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बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग, सालों से इस समस्या से जूझ रहे 16 गांव के लोग - ईटीवी झारखंड न्यूज

पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं, आलम ये है कि लोगों को खेती करने  का तो दूर पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है. लोग पेयजल की समस्याओं का निदान के लिए  किसी उद्धारक की वाट जोह रहा है. महेशपुर प्रखंड में 16 गांव हैं जहां आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया की आबादी सबसे ज्यादा है, यहां पर पानी की घोर समस्या है.

पानी की समस्या से लोग परेशान
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Published : Jun 29, 2019, 12:37 PM IST

पाकुड़: राज्य के सबसे पिछड़ा जिला पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं, आलम ये है कि लोगों को खेती करने का तो दूर पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है. लोग पेयजल की समस्याओं का निदान के लिए किसी उद्धारक की वाट जोह रहा है.

पानी को तरस रहे लोग, देखें पूरी खबर

राज्य सरकार पानी, बिजली, सड़क की समस्या से लोगों को निजात दिलाने का लगातार दावा करती है, इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है, लेकिन पाकुड़ में दर्जनों गांव आजादी के बाद भी पीने के दो बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. महेशपुर प्रखंड के लोगों ठगे महसूस करते हैं, उनका कहना है कि चुनाव आने के वक्त सभी पार्टी के नेता आते हैं, कई वादे करते हैं, लेकिन अबतक किसी अपने वादों को पूरा नहीं किया.

महेशपुर प्रखंड में 16 गांव हैं जहां आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया की आबादी सबसे ज्यादा है. गांव के अधिकांश महिला और पुरूष मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. पंचायत के सभी गांवों में कई साल पहले 70 चापानल लगाया गया था, लेकिन अब सिर्फ 10 चापानल ऐसे हैं जिससे गंदा पानी आता है. गांव के लोगों को पानी के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. नारायणटोला के पूराने कुएं की स्थिति भी बद से बदतर है. कुआं इतना जर्जर हो गया है कि लोग दुर्घटना के डर से पानी भरने नहीं आते हैं.

हाल में ही राज्य के मुख्यमंत्री ने 14वें वित्त आयोग की राशि से गांव में पेयजलापूर्ति व्यवस्था के लिए सभी पंचायतों के मुखिया को पांच लाख रूपये तक की योजना की स्वीकृति देने की छुट दी है, लेकिन योजना अबतक धरातल पर नहीं उतर पाई है.

पाकुड़: राज्य के सबसे पिछड़ा जिला पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं, आलम ये है कि लोगों को खेती करने का तो दूर पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है. लोग पेयजल की समस्याओं का निदान के लिए किसी उद्धारक की वाट जोह रहा है.

पानी को तरस रहे लोग, देखें पूरी खबर

राज्य सरकार पानी, बिजली, सड़क की समस्या से लोगों को निजात दिलाने का लगातार दावा करती है, इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है, लेकिन पाकुड़ में दर्जनों गांव आजादी के बाद भी पीने के दो बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. महेशपुर प्रखंड के लोगों ठगे महसूस करते हैं, उनका कहना है कि चुनाव आने के वक्त सभी पार्टी के नेता आते हैं, कई वादे करते हैं, लेकिन अबतक किसी अपने वादों को पूरा नहीं किया.

महेशपुर प्रखंड में 16 गांव हैं जहां आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया की आबादी सबसे ज्यादा है. गांव के अधिकांश महिला और पुरूष मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. पंचायत के सभी गांवों में कई साल पहले 70 चापानल लगाया गया था, लेकिन अब सिर्फ 10 चापानल ऐसे हैं जिससे गंदा पानी आता है. गांव के लोगों को पानी के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. नारायणटोला के पूराने कुएं की स्थिति भी बद से बदतर है. कुआं इतना जर्जर हो गया है कि लोग दुर्घटना के डर से पानी भरने नहीं आते हैं.

हाल में ही राज्य के मुख्यमंत्री ने 14वें वित्त आयोग की राशि से गांव में पेयजलापूर्ति व्यवस्था के लिए सभी पंचायतों के मुखिया को पांच लाख रूपये तक की योजना की स्वीकृति देने की छुट दी है, लेकिन योजना अबतक धरातल पर नहीं उतर पाई है.

Intro:बाइट : सामुएल हेम्ब्रम, ग्रामीण
बाइट : मीली मुर्मू, ग्रामीण
बाइट : नरेश मरांडी, वार्ड सदस्य
बाइट : ज्योति सोरेन, मुखिया

पाकुड़ : एक ओर देश जहां आजादी की 75 वीं वर्षगांठ धुमधाम से मनाने एवं देश में रह रहे लोगो को आजादी की वास्तविकता का अहसास कराने की तैयारियो में जुटा हुआ है वही दुसरी ओर झारखंड के सबसे पिछड़े जिले पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के दर्जनो गांवो के लोग पेयजल समस्या से आजादी पाने के लिए उद्धारक की वाट जोह रहे है।



Body:राज्य सरकार एवं प्रशासन पानी, बिजली, सड़क की समस्या से लोगो को निजात दिलाने का लाख दावा करे पर महेशपुर प्रखंड के शहरग्राम पंचायत के दर्जनो गांवो में रह रहे लोगो की शुद्ध पीने का पानी पाने के लिए रोज की जा रही मसक्कत सरकारी दावों की पोल खोल रहा है। इस पंचायत के लोग सत्ता हो या विपक्ष सभी को जनता की सेवा का मौके दिया पर इनकी नियती कहें या जनप्रतिनिधियो की वादाखिलाफी व उदासिनता इन्हे शुद्ध पेयजल के लिए सारा कामधाम छोड़कर रोज लंबी दुरी तय करनी पड़ रही है।

जिले के महेशपुर प्रखंड के शहरग्राम पंचायत में नारायणटोला, चिलगांव,धोवाडांगा, भीमपुर, कालुपाड़ा, शाहरग्राम, पीपरजोड़ी, अमलागाछी, टांगीदाहा, कुसुमडांगा, जीयापानी, कदमगाछी, पोडरा, तालपहाड़ी, खेरीबाड़ी एवं अमलापाड़ा कुल 16 गांव है। जहां आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया की आबादी ज्यादा है। गांव के अधिकांश महिला व पुरूष मजदूरी तबके के है। इस पंचायत के सभी गांवो में वर्षो पूर्व चापानल का अधिष्ठापन किया गया। गाड़े गये 70 चापानलो में से 60 ने वर्षो से पानी देना बंद कर दिया है। पेयजल के मामले में इस पंचायत में रह रहे लोगो की स्थिति यह है कि लंबी दुरी तय कर गरमी के मौसम में दुसरे गांव में पीने का पानी लेने जाना पड़ता है और इस दौरान एक गांव के दुसरे गांव के लोगो से झंझट भी होता है।
गरमी के इस मौसम में सैकड़ो ग्रामीणो को नारायणटोला का पुराने कुए का पानी उनकी प्यास बुझाने का काम कर रहा है। निंद खुलते ही रोज गांव की महिलाए हो, बच्चियां हो या पुरूष बर्तन लेकर पीने का पानी लेने के लिए पुराने कुए पर पहुंच रहे है।

नारायणटोला के पूराने कुए की स्थिति ऐसी है कि यदि थोड़ी सी चुक हुई तो सावधानी हटी की दुर्घटना घटी वाली कहावत चरितार्थ होने में देर नही लगेगी। कड़ाके की धुप के बीच गांव के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए पुराने कुए का सहारा ले रहे है। ग्रामीणो में पेयजल समस्या को लेकर यह भी चर्चा है कि जिस सोंच के साथ झारखंड राज्य अलग हुआ यदि शासन और प्रशासन में बैठे लोग संवेदनशील होते तो उन्हे खासकर पेयजल समस्या के लिए दो चार नही होना पड़ता।


Conclusion:हाल में ही राज्य के मुख्यमंत्री ने 14 वें वित्त आयोग की राशि से गांव में पेयजलापूर्ति व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए सोलर संचालित जलापूर्ति की योजना को धरातल पर उतारने के लिए पंचायतो के मुखिया को पांच लाख रूपये तक की योजना की स्वीकृति देने की छुट दी है।
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