पाकुड़: शासन और प्रशासन जरूरतंमदों को उनका हक दिलाने का काम जरूर कर रहा है. लेकिन पाकुड़ जिले में एक ऐसा विभाग भी है जिस पर हुक्मरानों का कोई डर नहीं है. नतीजतन इस विभाग के लाभुकों और खाताधारियों को अपनी ही जमा राशि पाने के लिए मगजमारी करनी पड़ रही है. क्योंकि प्रशासन पर एजेंट और ऋणधारी भारी जो साबित हो रहे हैं. हम बात कर रहे है जिला सहकारिता विभाग द्वारा संचालित पाकुड़ और सोनाजोड़ी लैम्पस का.
तत्कालीन झारखंड सरकार द्वारा गृह लक्ष्मी जमा वृद्धि योजना लागू की गयी. इसके तहत गरीब तबके के लोग अपना पेट काटकर लैम्पस में राशि जमा करेंगे और उन्हें एक मुश्त अपनी ही जमा राशि का भुगतान किया जाएगा. इस योजना के तहत राशि जमा करने वाले जमाकर्ताओं को ऋण मुहैया कराने का भी प्रावधान किया गया ताकि वो ऋण के पैसे से छोटा मोटा कारोबार कर आय वृद्धि कर सके और उनके जीवनस्तर में बदलाव आ सके.
लेकिन पाकुड़ जिले में गृह लक्ष्मी जमा वृद्धि योजना खाताधारियों को लाभ पहुंचाने से ज्यादा इस योजना के अभिकर्ताओं और बड़े बड़े पूंजीपतियों के लिए ज्यादा सार्थक साबित हुआ. नतीजा यह हुआ कि पैसा मैच्योर होने के सात से आठ साल बीतने के बावजूद अपनी ही जमा राशि का भुगतान पाने के लिए तकरीबन 900 खाताधारियों को मगजमारी करनी पड़ रही है. अब तो आलम यह हो गया है कि खाताधारी शासन प्रशासन के साथ ही सहकारिता विभाग के खिलाफ आंदोलन के लिए गोलबंद होने लगे है.
खाताधारियों की एकजुटता और आंदोलन की भनक मिलते ही सहकारिता विभाग ने पाकुड़ और सोनाजोड़ी लैम्पस से ऋण लेने वाले बड़े बकायेदारों की सूची अखबारों में बतौर इश्तेहार छपवाया है ताकि राशि की वसूली हो सके और कम से कम आंदोलन के लिए गोलबंद हुए खाताधारियों में यह विश्वास जग सके कि शासन प्रशासन उनके मामले में देर ही सही संवेदनशील जरूर है.
आंदोलन की राह पर लाभुकः लेकिन यही सक्रियता सहकारिता विभाग अभिकर्ताओं के खिलाफ दायर किये गये नीलामवाद और ऋणधारियों से राशि वसूली को लेकर पहले दिखायी होती तो वैसे खाताधारी जिन्होंने पेट काटकर राशि लैम्पस में जमा की थी मैच्युरिटी के बाद उन्हें अबतक मिल गये होते. फिलहाल खाताधारियों में अपनी मैच्युरिटी भुगतान को लेकर शासन और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. खाताधारियों ने अपनी ही राशि का भुगतान पाने के लिए संघर्ष मोर्चा का गठन किया है. खाताधारियों का यह मोर्चा पहले जिला प्रशासन को लिखित तौर पर राशि भुगतान के लिए ध्यान आकृष्ट करायेगा और फिर आंदोलन भी चालू करेगा.
इन लोगों से हो रही ऋण वसूलीः सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सोनाजोड़ी लैम्पस के ऋण लेने वाले में मो. सागीर अंसारी, राजू अंसारी, रज्जाक अंसारी, घनश्याम साहा, हेमंत कुमार मिश्रा, सुखदेव यादव, गौतम कुमार पांडेय, सुधीर कुमार वर्मन, अमित कुमार मिश्रा, मो. मेराज अहमद, मो. इस्तियाक अंसारी, मो. असफाक अंसारी, इम्तियाज अंसारी, परवेज अख्तर, सीता मिश्रा, फिरोज अंसारी, अरसद अंसारी, सतीश कुमार दास, दिनेश कुमार शर्मा, असगर अंसारी शामिल हैं.
इनके अलावा पाकुड़ लैम्पस से लोन लेने वालों मो. शाहरुख आलम, अकबरी बेगम, मो. शाहिद खां, राजा ओझा, मो. मजबूर शेख, उमाशंकर जयसवाल, राजेश कुमार केजरीवाल, असरफ अली, दयानंद पांडेय, बालमुकुंद मिश्रा, लोकनाथ भगत, सोमनाथ पाठक, राजेन्द्र कुमार टेकरीवाल, पूर्णिमा देवी, अनीश अंसारी, मो. जमालुद्दीन, सुधीर वर्मन, अजय पांडेय, राजा चौबे, शरीफ शेख, शबनम खातून, मो. महफूज आलम अंसारी, तपन कुमार भगत और आरजू बेगम शामिल हैं, इन सभी के खिलाफ नीलामवाद दायर है. जानकारी के अनुसार नोटिस जारी होने के 30 दिनों के अंदर अगर ली गयी ऋण राशि जमा नहीं की गयी तो नीलामपत्र पदाधिकारी द्वारा ऋणधरियों के खिलाफ लोक मांग वसूली अधिनियम के तहत गिरफ्तारी वारंट/कुर्की जब्ती की कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि सोनाजोड़ी एवं पाकुड़ लैम्पस से ऋण लेने के बाद उसे नहीं चुकाने और विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिये जाने के कारण खाताधारियों के मैच्युरिटी राशि देने में लैम्पस द्वारा असमर्थता जतायी. अब लाभुकों और खाताधारियों का हंगामा शुरू हुआ तो विभाग की नींद खुली और वसूली की कार्रवाई में तेजी दिखाई जा रही है. कुछ ऋणधारियों से वसूली कर खाताधारियों को राशि देना भी विभाग ने शुरू किया और अन्य खाताधारी इस आस में शांत हो गए कि विभाग वसूली कर जमा राशि देगी. लेकिन खाताधारियों को शांत देख विभाग के अधिकारी व कर्मी भी सुस्त हो गए हैं. हाल में ही जब खाताधारी विभाग को आंदोलन की चेतावनी दी तो विभाग एक बार फिर वसूली की प्रक्रिया फिर तेज कर दी गयी.