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सिस्टम का सचः इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है मासूम, शासन-प्रशासन मौन

सरकार एक ओर दावे कर रही है कि लाचार और विवश लोगों का इलाज मुफ्त में कराया जाएगा. सबका साथ, सबका विकास होगा लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी सामने आ जाती हैं जो सरकार के दावे के पोल खोल दे रही है. ऐसा ही एक मामला है पाकुड़ की ढाई वर्षीय मासुमा के इलाज का. गरीब मां-पिता और लापरवाह प्रशासन का खामियाजा इस मासूम को भुगतना पड़ रहा है. मां की गोद में अपनी आंख के इलाज के लिए वह मासूम आज दर-दर भटक रही है.

मां की गोद में मासुमा
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Published : Aug 1, 2019, 9:40 PM IST

पाकुड़: जिले के इलामी गांव निवासी कमाल शेख की नन्ही सी बच्ची मासुमा आज दर-दर की ठोकरें खा रही है. उसकी मासूमियत को नजर लग गई है और घर वाले गरीबी के आगे बेबस हो गए हैं. उसकी दाहिने आंख के उपर एक घाव हो गया. परिजनों ने छोटा-मोटा घाव समझकर शुरुआत में लापरवाही बरती. जिसका असर यह हुआ कि आज मासुम को एक आंख से दिखाई नहीं दे रहा है.

देखें वीडियो

मां-पिता भटक रहे हैं दर-दर
पाकुड़ जिले में नेत्र विशेषज्ञ के पदस्थापित नहीं रहने और आर्थिक तंगी के चलते आज मासुमा के मां और पिता अपनी इस नन्ही बिटिया के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. कभी जनप्रतिनिधि तो कभी सरकारी मुलाजिमों के यहां मासुमा को साथ लेकर उसके माता-पिता इस आस में चक्कर लगा रहे हैं कि उन्हें आर्थिक सहयोग मिलेगा और वह अपनी बेटी का इलाज करा पाएंगे. लेकिन इसे विडंबना कहा जाए या शासन-प्रशासन की लापरवाही की इस बच्ची के माता-पिता को न तो आयुष्मान भारत योजना का कोई कार्ड मिल पाया है और न ही राशन कार्ड.

क्या कहते हैं माता-पिता
बच्ची के पिता कमाल शेख का कहना है कि स्वास्थ विभाग उन्हें यह कहकर वापस कर देता है कि राशन कार्ड नहीं होने से हम योजना का लाभ नहीं दिला सकते. वहीं मां ने बताया कि राशन कार्ड बनवाने के लिए जब वे आपूर्ति विभाग गए तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि अभी सिस्टम में आवेदन अपलोड नहीं हो रहा है.


डीडीसी ने दिया है आश्वासन
हालांकि इस मामले को जब डीडीसी रामनिवास यादव के सामने रखा गया तो उन्होंने कहा कि इस बच्ची को हर संभव सहायता मुहैया करायी जायेगी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जिला आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया जायेगा कि जल्द मासुमा के परिजन का राशन कार्ड उपलब्ध कराये, साथ ही उन्हें आयुष्मान भारत का लाभ भी दिलाया जाएगा.

पाकुड़: जिले के इलामी गांव निवासी कमाल शेख की नन्ही सी बच्ची मासुमा आज दर-दर की ठोकरें खा रही है. उसकी मासूमियत को नजर लग गई है और घर वाले गरीबी के आगे बेबस हो गए हैं. उसकी दाहिने आंख के उपर एक घाव हो गया. परिजनों ने छोटा-मोटा घाव समझकर शुरुआत में लापरवाही बरती. जिसका असर यह हुआ कि आज मासुम को एक आंख से दिखाई नहीं दे रहा है.

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मां-पिता भटक रहे हैं दर-दर
पाकुड़ जिले में नेत्र विशेषज्ञ के पदस्थापित नहीं रहने और आर्थिक तंगी के चलते आज मासुमा के मां और पिता अपनी इस नन्ही बिटिया के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. कभी जनप्रतिनिधि तो कभी सरकारी मुलाजिमों के यहां मासुमा को साथ लेकर उसके माता-पिता इस आस में चक्कर लगा रहे हैं कि उन्हें आर्थिक सहयोग मिलेगा और वह अपनी बेटी का इलाज करा पाएंगे. लेकिन इसे विडंबना कहा जाए या शासन-प्रशासन की लापरवाही की इस बच्ची के माता-पिता को न तो आयुष्मान भारत योजना का कोई कार्ड मिल पाया है और न ही राशन कार्ड.

क्या कहते हैं माता-पिता
बच्ची के पिता कमाल शेख का कहना है कि स्वास्थ विभाग उन्हें यह कहकर वापस कर देता है कि राशन कार्ड नहीं होने से हम योजना का लाभ नहीं दिला सकते. वहीं मां ने बताया कि राशन कार्ड बनवाने के लिए जब वे आपूर्ति विभाग गए तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि अभी सिस्टम में आवेदन अपलोड नहीं हो रहा है.


डीडीसी ने दिया है आश्वासन
हालांकि इस मामले को जब डीडीसी रामनिवास यादव के सामने रखा गया तो उन्होंने कहा कि इस बच्ची को हर संभव सहायता मुहैया करायी जायेगी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जिला आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया जायेगा कि जल्द मासुमा के परिजन का राशन कार्ड उपलब्ध कराये, साथ ही उन्हें आयुष्मान भारत का लाभ भी दिलाया जाएगा.

Intro:बाइट : अलताफ हुसैन, परिजन
बाइट : गुलकहार बीबी, मासुमा की माँ
बाइट : रामनिवास यादव, डीडीसी पाकुड़

पाकुड़ : माँ की गोद में अपने आंख का इलाज के लिए दर दर भटक रही ढाई वर्षीय मासुमा खातुन को शासन प्रशासन का न तो साथ मिल रहा और न ही देश की महत्वपूर्ण योजना आयुष्मान भारत इस बच्ची का विश्वास ही जीत पायी है। लिहाजा नन्ही सी यह बच्ची अपने आंख के इलाज के लिए एक उद्धारक की तलाश कर रही है और इसके माता पिता स्वस्थ झारखंड सुखी झारखंड का एहसास कराने के लिए दर दर भटकने को विवश है।


Body:जिले के सदर प्रखंड की चर्चित पंचायत इलामी गांव निवासी कमाल शेख की नन्ही सी बच्ची को उस वक्त किसी की नजर लग गयी जब उसके दाहिने आंख के उपर एक घाव हो गया। परिजनो ने छोटा मोटा घाव समझकर लापरवाही बरती और आज मासुमा को एक आंख से दिखाई नही पड़ रहा इसलिए कि इसके आंख के उपर बड़ा सा घाव हो गया है। क्रशर मशीन में बतौर मजदूरी करने वाले कमाल शेख ने अपनी लाडली मासुमा का कोलकाता के अलावे नेपाल के विराटनगर आंख अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञो को दिखलाया भी पर कही इसका इलाज नही हुआ। 
पाकुड़ जिले में नेत्र विशेषज्ञ के पदस्थापित नही रहने एवं अर्थाभाव के चलते आज मासुमा के माँ और पिता अपनी इस नन्ही बिटिया को स्वस्थ रखने के लिए दर दर भटकने को विवश है। कभी जनप्रतिनिधियो तो कभी सरकारी मुलाजिमो के यहां मासुमा को साथ लेकर उसके माता पिता इस आस में चक्कर लगा रहे है कि उन्हे आर्थिक सहयोग मिलेगा और वह अपनी बेटी का इलाज करा पाये ताकि वह भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह अपनी दोनो आंखो से देश और दुनिया को देख सके। 
विडम्बना कहे या शासन प्रशासन की लापरवाही इस बच्ची के माता पिता को न तो आयुष्मान भारत योजना का कोई कार्ड मिल पाया है और न ही राशन कार्ड। बच्ची के पिता कमाल शेख ने बताया कि स्वास्थ विभाग का कहना है कि राशन कार्ड नही होगा हम योजना का लाभ नही दिला सकते। उन्होने यह भी बताया कि राशन कार्ड बनाने के लिए जब वे आपूर्ति विभाग के बाबुओ के यहां पहुंचे तो उन्हे यह कहकर लौटा दिया गया कि अभी सिस्टम में आवेदन अपलोड नही हो रहा हैं। सरकार लाख दावे कर ले कि स्वस्थ झारखंड सुखी झारखंड बनायेंगे, गरीबो का मुफ्त में इलाज करायेंगे पर ढाई वर्षीय मासुमा की हालत देखकर अंदाजा सहज ही लगता है कि यदि आप लाचार और वेवश है तो शायद ही सबका साथ सबका विकास होगा विश्वास जितना तो अलग बात है।


Conclusion:हालांकि इस मामले को जब डीडीसी रामनिवास यादव के सामने रखा गया तो उन्होने कहा कि इस बच्ची को हर संभव सहायता मुहैया करायी जायेगी आप परिजनो को हमारे यहां सिर्फ भेजवा दीजिए। उन्होने बताया कि जिला आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया जायेगा कि जल्द मासुमा के परिजन का राशन कार्ड उपलब्ध कराये साथ ही उन्हे आयुष्मान भारत का लाभ भी दिलाया जायेगा। 
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