पाकुड़: जिले के इलामी गांव निवासी कमाल शेख की नन्ही सी बच्ची मासुमा आज दर-दर की ठोकरें खा रही है. उसकी मासूमियत को नजर लग गई है और घर वाले गरीबी के आगे बेबस हो गए हैं. उसकी दाहिने आंख के उपर एक घाव हो गया. परिजनों ने छोटा-मोटा घाव समझकर शुरुआत में लापरवाही बरती. जिसका असर यह हुआ कि आज मासुम को एक आंख से दिखाई नहीं दे रहा है.
मां-पिता भटक रहे हैं दर-दर
पाकुड़ जिले में नेत्र विशेषज्ञ के पदस्थापित नहीं रहने और आर्थिक तंगी के चलते आज मासुमा के मां और पिता अपनी इस नन्ही बिटिया के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. कभी जनप्रतिनिधि तो कभी सरकारी मुलाजिमों के यहां मासुमा को साथ लेकर उसके माता-पिता इस आस में चक्कर लगा रहे हैं कि उन्हें आर्थिक सहयोग मिलेगा और वह अपनी बेटी का इलाज करा पाएंगे. लेकिन इसे विडंबना कहा जाए या शासन-प्रशासन की लापरवाही की इस बच्ची के माता-पिता को न तो आयुष्मान भारत योजना का कोई कार्ड मिल पाया है और न ही राशन कार्ड.
क्या कहते हैं माता-पिता
बच्ची के पिता कमाल शेख का कहना है कि स्वास्थ विभाग उन्हें यह कहकर वापस कर देता है कि राशन कार्ड नहीं होने से हम योजना का लाभ नहीं दिला सकते. वहीं मां ने बताया कि राशन कार्ड बनवाने के लिए जब वे आपूर्ति विभाग गए तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि अभी सिस्टम में आवेदन अपलोड नहीं हो रहा है.
डीडीसी ने दिया है आश्वासन
हालांकि इस मामले को जब डीडीसी रामनिवास यादव के सामने रखा गया तो उन्होंने कहा कि इस बच्ची को हर संभव सहायता मुहैया करायी जायेगी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जिला आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया जायेगा कि जल्द मासुमा के परिजन का राशन कार्ड उपलब्ध कराये, साथ ही उन्हें आयुष्मान भारत का लाभ भी दिलाया जाएगा.