रांची/हैदराबादः संथाल की इस सीट पर कांग्रेस और जेएमएम का राज रहा है. कई बार यहां के नतीजे दिलचस्प रहे हैं. बीजेपी यहां से पहली बार केवल 9 वोटों से जीती थी. वहीं इसबार भी मुख्य मुकाबला जेएमएम और बीजेपी के बीच ही है.
राजमहल संसदीय सीट
राजमहल संथाल की दूसरी रिजर्व सीट है. यह पहाड़ी और गंगा नदी से घिरा हुआ संसदीय क्षेत्र है. राजमहल संसदीय क्षेत्र दो जिलों साहिबगंज और पाकुड़ को मिलाकर बना है. जिसमें 6 विधानसभा क्षेत्र राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़ और महेशपुर शामिल हैं.
सामाजिक तानाबाना
राजमहल की 90 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है. यहां 4.67 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. जबकि 37 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है. यहां मतदाताओं की कुल संख्या 14 लाख 53 हजार 511 है. जिसमें पुरूष मतदाता 7 लाख 41 हजार 410 हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 12 हजार 91 है और दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 2 हजार 400 है.
2019 का रण
2019 लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट पर कुल 14 प्रत्याशी हैं. संथाल की इस सीट पर भी मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और जेएमएम के बीच ही है. बीजेपी ने जहां एकबार फिर हेमलाल मुर्मू को यहां से उम्मीदवार बनाया है. वहीं जेएमएम ने मौजूदा सांसद विजय हांसदा को फिर से मैदान में उतारा है.
जेएमएम से विजय हांसदा हैं प्रत्याशी
विजय हांसदा जेएमएम के युवा नेता हैं. उनका जन्म अक्टूबर 1982 में साहिबगंज के बरहड़वा में हुआ. उन्होंने संत जेवियर स्कूल साहिबगंज से मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. उनके पिता थॉमस हांसदा कांग्रेस सांसद और झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष थे.
विजय हांसदा 2014 में जेएमएम से जुड़े. पार्टी ने उन्हें राजमहल सीट से टिकट दिया. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को हराया. चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. 2019 में पार्टी ने उनपर फिर से भरोसा जताया है.
बीजेपी से प्रत्याशी हैं हेमलाल मुर्मू
राजमहल सीट से बीजेपी ने एक बार फिर हेमलाल मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है. हेमलाल मुर्मू का जन्म अगस्त 1952 में गोड्डा में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की. बरहेट विधानसभा क्षेत्र उनकी कर्मभूमि रही. वो यहां से विधायक भी बने. साल 2004 में वो पहली बार राजमहल से सांसद बने. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता थॉमस हांसदा को हराया. साल 2009 में हुए चुनाव में उनकी हार हो गई. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी देवीधन बेसरा ने हराया.
साल 2014 में जेएमएम से नाराज होकर वो बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी ने उन्हें राजमहल से अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन वो एकबार फिर चुनाव हार गए. उन्हें जेएमएम प्रत्याशी विजय हांसदा ने हराया. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें बरहेट से उम्मीदवार बनाया. लेकिन वो इस बार चुनाव हार गए. उन्हें हेमंत सोरेन ने हराया. अप्रैल 2017 में एक बार फिर वो चुनावी मैदान में उतरे. लिट्टीपाड़ा उपचुनाव में बतौर उम्मीदवार उतरे, लेकिन इस बार भी वो जीत नहीं सके. जेएमएम के साइमन मरांडी ने उन्हें शिकस्त दी.