गोड्डाः झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. सारी स्थिति साफ हो चुकी है. प्रचंड बहुमत से इंडिया गठबंधन की सरकार बन रही है. हेमंत सोरेन फिर से एक बार सूबे के मुख्यमंत्री बनेंगे. 28 नवंबर को वो शपथ लेंगे. इस चुनाव में राज्य को वो भाग जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वो है संथाल. सभी पार्टियों ने इस इलाके में पूरा दम लगाया. इंडिया गठबंधन के लिए जहां अपने इस किले को बचाने की चुनौती थी, वहीं एनडीए को हर हाल में इस इलाके में अपनी पैठ बनानी थी. आइए जानते हैं कौन कितना सफल रहा.
विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं. जो जीत गए वो जश्न मना रहे हैं और जो हारे इस माथा-पच्ची में लगे हैं कि आखिर कहां कमी रह गई. बात संथाल प्रमंडल की करें तो यहां दोनों गठबंधन ने पूरी जोर लगाई थी. एनडीए ने पूरा चुनाव ही यहां के मुद्दे को लेकर लड़ा. वो मुद्दा था घुसपैठ का. एनडीए पूरे चुनाव इस बात को लोगों के सामने कहता रहा कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से आदिवासियों की संख्या कम हो रही है. उनका अस्तित्व खत्म हो रहा है.
पार्टी के छोटे नेता से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी ने बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर हेमंत सोरेन सरकार को घेरा. उन पर वोट बैंक के लिए घुसपैठ को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. वहीं इंडिया गठबंधन के नेताओं ने संथाल में घुसपैठ की बात को सिरे से खारिज किया. वो संथाल में लोगों को यह बताने में जुटे रहे कि एनडीए वाले उनसे झूठ कह रहे हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के नेताओं ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा राज्य का है ही नहीं. इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है.
अब बात करते हैं नेताओं की कोशिश कितनी सफल रही. कौन सी पार्टी अपनी बात लोगों को समझाने में सफल रही और कौन सी पार्टी नाकाम रही है. संथाल परगना प्रमंडल में कुल 18 विधानसभा सीट है. जिसमें से 8 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वहीं एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बाकी सीट अनारक्षित हैं. इन 18 सीटों में से 11 सीट पर जेएमएम, 4 सीटों पर कांग्रेस, दो सीटों पर आरजेडी और एक सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की.
चुनाव परिणाम ये साफ बताते हैं कि संथाल में इंडिया गठबंधन का जादू सिर चढ़कर बोला. एनडीए की करारी हार हुई. एनडीए यहां अच्छा प्रदर्शन तो दूर, पिछला प्रदर्शन भी दोहरा नहीं पाई. इंडिया गठबंधन ने 18 में से 17 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं एनडीए के खाते में महज एक सीट गई. एक भी एसटी सीट तो उनके हाथ आई नहीं, उल्टे एक एससी सीट जो पहले उनके पास थी, वो भी उनके हाथ से चली गई. इतना ही नहीं अनारक्षित सीट भी महज एक ही मिली.
अगर पार्टी वाइज प्रदर्शन की बात करें तो भी इंडिया गठबंधन में शामिल घटक दलों का प्रदर्शन शानदार रहा. वहीं एनडीए में शामिल दलों का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा. इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी जेएमएम ने यहां कुल 11 सीटों पर चुनाव लड़ा. उसने सारी सीटों पर जीत हासिल की. उसके एक भी प्रत्याशी को हार का सामना नहीं करना पड़ा. यानि जेएमएम का प्रदर्शन शत प्रतिशत रहा. वहीं इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने संथाल की कुल पांच सीटों पर चुनाव लड़ा. उसे 4 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस का प्रदर्शन 80 फीसदी के पास रहा. वहीं आरजेडी की बात करें तो उसने भी संथाल की दो सीटों पर चुनाव लड़ा. दोनों ही सीट पर विजयी रहे. आरजेडी का प्रदर्शन में शत प्रतिशत रहा.
अब बात एनडीए की करें तो एनडीए में मुख्य रूप से शामिल दो दलों बीजेपी और आजसू ने यहां से चुनाव लड़ा. बीजेपी ने संथाल की 18 में से 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे. वहीं आजसू ने एक सीट पर चुनाव लड़ा. बीजेपी 17 सीटों में से केवल एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाई. वहीं आजसू को जीत नसीब नहीं हुई. बीजेपी के प्रदर्शन की बात करें तो उसके प्रदर्शन का प्रतिशत मात्र 5.88 रहा, जबकि आजसू का जीरो रहा.
झामुमो ने राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिटिपाडा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका, जामा, नाला, मधुपुर, सारठ सीट जीते हैं. वहीं कांग्रेस ने पाकुड़, जामताड़ा, महगामा, पोड़ैयाहाट सीट पर जीत दर्ज की है. देवघर और गोड्डा दो सीट हैं, जिस पर राजद ने जीत हासिल की है. जबकि भाजपा ने महज एक सीट जरमुंडी पर जीत हासिल की है.
ऐसे में इतनी बड़ी जीत के सरकार मे संथाल हिस्सेदारी की भी खूब चर्चा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो इस क्षेत्र से होंगे ही, वहीं उम्मीद की जा रही है कि उनके अलावा कम से कम चार मंत्री संथाल से होंगे. इनमे झामुमो से हफिजुल हसन के नाम की चर्चा है राजद से सुरेश पासवान की बात कही जा रही है. वहीं कांग्रेस से दीपिका पांडेय सिंह, प्रदीप यादव के साथ इरफान अंसारी के नाम के चर्चे है. जिस पर से पर्दा 28नवंबर को ही उठेगा.
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