पाकुड़: विलुप्ति के कगार पर पहुंच रही आदिम जनजाति पहाड़िया समाज के बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए झारखंड सरकार की उड़ान परियोजना मददगार साबित हो रही है. पाकुड़ में उड़ान परियोजना के तहत पीवीटीजी पाठशाला (PVTG School) का संचालन किया जा रहा है, जहां बच्चों की शिक्षा की भूख मिटाई जा रही है. सखी मंडल से जुड़ी सखी दीदीयां जिला में परियोजना के तहत काम कर रही है.
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उड़ान परियोजना का उद्देश्य: झारखंड सरकार ने विलुप्ति के कगार पर पहुंच रही आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार के बच्चों को शिक्षित बनाने की दिशा में पहल करते हुए उड़ान परियोजना शुरू किया है. कोरोना संक्रमण के फैलाव के बाद खासकर पहाड़िया परिवार के ऐसे बच्चे जो स्कूल बंद होने एवं गरीबी की वजह से शिक्षा से कोसों दूर हो गए थे, उन्हें मुफ्त में शिक्षा मुहैया कराने के लिए उड़ान परियोजना के तहत पीवीटीजी पाठशाला का संचालन का फैसला लिया. उड़ान परियोजना के तहत पाकुड़ जिले के पाकुड़ प्रखंड में 4, महेशपुर में 9, लिट्टीपाड़ा में 20 एवं अमड़ापाड़ा प्रखंड के 21 आदिम जनजाति पहाड़िया गांव में पीवीटीजी पाठशाला का संचालन शुरू किया.
ऐसे हो रहा परियोजना का काम: इन पाठशालाओं में बतौर शिक्षिका झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन (Jharkhand State Livelihood Promotion Society) सोसाइटी द्वारा संचालित समूह से जुड़ी सखी दीदियां गांव के नौनिहालों को मुफ्त में शिक्षा मुहैया कराने का काम कर रही है. प्रतिदिन एक घंटे जिले के पीवीटीजी पाठशाला में मुफ्त में शिक्षा की भूख मिटा रहे हैं बच्चे रोज पूरी लगन के साथ पाठशाला पहुंच रहे हैं और सखी दीदियों द्वारा दी जा रही प्रारंभिक शिक्षा का लाभ उठा रहे हैं. जिन बच्चों को पीवीटीजी पाठशाला के जरिए शिक्षा मुहैया कराने का काम उड़ान परियोजना के तहत किया जा रहा है, उनके अभिभावक मजदूर तबके के हैं तो कई बच्चों की माताएं घरेलू कामकाज के बाद भी बीड़ी बनाती है और पिता पत्थर खदानों और सरकार की चल रही योजनाओं में बतौर मजदूरी का काम किया करते हैं.
सखी की दीदीयां कर रही पीवीटीजी पाठशाला का संचालन: पाकुड़ में सखी दीदियां सखी मंडल से जुड़कर गांव के पहाड़िया बच्चों की शिक्षा की भूख मिटाने में जुटी हुई है. सखी की दीदीयां प्रतिदिन गांव के ही छोटे-छोटे पहाड़िया बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मुहैया कराने के लिए पीवीटीजी पाठशाला का संचालन कर रही है. पहले जो बच्चे आर्थिक तंगी की वजह से स्कूल जाने की जगह गांव उछल-कूद के साथ हुड़दंग मचाया करते थे, आज पीवीटीजी पाठशाला में क से कबूतर, दो दूनी चार की रट लगा रहे हैं.
अब पढ़ाई पर बच्चों का विशेष ध्यान: बता दें कि उड़ान परियोजना के तहत जिन गांव में आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार के बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराई जा रही है, उनमें से कई तो दुर्गम पहाड़ पर है. पीवीटीजी पाठशाला के चालू होने के पहले जिन गांव के बच्चे शरारत किया करते थे और उसी गांव के बच्चे पढ़ने लिखने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी इन पाठशाला में बच्चों को खेल सामग्री के अलावा पठन-पाठन सामग्री मुहैया कराने की योजना पर काम कर रहा है.