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जो बच्चे लोकतंत्र मजबूती के लिए निभा रहे भूमिका उन्हें रोज स्कूल पहुंचाने में प्रशासन है नाकाम

पाकुड़ में लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार और प्रशासनिक तैयारी जोरों पर है. लोगों को जागरूक करने के लिए बच्चों द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन शासन प्रशासन इन्हें नियमित स्कूल की चौखट तक पहुंचाने में सफल साबित नहीं हो पाया.

स्कूली बच्चे
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Published : Apr 24, 2019, 2:08 PM IST

पाकुड़: जिले में मतदाताओं की मतदान में शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बच्चों की मदद ली जा रही है. बच्चे लगातार मतदाता जागरूकता अभियान से लोगों को जागरूक कर रहे है. लेकिन शासन प्रशासन इन्हें नियमित स्कूल की चौखट तक पहुंचाने में सफल साबित नहीं हो पाया.

जानकारी देते जोहन हेम्ब्रम, शिक्षक

ये भी पढें-पलामू में महागठबंधन की धुंआधार चुनावी सभा, तेजस्वी, मांझी और कुशवाहा मांगेंगे वोट

लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार और प्रशासनिक तैयारी जोरों पर है. इन तैयारियों में जिले के स्कूली बच्चे भी प्रशासन को भरपूर मदद कर रहे हैं. ताकि गांव और शहर क्षेत्र में रहने वाले लोग स्कूली बच्चों के अभिभावक बूथों पर जाकर शत प्रतिशत मतदान कर सके. प्रशासन के निर्देश पर स्कूली बच्चे जागरूकता रैली और खेलकूद प्रतियोगिता के माध्यम से इन दिनों मतदाता जागरूकता अभियान का एक हिस्सा बने हुए हैं.

आज भी ऐसे सरकारी स्कूल है जहां शत-प्रतिशत नामांकित बच्चे पढ़ने नहीं जा रहे हैं. सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार, ड्राप आउट बच्चों को स्कूल से जोड़ने, मध्यान भोजन का संचालन, शैक्षणिक स्तर को सुधार के लिए बेसलाइन सर्वे के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है.

शिक्षक जहां बच्चों की अनुपस्थिति के लिए सरकार के कार्यों में उन्हें शामिल करने की नीति को दोषी करार दे रहे है. वहीं, गांव के बच्चों के अभिभावक सरकार की नीतियों को. अधिकांश ग्रामीण इलाकों में संचालित स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति का 50% भी नहीं कर पा रहा है.

जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी ने कहा कि शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों की उपस्थिति के लिए बच्चों के अभिभावक के साथ बैठक करें. उन्होंने बताया कि ऐसे भी अभिभावक हैं जो बैठक में हिस्सा लेने नहीं आते हैं. ऐसे में उन्हें समझाने की आवश्यकता है.

पाकुड़: जिले में मतदाताओं की मतदान में शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बच्चों की मदद ली जा रही है. बच्चे लगातार मतदाता जागरूकता अभियान से लोगों को जागरूक कर रहे है. लेकिन शासन प्रशासन इन्हें नियमित स्कूल की चौखट तक पहुंचाने में सफल साबित नहीं हो पाया.

जानकारी देते जोहन हेम्ब्रम, शिक्षक

ये भी पढें-पलामू में महागठबंधन की धुंआधार चुनावी सभा, तेजस्वी, मांझी और कुशवाहा मांगेंगे वोट

लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार और प्रशासनिक तैयारी जोरों पर है. इन तैयारियों में जिले के स्कूली बच्चे भी प्रशासन को भरपूर मदद कर रहे हैं. ताकि गांव और शहर क्षेत्र में रहने वाले लोग स्कूली बच्चों के अभिभावक बूथों पर जाकर शत प्रतिशत मतदान कर सके. प्रशासन के निर्देश पर स्कूली बच्चे जागरूकता रैली और खेलकूद प्रतियोगिता के माध्यम से इन दिनों मतदाता जागरूकता अभियान का एक हिस्सा बने हुए हैं.

आज भी ऐसे सरकारी स्कूल है जहां शत-प्रतिशत नामांकित बच्चे पढ़ने नहीं जा रहे हैं. सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार, ड्राप आउट बच्चों को स्कूल से जोड़ने, मध्यान भोजन का संचालन, शैक्षणिक स्तर को सुधार के लिए बेसलाइन सर्वे के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है.

शिक्षक जहां बच्चों की अनुपस्थिति के लिए सरकार के कार्यों में उन्हें शामिल करने की नीति को दोषी करार दे रहे है. वहीं, गांव के बच्चों के अभिभावक सरकार की नीतियों को. अधिकांश ग्रामीण इलाकों में संचालित स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति का 50% भी नहीं कर पा रहा है.

जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी ने कहा कि शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों की उपस्थिति के लिए बच्चों के अभिभावक के साथ बैठक करें. उन्होंने बताया कि ऐसे भी अभिभावक हैं जो बैठक में हिस्सा लेने नहीं आते हैं. ऐसे में उन्हें समझाने की आवश्यकता है.

Intro:बाइट : जोहन हेम्ब्रम, शिक्षक
बाइट : रजनी देवी, जिला शिक्षा पदाधिकारी
पाकुड़ : लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य में बदलाव के सभी राजनीतिक दलों एवं उनके प्रत्याशियों द्वारा दावे दावे के दौर इन दिनों जारी है। प्रत्याशियों के दावे प्रति दावे के बीच शासन-प्रशासन भी स्वतंत्र निष्पक्ष एवं भयमुक्त चुनाव कराने के साथ साथ मतदाताओं की मतदान में शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए देश के नौनिहालों से खासकर मतदाता जागरूकता अभियान में भरपूर सहयोग ले रहा पर यही शासन प्रशासन और देश के निर्वाचित एवं निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधियों ने इन्हें नियमित स्कूल की चौखट तक पहुंचाने में अपने को शत प्रतिशत सफल साबित नहीं कर पाया।



Body:लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार एवं प्रशासनिक तैयारी जोरों पर है। इन तैयारियों में जिले के स्कूली बच्चे भी प्रशासन को भरपूर मदद कर रहे हैं ताकि गांव एवं शहर क्षेत्र में रहने वाले लोग स्कूली बच्चों के अभिभावक बूथों पर जाकर शत प्रतिशत मतदान कर सके। प्रशासन के निर्देश पर स्कूली बच्चे जागरूकता रैली एवं खेलकूद प्रतियोगिता आदि के माध्यम से इन दिनों मतदाता जागरूकता अभियान का एक हिस्सा बने हुए हैं और इन्हीं नौनिहालों की में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराने में कामयाब नहीं हो पाया।
आज भी ऐसे सरकारी स्कूल है जहां शत-प्रतिशत नामांकित बच्चे पढ़ने नहीं जा रहे हैं। सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार, ड्राप आउट बच्चों को स्कूल से जोड़ने, मध्यान भोजन का संचालन, शैक्षणिक स्तर को सुधार के लिए बेसलाइन सर्वे के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। शिक्षक जहाँ बच्चों की अनुपस्थिति के लिए सरकार के कार्यों में उन्हें शामिल करने की नीति को दोषी करार दे रहे है तो गांव के बच्चों के अभिभावक सरकार की नीतियों को। अधिकांश ग्रामीण इलाकों में संचालित स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति का 50% भी नहीं कर पा रहा है।


Conclusion:बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी ने कहा कि शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों की उपस्थिति के लिए बच्चों के अभिभावक के साथ बैठक करे। उन्होनो बताया कि ऐसे भी अभिभावक है जो बैठक में हिस्सा लेने नहीं आते हैं उन्हें समझाने की आवश्यकता है। जिला शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए हमारे स्तर से भी पहल की गई है और इसमें सफलता भी मिली है।
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