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हवा में जहर घोल रहे अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशर, नियमों को ताक पर रख हो रहा काम

पाकुड़ में पत्थर कारोबारी मुनाफा कमाने के लिए पर्यावरण सुरक्षा को लेकर बनाए गए अधिनियमों का उल्लंघन कर रहे है, जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषण फैलता जा रहा है और उद्योग के आस-पास रहने वाले लोग बीमारियों ने ग्रसित हो रहे है.

stone industry in pakur
पर्यावरण प्रदूषण
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Published : Sep 24, 2020, 2:11 PM IST

Updated : Sep 25, 2020, 11:40 AM IST

पाकुड़: सरकार राजस्व प्राप्ति और पत्थर कारोबारी मुनाफा कमाने में जी जान से लगे हुए है, लेकिन संचालित पत्थर उद्योग के आस-पास रहने वाले लोग परेशान है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि सरकार ने नियमों का अनुपालन नहीं कराया, लिहाजा पर्यावरण प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है और लोगों में तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन
शासन और प्रशासन खान खनीज नियमों के साथ पर्यावरण सुरक्षा को लेकर बनाए गए अधिनियमों का अनुपालन कराता तो लोगों को प्रदूषण की समस्या नहीं झेलनी पड़ती और उन्हे दम्मा, सिलकोशिश और यक्ष्मा रोग जैसी बीमारियों का शिकार नहीं होना पड़ता. झारखंड राज्य को करोड़ों रुपये राजस्व देने वाला पत्थर उद्योग अपने प्रारंभिक काल से ही नियमों और अधिनियमों की धज्जियां उड़ाने के मामले में चर्चित रहा है. पत्थर उद्योग से जुड़े कारोबारी पत्थर खदान और क्रशर मशीनों के संचालन में नियमों और अधिनियमों की अनदेखी करते रहे है, जिसका नतीजा लोगों को बिमारी देने के साथ-साथ कई लोगों को अब तक जाने भी गंवानी पड़ी है.

फैल रहा प्रदूषण
नियमों का अनुपालन नहीं किए जाने के कारण पत्थर खदानों में मजदूरों के साथ-साथ मालिकों की भी मौते हुई है, जबकि क्रशर मशीनों से उड़ रहे धुलकण के कारण मजदूर के साथ आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोग बीमारी के शिकार होते रहे है. पत्थर खदानों की घेराबंदी या उसे सीढ़ीनुमा बनाने का कोई तबज्जो खदान के मालिक नहीं दे रहे, जबकि क्रशर मशीनों के आस-पास न तो घेराबंदी की जा रही है और न ही पेड़ लगाए जा रहे है. अधिकांश जिले के क्रशर मशीनों और पत्थर खदानों में आज भी नियमों का अनुपालन नहीं हो रहा. किसी क्रशर के सीटीओ(कनर्सन टु ऑपरेट) नहीं है तो कई खदानों के मालिकों के पास ईसी (इनवाॅरमेंट क्लियरेंस). हालांकि समय समय पर जिला टास्क फोर्स की टीम के अलावा खनन विभाग के अधिकारी ने छापेमारी कर अवैध तरीके से संचालित क्रशरों और पत्थर खदानों को सील करने का काम किया है, लेकिन की गई कार्रवाई और अवैध तरीके से संचालित पत्थर खदान और क्रशर मशीनों का औसत देखे तो नियमों का उल्लंघन ज्यादा हो रहा और कार्रवाई और अनुपालन कम.

इसे भी पढ़ें- पुलिस गेस्ट हाउस में सामूहिक दुष्कर्म मामला, बदले जाएंगे अनुसंधानकर्ता, चलेगा स्पीडी ट्रायल


नियमों का सख्ती से पालन
अवैध पत्थर कारोबार और फैल रहे प्रदूषण को लेकर जिला टास्क फोर्स के संयोजक सह एसडीओ प्रभात कुमार ने बताया कि जिला टास्क फोर्स की टीम बीच-बीच में छापेमारी करती है, जहां तक प्रदूषण का मामला है अधिकांश पत्थर व्यवसायी नियमों की अनदेखी करते है और ऐसे कारोबारी कर प्रशासन की नजर है और नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा.

पत्थर के धुलकण से लंस पर प्रभाव
पत्थर खदानों और क्रशरों में हो रहे प्रदूषण को लेकर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एसके झा के मुताबिक खासकर मजदूरों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है ताकि वे कामकाज के दौरान धुलकण से खुद का बचाव कर सके. एसीएमओ के मुताबिक पत्थर के धुलकण से लंस पर प्रभाव पड़ता है और इससे सिलकोशिश बिमारी होती है और ये ऐसी बिमारी लाइलाज है. जिले में वैद्य तरीके से 300 क्रशर मशीन और 97 पत्थर खदान हैं. इसके अलावा कई ऐसे पत्थर खदान और क्रशर मशीने हैं, जो अवैध तरीके से संचालन करते हैं. जब टास्क फोर्स की टीम या खनन विभाग छापेमारी करने पहुंचते हैं तो वाहनों को देखकर अवैध रूप से पत्थर का कारोबार कर रहे कारोबारी, मैनेजर और मजदूर फरार हो जाते हैं.

पाकुड़: सरकार राजस्व प्राप्ति और पत्थर कारोबारी मुनाफा कमाने में जी जान से लगे हुए है, लेकिन संचालित पत्थर उद्योग के आस-पास रहने वाले लोग परेशान है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि सरकार ने नियमों का अनुपालन नहीं कराया, लिहाजा पर्यावरण प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है और लोगों में तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही है.

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पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन
शासन और प्रशासन खान खनीज नियमों के साथ पर्यावरण सुरक्षा को लेकर बनाए गए अधिनियमों का अनुपालन कराता तो लोगों को प्रदूषण की समस्या नहीं झेलनी पड़ती और उन्हे दम्मा, सिलकोशिश और यक्ष्मा रोग जैसी बीमारियों का शिकार नहीं होना पड़ता. झारखंड राज्य को करोड़ों रुपये राजस्व देने वाला पत्थर उद्योग अपने प्रारंभिक काल से ही नियमों और अधिनियमों की धज्जियां उड़ाने के मामले में चर्चित रहा है. पत्थर उद्योग से जुड़े कारोबारी पत्थर खदान और क्रशर मशीनों के संचालन में नियमों और अधिनियमों की अनदेखी करते रहे है, जिसका नतीजा लोगों को बिमारी देने के साथ-साथ कई लोगों को अब तक जाने भी गंवानी पड़ी है.

फैल रहा प्रदूषण
नियमों का अनुपालन नहीं किए जाने के कारण पत्थर खदानों में मजदूरों के साथ-साथ मालिकों की भी मौते हुई है, जबकि क्रशर मशीनों से उड़ रहे धुलकण के कारण मजदूर के साथ आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोग बीमारी के शिकार होते रहे है. पत्थर खदानों की घेराबंदी या उसे सीढ़ीनुमा बनाने का कोई तबज्जो खदान के मालिक नहीं दे रहे, जबकि क्रशर मशीनों के आस-पास न तो घेराबंदी की जा रही है और न ही पेड़ लगाए जा रहे है. अधिकांश जिले के क्रशर मशीनों और पत्थर खदानों में आज भी नियमों का अनुपालन नहीं हो रहा. किसी क्रशर के सीटीओ(कनर्सन टु ऑपरेट) नहीं है तो कई खदानों के मालिकों के पास ईसी (इनवाॅरमेंट क्लियरेंस). हालांकि समय समय पर जिला टास्क फोर्स की टीम के अलावा खनन विभाग के अधिकारी ने छापेमारी कर अवैध तरीके से संचालित क्रशरों और पत्थर खदानों को सील करने का काम किया है, लेकिन की गई कार्रवाई और अवैध तरीके से संचालित पत्थर खदान और क्रशर मशीनों का औसत देखे तो नियमों का उल्लंघन ज्यादा हो रहा और कार्रवाई और अनुपालन कम.

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नियमों का सख्ती से पालन
अवैध पत्थर कारोबार और फैल रहे प्रदूषण को लेकर जिला टास्क फोर्स के संयोजक सह एसडीओ प्रभात कुमार ने बताया कि जिला टास्क फोर्स की टीम बीच-बीच में छापेमारी करती है, जहां तक प्रदूषण का मामला है अधिकांश पत्थर व्यवसायी नियमों की अनदेखी करते है और ऐसे कारोबारी कर प्रशासन की नजर है और नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा.

पत्थर के धुलकण से लंस पर प्रभाव
पत्थर खदानों और क्रशरों में हो रहे प्रदूषण को लेकर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एसके झा के मुताबिक खासकर मजदूरों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है ताकि वे कामकाज के दौरान धुलकण से खुद का बचाव कर सके. एसीएमओ के मुताबिक पत्थर के धुलकण से लंस पर प्रभाव पड़ता है और इससे सिलकोशिश बिमारी होती है और ये ऐसी बिमारी लाइलाज है. जिले में वैद्य तरीके से 300 क्रशर मशीन और 97 पत्थर खदान हैं. इसके अलावा कई ऐसे पत्थर खदान और क्रशर मशीने हैं, जो अवैध तरीके से संचालन करते हैं. जब टास्क फोर्स की टीम या खनन विभाग छापेमारी करने पहुंचते हैं तो वाहनों को देखकर अवैध रूप से पत्थर का कारोबार कर रहे कारोबारी, मैनेजर और मजदूर फरार हो जाते हैं.

Last Updated : Sep 25, 2020, 11:40 AM IST
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