुली को लेकर परिजन जिला मुख्यालय ही इधर-उधर भटकते रहे और थक हार कर दूली के भाई श्रीकांत पहाड़िया ने मामले की जानकारी डीसी को दी. डीसी ने सिविल सर्जन को दूली को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया. सिविल सर्जन ने अल्ट्रासाउंड के लिए भटक रहे दूरी और उसके परिजनों को सदर अस्पताल बुलवाया और दोबारा भर्ती भी करवाया पर रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण इसकी जांच नहीं हो पाई क्योंकि रेडियोलॉजी सदर अस्पताल में पदस्थापित नहीं है और न ही पीपी मोड पर बहाल की गई.
डिजिटल अल्ट्रासाउंड यूनिट में रेडियोलॉजिस्ट है, इसलिए उपाधीक्षक एसके झा ने दूली के परिजनों को पश्चिम बंगाल ले जाने की सलाह दी और एंबुलेंस भी मुहैया कराया पर आदिम जनजाति पहाड़िया गर्भवती महिला के परिजनों के पैसे नहीं थे कि वह उसे बाहर ले जा सके. दुली के भाई श्रीकांत पहाड़िया ने बताया कि अमड़ापाड़ा सीएससी से दूली को जिस एंबुलेंस से लाया गया था, उसके कर्मियों ने पहले उनसे 100 रुपए लिए और जब जांच के लिए सदर अस्पताल में चिकित्सकों ने पर्ची थमा दी.
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वहां, जांच के नाम पर 350 रुपए लिए, उन्होंने बताया कि हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि उसका इलाज किसी निजी नर्सिंग होम में करा सके. फिलहाल, दुली को लेकर उसके परिजन पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट से सदर अस्पताल लौट आया है और बेहतर इलाज के लिए एक उदाहरण की तलाश कर रहा है.
इस मामले में उपाधीक्षक एसके झा ने बताया कि दूली का मामला मेरे संज्ञान में है. डॉ झा ने बताया कि दूली मामले को सुलझाने के लिए पूरा प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां गायनोलॉजिस्ट ने अल्ट्रासाउंड के लिए मरीज के परिजनों को परामर्श दिया क्योंकि यह सीजर का मामला है. डॉक्टर ने बताया कि पीपी मोड पर सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड है पर रेडियोलॉजिस्ट नहीं रहने के कारण रात में गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया.
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उन्होंने बताया कि शुक्रवार को एंबुलेंस मंगाकर रामपुरहाट अल्ट्रासाउंड कराने के लिए दूली को ले जाने का प्रयास किया गया पर अब न तो मरीज और न ही उसके परिजन जाने को तैयार हुए. डॉ झा ने यह भी बताया की सदर अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट पदस्थापित नहीं है और न ही जिस संस्था को पीपी मोड पर अल्ट्रासाउंड की जिम्मेदारी दी गई है, उसके रेडियोलोजिस्ट है.
बता दें कि बीते 21 जनवरी को राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, पाकुड़ डीसी कुलदीप चौधरी सहित कई आला अधिकारियों ने सदर अस्पताल में डिजिटल अल्ट्रासाउंड यूनिट का उद्घाटन किया था और मंत्री श्री आलम ने अपने संबोधन में कहा था कि अब जिले के गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर जाना नहीं पड़ेगा और समय पर इलाज भी हो पाएगा.