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पाकुड़ में खराब नेटवर्क के कारण बेबस हैं बच्चे और शिक्षक, डिजिटल क्लास से हैं महरूम

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Published : Jun 3, 2020, 11:56 AM IST

कोविड-19 से बचाव और रोकथाम को लेकर शिक्षा की भूख मिटाने वाले शिक्षकों और विद्यार्थियों को भी प्रभावित करने का काम किया है. पाकुड़ जिले के कई सरकारी स्कूलों में डिजिटल क्लास की व्यवस्था शुरू की गई है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि सरकार के डिजिटल क्लास का सपना कैसे साकार होगा जब शिक्षक और बच्चे बेबस और लाचार हैं.

digital class not going on due to bad network in Pakur
ऑनलाइन पढ़ती बच्ची

पाकुड़: झारखंड सरकार ने राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक और जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के बंद हो जाने को ध्यान में रखकर डिजिटल क्लास चालू करने का निर्देश दिया है. जिला स्तर के अधिकारियों ने भी अपने वरीय पदाधिकारियों के निर्देशों का अनुपालन करने के लिए एक चिट्ठी पतरी भी निकाल दी और यह दावा भी होने लगा कि सरकारी स्कूल के बच्चे भी घर बैठे डिजिटल क्लास का लाभ उठा रहे हैं. धरातल पर शत प्रतिशत सरकार की व्यवस्था पाकुड़ जिले में सफल साबित नहीं हो पाई है.

देखें स्पेशल स्टोरी

डिजिटल क्लास की व्यवस्था असफल

पाकुड़ जिले के अधिकांश इलाके दुर्गम पहाड़ों पर हैं. जिससे यहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है. इतना ही नहीं आर्थिक रूप से पिछड़े आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों के पास एंड्रॉयड मोबाइल भी नहीं है. शिक्षकों को लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को दूसरे जिलों से अपने जिले में लाने, अनाज वितरण की निगरानी करने जैसे कार्यों को लेकर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया है. जिस डिजिटल क्लास का लाभ विद्यार्थियों को वो दे सकते थे वो नहीं दे पा रहे.

नेटवर्क के कारण ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कतें

जिले में प्राथमिक, मध्य और उच्च कुल 970 सरकारी विद्यालय हैं. जहां के नामांकित बच्चों को डिजिटल क्लास का लाभ मिलना था, लेकिन 225 ऐसे विद्यालय हैं जहां किसी भी कंपनी का मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता. सरकार की डिजिटल शिक्षा के तहत 1 लाख 47 हजार बच्चो को ऑनलाइन शिक्षा मिलनी थी लेकिन शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 46 हजार बच्चे ही ऑनलाइन पढ़ाई कर पाए और कर रहे हैं.

जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी ने बताया कि पर्याप्त संसाधन और सुविधाओं का बेहतर लाभ उठाते हुए शिक्षा विभाग के डिजिटल शिक्षा के मंसूबे को पूरा करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने स्वीकारा भी बहुत से विद्यालय ऐसे एरिया में हैं, जहां मोबाइल का नेटवर्क काम नहीं करता है. ऐसे इलाकों में स्थित विद्यालयों के बच्चों को डिजिटल शिक्षा मुहैया कराने की जिम्मेवारी साक्षरता मिशन वॉलिंटियर्स को देने का निर्णय लिया गया है.

ये भी देखें- हजारीबाग में पर्यावरण पर बरप रहा माफियाओं का कहर, अधांधुध हो रही पेड़ों की कटाई

इन इलाकों में नहीं करता है मोबाइल नेटवर्क काम

शिक्षा विभाग से दी गयी जानकारी के मुताबिक पाकुड़ प्रखंड के 6, हिरणपुर प्रखंड के 19, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 66, अमड़ापाड़ा प्रखंड के 28, महेशपुर प्रखंड के 40 और पाकुड़िया प्रखंड के 66 विद्यालय ऐसे स्थान पर हैं जहां कोई मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है.

पाकुड़: झारखंड सरकार ने राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक और जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के बंद हो जाने को ध्यान में रखकर डिजिटल क्लास चालू करने का निर्देश दिया है. जिला स्तर के अधिकारियों ने भी अपने वरीय पदाधिकारियों के निर्देशों का अनुपालन करने के लिए एक चिट्ठी पतरी भी निकाल दी और यह दावा भी होने लगा कि सरकारी स्कूल के बच्चे भी घर बैठे डिजिटल क्लास का लाभ उठा रहे हैं. धरातल पर शत प्रतिशत सरकार की व्यवस्था पाकुड़ जिले में सफल साबित नहीं हो पाई है.

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डिजिटल क्लास की व्यवस्था असफल

पाकुड़ जिले के अधिकांश इलाके दुर्गम पहाड़ों पर हैं. जिससे यहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है. इतना ही नहीं आर्थिक रूप से पिछड़े आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों के पास एंड्रॉयड मोबाइल भी नहीं है. शिक्षकों को लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को दूसरे जिलों से अपने जिले में लाने, अनाज वितरण की निगरानी करने जैसे कार्यों को लेकर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया है. जिस डिजिटल क्लास का लाभ विद्यार्थियों को वो दे सकते थे वो नहीं दे पा रहे.

नेटवर्क के कारण ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कतें

जिले में प्राथमिक, मध्य और उच्च कुल 970 सरकारी विद्यालय हैं. जहां के नामांकित बच्चों को डिजिटल क्लास का लाभ मिलना था, लेकिन 225 ऐसे विद्यालय हैं जहां किसी भी कंपनी का मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता. सरकार की डिजिटल शिक्षा के तहत 1 लाख 47 हजार बच्चो को ऑनलाइन शिक्षा मिलनी थी लेकिन शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 46 हजार बच्चे ही ऑनलाइन पढ़ाई कर पाए और कर रहे हैं.

जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी ने बताया कि पर्याप्त संसाधन और सुविधाओं का बेहतर लाभ उठाते हुए शिक्षा विभाग के डिजिटल शिक्षा के मंसूबे को पूरा करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने स्वीकारा भी बहुत से विद्यालय ऐसे एरिया में हैं, जहां मोबाइल का नेटवर्क काम नहीं करता है. ऐसे इलाकों में स्थित विद्यालयों के बच्चों को डिजिटल शिक्षा मुहैया कराने की जिम्मेवारी साक्षरता मिशन वॉलिंटियर्स को देने का निर्णय लिया गया है.

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इन इलाकों में नहीं करता है मोबाइल नेटवर्क काम

शिक्षा विभाग से दी गयी जानकारी के मुताबिक पाकुड़ प्रखंड के 6, हिरणपुर प्रखंड के 19, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 66, अमड़ापाड़ा प्रखंड के 28, महेशपुर प्रखंड के 40 और पाकुड़िया प्रखंड के 66 विद्यालय ऐसे स्थान पर हैं जहां कोई मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है.

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