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आकर्षक पेंटिंग बच्चों को खींच रहा स्कूल की चौखट की ओरअनोखा है पाकुड़ का यह गर्ल्स मिडिल स्कूल है, यहां की दीवारें भी हैं 'किताब'

पढ़ाई का मुख्य मकसद है विद्यार्थी ज्यादा से ज्याद सीखे, भले ही तरीका जो भी हो. कुछ ऐसा ही अनोखा तरीका है अमड़ापाड़ा कन्या मध्य विद्यालय का. जहां पेंटिंग के जरिए बच्चों को ज्ञान बांटा जा रहा है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Mar 5, 2019, 7:47 PM IST

पाकुड़: स्कूलों में बच्चों की हाजिरी शत-प्रतिशत हो इसके लिए तमाम उपाय किए जाते हैं. लेकिन परिणाम बेहतर नहीं मिल पाता है. वहीं पाकुड़ के अमड़ापाड़ा प्रखंड स्थित कन्या मध्य विद्यालय में बच्चे खिचे चले आते हैं. वजह हैं यहां की पढ़ाई का तरीका. जिसे बच्चे बेहद पसंद करते हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

पाकुड़ जिले का यह सरकारी स्कूल आकर्षण का केंद्र है. यहां की हर चीज बच्चों को कुछ न कुछ सिखाती नजर आती है. अमड़ापाड़ा प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय में क्लासरूम के साथ-साथ हर दीवार, खंभे बच्चों को ज्ञान बांटते हैं.

इस विद्यालय की चौखट पर पैर रखते ही बचे का ककहारा, पहाड़ा की रट लगाना शुरू कर देते हैं. विद्यालय प्रबंधन समिति स्कूली बच्चों को गणित, हिंदी विषयों के अलावा स्थानीय परंपरागत संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता की जानकारी आकर्षक पेंटिंग के जरिए देने की कोशिश कर रहे हैं.

यहां बच्चे दीवारों पर कराई गई आकर्षक पेंटिंग के सहारे खेल-खेल में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बच्चे जब यहां दीवारों पर कराई गई पेंटिंग एवं अंकित किए गए ककहरा, पहाड़ा पढ़ते हैं, तो लगता ही नहीं कि उन्हें पठन-पाठन में तनाव जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है.

दीवारों पर अंकित गिनती हो या ककहारा हो या फिर अंग्रेजी के अक्षरों की ज्ञान सहज और सरल भाव से बच्चे अर्जित कर रहे हैं. बच्चों को यहां कराई गई पेंटिंग के सहारे ज्ञान विज्ञान और देशभक्ति के साथ-साथ किसान की अहमियत भी बताई जा रही है.

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पेंटिंग होने से पहले यहां बच्चों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम रहती थी. विद्यालय प्रबंधन समिति ने सरकार द्वारा मुहैया कराई गई राशि से आकर्षक पेंटिंग कराई. इस मकसद से कि छोटी छोटी बच्चियां नियमित स्कूल आएं और उन्हें खेल-खेल में सहज और सरल भाव से शिक्षा दिलाई जा सके. इसका असर भी हुआ है और आज इस विद्यालय में शत-प्रतिशत छात्राएं नियमित विद्यालय आ रही हैं. इन्हें पठन-पाठन के अलावे बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, स्वच्छता ही जीवन है, पहले पढ़ाई, फिर विदाई के लिए भी कराई गई आकर्षक पेंटिंग प्रेरित करती है.

गौरतलब हो कि जिले का अमड़ापाड़ा प्रखंड, आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल प्रखंड है. विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा कराई गई आकर्षक पेंटिंग के बाद, बच्चों में स्कूल जाने की बढ़ी भूख का ही नतीजा है, कि बच्चों के अभिभावक भी यहां देखने आते हैं कि एकाएक उनके बच्चे आखिर रोज विद्यालय क्यों जाना चाहते हैं.

पाकुड़: स्कूलों में बच्चों की हाजिरी शत-प्रतिशत हो इसके लिए तमाम उपाय किए जाते हैं. लेकिन परिणाम बेहतर नहीं मिल पाता है. वहीं पाकुड़ के अमड़ापाड़ा प्रखंड स्थित कन्या मध्य विद्यालय में बच्चे खिचे चले आते हैं. वजह हैं यहां की पढ़ाई का तरीका. जिसे बच्चे बेहद पसंद करते हैं.

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पाकुड़ जिले का यह सरकारी स्कूल आकर्षण का केंद्र है. यहां की हर चीज बच्चों को कुछ न कुछ सिखाती नजर आती है. अमड़ापाड़ा प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय में क्लासरूम के साथ-साथ हर दीवार, खंभे बच्चों को ज्ञान बांटते हैं.

इस विद्यालय की चौखट पर पैर रखते ही बचे का ककहारा, पहाड़ा की रट लगाना शुरू कर देते हैं. विद्यालय प्रबंधन समिति स्कूली बच्चों को गणित, हिंदी विषयों के अलावा स्थानीय परंपरागत संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता की जानकारी आकर्षक पेंटिंग के जरिए देने की कोशिश कर रहे हैं.

यहां बच्चे दीवारों पर कराई गई आकर्षक पेंटिंग के सहारे खेल-खेल में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बच्चे जब यहां दीवारों पर कराई गई पेंटिंग एवं अंकित किए गए ककहरा, पहाड़ा पढ़ते हैं, तो लगता ही नहीं कि उन्हें पठन-पाठन में तनाव जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है.

दीवारों पर अंकित गिनती हो या ककहारा हो या फिर अंग्रेजी के अक्षरों की ज्ञान सहज और सरल भाव से बच्चे अर्जित कर रहे हैं. बच्चों को यहां कराई गई पेंटिंग के सहारे ज्ञान विज्ञान और देशभक्ति के साथ-साथ किसान की अहमियत भी बताई जा रही है.

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पेंटिंग होने से पहले यहां बच्चों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम रहती थी. विद्यालय प्रबंधन समिति ने सरकार द्वारा मुहैया कराई गई राशि से आकर्षक पेंटिंग कराई. इस मकसद से कि छोटी छोटी बच्चियां नियमित स्कूल आएं और उन्हें खेल-खेल में सहज और सरल भाव से शिक्षा दिलाई जा सके. इसका असर भी हुआ है और आज इस विद्यालय में शत-प्रतिशत छात्राएं नियमित विद्यालय आ रही हैं. इन्हें पठन-पाठन के अलावे बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, स्वच्छता ही जीवन है, पहले पढ़ाई, फिर विदाई के लिए भी कराई गई आकर्षक पेंटिंग प्रेरित करती है.

गौरतलब हो कि जिले का अमड़ापाड़ा प्रखंड, आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल प्रखंड है. विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा कराई गई आकर्षक पेंटिंग के बाद, बच्चों में स्कूल जाने की बढ़ी भूख का ही नतीजा है, कि बच्चों के अभिभावक भी यहां देखने आते हैं कि एकाएक उनके बच्चे आखिर रोज विद्यालय क्यों जाना चाहते हैं.

Intro:पाकुड़ : स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकित बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने गुणवत्ता आधारित शिक्षा मुहैया कराने एवं ड्रॉपआउट को खत्म करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए सालाना खर्च कर रही है परंतु पाकुड़ जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल भी है जहां कम खर्च कर कराई गई आकर्षक पेंटिंग सैकड़ों बच्चों को रोज विद्यालय की चौखट तक खींचने को विवश कर रहा है, वह सरकारी स्कूल है अमड़ापाड़ा प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय।


Body:इस विद्यालय की चौखट पर पैर रखते ही बचे का ककहारा पहाड़ा की रेट लगाना शुरू कर देते हैं। विद्यालय प्रबंधन समिति स्कूली बच्चों को गणित, हिंदी विषयों के अलावा स्थानीय परंपरागत संस्कृति पर्यावरण संरक्षण स्वच्छता की जानकारी आकर्षक पेंटिंग के जरिए देने में अपने को सफल साबित कर रहा है।
यहां बच्चे शिक्षकों से ज्यादा स्कूल के दीवारों पर कराई गई आकर्षक पेंटिंग के सहारे खेल खेल में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चे जब यहां दीवारों पर कराई गई पेंटिंग एवं अंकित किए गए ककहरा पहाड़ा पढ़ते हैं तो लगता ही नहीं कि उन्हें पठन-पाठन में तनाव जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। पढ़ाई के दौरान इन बच्चों में अनुशासन भी एक मिसाल कायम कर रहा है
दीवारों में अंकित गिनती हो या का ककहारा हो या अंग्रेजी के अक्षरों की ज्ञान सहज और सरल भाव से अर्जित कर रहे हैं। बच्चों को यहां कराई गई पेंटिंग के सहारे ज्ञान विज्ञान और जय जवान के अलावे जय किसान की अहमियत भी बताई जा रही है। आकर्षक पेंटिंग के पहले यहां बच्चों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम रहती थी। विद्यालय प्रबंधन समिति ने सरकार द्वारा मुहैया कराई गई राशि से आकर्षक पेंटिंग कराया इस मकसद से की छोटी छोटी बच्ची नियमित स्कूल और उन्हें खेल खेल में सहज और सरल भाव से शिक्षा दिलाई जा सके, इसका असर भी हुआ है और आज इस विद्यालय में शत-प्रतिशत नियमित विद्यालय आ रही है। इन्हें पठन-पाठन के अलावे बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, स्वच्छता ही जीवन है, पहले पढ़ाई फिर विदाई के लिए भी कराई गई आकर्षक पेंटिंग उन्हें प्रेरित कर रहा है।


Conclusion:गौरतलब हो कि जिले का अमरापारा प्रखंड आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल प्रखंड है विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा कराई गई आकर्षक पेंटिंग के बाद बच्चों में स्कूल जाने की बढ़ी भूख का ही नतीजा है कि बच्चों के अभिभावक भी यहां देखने आते हैं कि एकाएक उनके बच्चे आखिर रोज़ विद्यालय क्यों जाना चाहती है।
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