पाकुड़: हाथ में हुनर हो और कुछ करने का जज्बा हो तो असंभव कार्य भी संभव हो सकता है. ऐसा ही कुछ आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की महिलाओं ने कर दिखाया है. घर का चुल्हा चौका करने वाली पहाड़िया समाज की महिलाएं आज सिलाई सीख अपने परिवार का बेहतर तरीके से पालन पोषण कर रही हैं.
गुतू गालांग सिलाई केंद्र
झारखंड सरकार ने बिरसा विशिष्ट जनजातीय विकास योजना शुरू की है , जिसमें सरकार आर्थिक रूप से कमजोर आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए लिट्टीपाड़ा में गुतू गालांग नामक सिलाई केंद्र खोला है. इस सिलाई केंद्र से महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण देने के बाद बोरा सिलाई कराई जा रही हैं. जिसके लिए उन्हें प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिए जा रहे हैं.
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आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की स्थिति में होगा सुधार
राज्य के 3 हजार गांव में रहने वाले 72 हजार आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार को बिरसा विशिष्ट जनजातीय योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना से आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों की वार्षिक आय 50 हजार करने का लक्ष्य रखा गया है. पाकुड़ जिले के 12 हजार 300 जनजाति पहाड़िया परिवारों को इस योजना से लाभान्वित किया जा रहा है. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के जरिए सरकार ने पहाड़िया महिलाओं को सबसे पहले सिलाई का प्रशिक्षण दिया, जिसके बाद महिलाएं बोरा सिलाई कर रोजगार प्राप्त कर रही हैं. महिलओं के लिए 1 महीने में 80 बोरों की सिलाई का लक्ष्य रखा गया है. जिसके बाद तैयार किए गए बोरों को डाकिया योजना के लिए प्रखंड भेज दिया जाएगा.