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पाकुड़ में जारी है सरकार और पारा मेडिकल कर्मियों की तकरार, हुई स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित - पाकुड़ में हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित

पाकुड़ में अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकलकर्मियों की हड़ताल जारी रहने के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित होने लगी है. दरअसल, इस हड़ताल का असर कोरोना जांच पर पड़ रहा है, जो आगे चल कर काफी परेशानियां खड़ी कर सकती है.

contract paramedical workers strike
पारा मेडिकलकर्मियों की हड़ताल
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Published : Aug 7, 2020, 3:56 PM IST

पाकुड़: कोरोना को खत्म करने के लिए देश विदेश में मुहिम चल रही है. शासन और प्रशासन कोरोना संक्रमण से बचाव, इसकी रोकथाम और पाए गए कोरोना संक्रमितों को समुचित इलाज मुहैया कराने में पूरी तरह से जुटा हुआ है, लेकिन इसी दौरान अपनी एक मात्र मांग सेवा स्थायी करने को लेकर अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकलकर्मी बीते कई दिनों से हड़ताल पर है. अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकलकर्मियों की जारी हड़ताल का न केवल कोरोना से निपटने, बल्कि दूसरी स्वास्थ्य व्यवस्था के संचालन पर भी असर होने लगा है. यहीं वजह है कि लोग अब कहने लगे है, यदि सरकार और पारा मेडिकलकर्मियों की जारी रही तकरार और खत्म नहीं हुआ हड़ताल, तो कोरोना की लड़ाई में शासन और प्रशासन कहीं हार न जाए. यदि ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से कोरोना का खामियाजा लोगों को ही भुगतना पड़ेगा.

पारा मेडिकलकर्मियों की हड़ताल

अनुबंध पारा चिकित्साकर्मी की हड़ताल
बीते चार दिनों से सेवा स्थायी करने की मांग को लेकर झारखंड अनुबंध पारा चिकित्साकर्मी संघ के आह्वान पर अनुबंध पर बहाल सैकड़ों कर्मचारी हड़ताल पर है और अपनी मांगों के समर्थन में सदर अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे है. इन अनुबंध पर बहाल कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी यदि किसी को झेलनी पड़ रही है तो वह पब्लिक के बाद प्रशासन ही है.

इसे भी पढ़ें- विश्वविद्यालयों में 552 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति पर ग्रहण, डाटा अपलोड करने में हो रही परेशानी

सैंपल संग्रह और जांच प्रभावित
हड़ताल की वजह से कोरोना के संभावित संक्रमितों का सैंपल संग्रह और जांच प्रभावित हुई है. इतना ही नहीं अन्य स्वास्थ्य व्यवस्थाएं जो राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित है, उन पर भी प्रतिकुल असर पड़ा है. जारी हड़ताल की वजह से मेल और फिमेल वार्ड में इलाजरत मरीजों की देखभाल, एसएनसीयु में कुपोषित बच्चों का समुचित उपचार, संस्थागत प्रसव, प्रयोगषाला में खुन जांच, यक्ष्मा और एड्स युनिट में मरीजों की जांच और दवा वितरण पर असर पड़ा है. हालांकि सिविल सर्जन डॉ. रामदेव पासवान तो यह दावा कर रहे है कि हड़ताली अनुबंध कर्मियों की वजह से कोई खास असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर नहीं पड़ा है, क्योंकि उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था बहाल कर ली है.

कोरोना जांच की धीमी प्रगति, सैंपल संग्रह की गति में कमी के अलावा अस्पतालों में इलाजरत मरीजों के समक्ष उत्पन्न समस्या यह बताने के लिए काफी है कि यदि अनुबंध पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल इसी तरह आगे भी जारी रही तो कोरोना के फैलाव को रोकने में शासन और प्रशासन के पसीने न छुट जाए.

पाकुड़: कोरोना को खत्म करने के लिए देश विदेश में मुहिम चल रही है. शासन और प्रशासन कोरोना संक्रमण से बचाव, इसकी रोकथाम और पाए गए कोरोना संक्रमितों को समुचित इलाज मुहैया कराने में पूरी तरह से जुटा हुआ है, लेकिन इसी दौरान अपनी एक मात्र मांग सेवा स्थायी करने को लेकर अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकलकर्मी बीते कई दिनों से हड़ताल पर है. अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकलकर्मियों की जारी हड़ताल का न केवल कोरोना से निपटने, बल्कि दूसरी स्वास्थ्य व्यवस्था के संचालन पर भी असर होने लगा है. यहीं वजह है कि लोग अब कहने लगे है, यदि सरकार और पारा मेडिकलकर्मियों की जारी रही तकरार और खत्म नहीं हुआ हड़ताल, तो कोरोना की लड़ाई में शासन और प्रशासन कहीं हार न जाए. यदि ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से कोरोना का खामियाजा लोगों को ही भुगतना पड़ेगा.

पारा मेडिकलकर्मियों की हड़ताल

अनुबंध पारा चिकित्साकर्मी की हड़ताल
बीते चार दिनों से सेवा स्थायी करने की मांग को लेकर झारखंड अनुबंध पारा चिकित्साकर्मी संघ के आह्वान पर अनुबंध पर बहाल सैकड़ों कर्मचारी हड़ताल पर है और अपनी मांगों के समर्थन में सदर अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे है. इन अनुबंध पर बहाल कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी यदि किसी को झेलनी पड़ रही है तो वह पब्लिक के बाद प्रशासन ही है.

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सैंपल संग्रह और जांच प्रभावित
हड़ताल की वजह से कोरोना के संभावित संक्रमितों का सैंपल संग्रह और जांच प्रभावित हुई है. इतना ही नहीं अन्य स्वास्थ्य व्यवस्थाएं जो राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित है, उन पर भी प्रतिकुल असर पड़ा है. जारी हड़ताल की वजह से मेल और फिमेल वार्ड में इलाजरत मरीजों की देखभाल, एसएनसीयु में कुपोषित बच्चों का समुचित उपचार, संस्थागत प्रसव, प्रयोगषाला में खुन जांच, यक्ष्मा और एड्स युनिट में मरीजों की जांच और दवा वितरण पर असर पड़ा है. हालांकि सिविल सर्जन डॉ. रामदेव पासवान तो यह दावा कर रहे है कि हड़ताली अनुबंध कर्मियों की वजह से कोई खास असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर नहीं पड़ा है, क्योंकि उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था बहाल कर ली है.

कोरोना जांच की धीमी प्रगति, सैंपल संग्रह की गति में कमी के अलावा अस्पतालों में इलाजरत मरीजों के समक्ष उत्पन्न समस्या यह बताने के लिए काफी है कि यदि अनुबंध पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल इसी तरह आगे भी जारी रही तो कोरोना के फैलाव को रोकने में शासन और प्रशासन के पसीने न छुट जाए.

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