पाकुड़: खेलकूद को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए सरकार हर वर्ष लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन पाकुड़ जिले में एक ऐसी प्रतिभा भी है जिसके पास खुद की पहचान तो है पर पैसा नहीं है. यही वजह है कि राइडर हबीबुर इच्छा रहने के बावजूद राष्ट्रीय स्तर की साइकिलिंग प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पा रहे.
हबीबुर शेख रेसिंग साइकिल की खरीदारी के लिए पैसे की जुगाड़ की आस में स्थानीय विधायक, सांसद और अधिकारियों के यहां चक्कर लगाने को मजबूर हैं. पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के रनडांगा में बतौर मजदूरी करने वाले नाजिर शेख के पुत्र हबीबुर, झारखंड में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में नेशनल साइकिलिंग चैंपियनशिप में भी पाकुड़ जिले का नाम रोशन कर चुके हैं.
वहीं, इसकी दिली इच्छा नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान लाने की है, पर इतने पैसे नहीं है कि वह प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए रेसिंग साइकिल खरीद सके. खेल प्रेमियों और आर्थिक रूप से मदद करने वाले लोगों के पास इन दिनों हबीबुर चक्कर लगा रहे हैं. उन्हें आशा है कि कम से कम एक लाख का सहयोग मिल जाएगा और वह रेसिंग साइकिल खरीद सकेंगें. जिससे प्रतियोगिता में अपना और पाकुड़ का परचम लहरा सके.
जनप्रतिनिधियों से मिलता है सिर्फ आश्वासन
अब तक हबीबुर को किसी ने आर्थिक रूप से मदद तो नहीं की, अलबत्ता आश्वासन जरूर दिया है. फिलहाल हबीबुर गांव में ही मजदूरी का काम कर रहे हैं. मजदूरी से आए पैसे से वह अपने परिवार का भरण पोषण मात्र कर पा रहे हैं. स्थानीय खेल प्रेमियों ने उनकी दिली इच्छा पूरी करने के लिए डीसी कुलदीप चौधरी से मिलवाया है, ताकि उसे आर्थिक मदद मिल जाए और वह प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए साइकिल खरीद सके.
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आर्थिक मदद की गुहार
हबीबुर ने बताया कि पहले उसने जिस प्रतियोगिता में भाग लिया, उस वक्त साधारण साइकिल को उपयोग में लाने की इजाजत थी, लेकिन अब रेसिंग साइकिल के बिना कोई भी प्रतिभागी साइकिलिंग प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता. इसलिए वह दूसरों के पास आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं.
डीसी ने खिलाड़ियों की मंगी सूची
मामले में डीसी कुलदीप चौधरी ने बताया कि जिले में ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ी हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. ऐसे प्रतिभावान बच्चों की सूची जिला खेलकूद पदाधिकारी और एसोसिएशन से मांगी गई है और हर संभव मदद की जाएगी.