पाकुड़ः चक्रवात यास की मार से पाकुड़ में किसानों का बुरा हाल है. इससे हुई फसल की बर्बादी से एक तरफ केंद्र सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के मकसद को ठेस पहुंची है तो दूसरी तरफ इसने किसानों को और बड़ी आर्थिक परेशानी में धकेल दिया है.
बीते दिनों यास तूफान की वजह से पाकुड़ जिले में लगातार तीन दिनों तक हुई बारिश से खासकर पटसन, सब्जी, मक्का और धान की खेती करने वाले किसानों की फसल प्रभावित हुई है. बारिश के बाद खेतों में जमा पानी के कारण पाकुड़ सदर प्रखंड के अलावा ग्रामीण इलाकों सहित महेशपुर और हिरणपुर प्रखंड में सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भी खासा नुकसान हुआ है.
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700 हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद
कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक चक्रवात यास की वजह से हुई घनघोर बारिश से 700 हेक्टेयर से अधिक भूमि में लगी फसल और सब्जी बर्बाद हो गई है. बारिश के बाद खेतों में जमे पानी के कारण फसलों को हुए नुकसान से प्रभावित किसानों ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसानों का कहना है कि एक तो कोरोना के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही थी और फिर बारिश के बाद फसलें नष्ट होने के कारण कमर टूट गई है. किसानों ने बताया कि अगर उन्हें सरकारी सहायता या फसलों की क्षति पूर्ति नहीं मिली तो परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो जाएगा.
निचले इलाके में बारिश के पानी का जमाव
पाकुड़ सदर प्रखंड के निचले इलाके में बारिश का पानी नदी नालों के रास्ते जमा हो गया जिस कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई. कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पाकुड़ सदर प्रखंड के इलामी, तारानगर, कुसमानगर, लखीनारायणपुर, गुलदाहा, रामचंद्रपुर, चांदपुर, काबिलपुर, गंधाईपुर, हरिहरा, हरीगंज, नवादा, इशाकपुर, रहशपुर, सीतापहाड़ी, फरसा, झिकरहट्टी पूर्वी, इस्लामपुर, संग्रामपुर, रणडांगा, हिरणपुर, महेशपुर, मानिकापाड़ा, पृथिवीनगर, मनीरामपुर के अलावे महेशपुर प्रखंड के चंडालमारा, राजापुर, मकदमपुर, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बीचामहल आदि गांवों में हजारों किसानों के फसल बर्बाद हुए हैं.
बीते वर्ष का भी नहीं मिला मुआवजा
किसान बताते हैं कि बीते वर्ष भी 9 हजार किसानों की फसल इन इलाकों में ओला वृष्टि के कारण फसल बर्बाद हुई थी लेकिन अबतक किसानों को इसका मुआवजा नहीं मिला. इस मामले में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने दूरभाष पर बताया कि किसानों के फसल नुकसान को लेकर जल्द रिपोर्ट जमा करने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया गया है, ताकि सरकारी स्तर से उन्हें राहत पहुंचाई जा सके.
साथ ही डीसी और डीडीसी को नदी नालों के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है ताकि भविष्य में किसानों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े. वहीं, कृषि विभाग के तकनीकी पदाधिकारी मो. समीम ने बताया कि नुकसान का सर्वे कर लिया गया है और जल्द रिपोर्ट भेजी जाएगी ताकि किसानों को राहत पहुंचाया जा सके.