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किसको मिला लाभ-कौन हुआ गौण! पेयजल आपूर्ति योजना को लेकर पढ़िए ये रिपोर्ट

सरकार जनहित योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पीछे नहीं हटती. लाखों-करोड़ों खर्च किए जाते हैं ताकि योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिल सके. लेकिन इसका कितना फायदा लोगों को मिल पाता है, इसका भगवान ही मालिक है. पाकुड़ का हाल जानिए, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से.

bad condition of water tank and pipes built after spending lakhs in Pakur
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 12, 2023, 2:39 PM IST

Updated : Sep 12, 2023, 5:39 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पाकुड़: लाखों खर्च के बाद पानी टंकी बनीं और पाइप बिछाई गयीं लेकिन सब कुछ आज बदहाल स्थिति में है. पाकुड़ में पेयजल आपूर्ति योजना का आलम ऐसा है कि कई गांवों को पीने के पानी के लिए रोज जद्दोजदह करना पड़ता है. लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं धरातल पर उतारी गयीं. जिसका ज्यादा लाभ ठेकेदारों को मिला पर ग्रामीणों को आज भी पीने का पानी तक नहीं मिला.

इसे भी पढ़ें- Water Supply Scheme की हकीकत: जलमीनार पर करोड़ों खर्च, एनओसी नहीं मिलने से लाभ शून्य

पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के शहरग्राम, पलियादाहा, श्रीरामगढ़िया, अर्जुनदाहा, बिरकीबथान, पथरिया, बरमसिया, लिट्टीपाड़ा का तालपहाड़ी, कदमटोला, मासधारी, पकटोटी, तारामाटोला, गाडाटोला समेत दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां के लोग हर रोज जल के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. क्योंकि इन्हें पेयजल मुहैया कराने के लिए वर्षों पूर्व जो योजना धरातल पर उतारी गयी थी, उसने बीच में दम तोड़ दिया.

गांव की महिलाएं हों, बच्चे और बुजुर्ग सुबह होते ही पेयजल की तलाश में घर से बर्तन लेकर लंबी दूरी तय करने को विवश हैं. शासन और प्रशासन अगर महेशपुर प्रखंड के बांसलोई नदी पर बनाये गये पंप हाउस और पानी टंकी को सही तरीके से चालू कर देता तो हजारों लोगों को पीने का पानी मिल पाता. महेशपुर प्रखंड के शहरग्राम में सोलर युक्त पेयजल आपूर्ति योजना के दम तोड़ने के कारण कई गांव के लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

बता दें कि सरकार द्वारा हर घर नल जल योजना के तहत लोगों के घरों तक पीने का पानी मुहैया कराने के लिए काम किया जा रहा है. लेकिन सवाल यह उठ रहा कि वर्षों पहले शुरू की गयी योजनाओं को ही अगर सही तरीके से क्रियाशील कर दिया जाता तो आज लोगों को पानी के लिए कड़ी मशक्कत नहीं करनी पड़ती. इस बदहाली को लेकर ग्रामीणों में शासन और प्रशासन के साथ-साथ पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है.

ग्रामीण विनय मड़ैया, मंगला पहाड़िया, नूर आलम शेख के मुताबिक जिस वक्त इन योजनाओं को धरातल पर उतारा गया, उसके महज एक या दो माह के बाद ही पानी की सप्लाई बंद हो गयी. ग्रामीणों ने प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय के अधिकारियों, अभियंताओं, पंचायत एवं जनप्रतिनिधियों से लिखित और मौखिक शिकायत की लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वहीं भाजपा नेता सुरेंद्र प्रसाद भगत ने बताया कि पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन ने कोई खास कदम नहीं उठाया. भाजपा नेता ने कहा कि चापानल मरम्मती के नाम पर सिर्फ लूट खसोट हुआ है, जिससे आम जनता परेशान हैं.

पेयजल की समस्या को लेकर पाकुड़ डीसी मृत्युंजय बरनवाल ने बताया कि जिले की पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की किल्लत है, संबंधित प्रखंडों के बीडीओ एवं पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता को आपसी समन्वय स्थापित कर सर्वे करने का निर्देश दिया गया है. जिससे आने वाले समय में पेयजल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा. डीसी ने कहा कि महेशपुर में बांसलोई नदी में बनाये गए पंप एवं टंकी की वर्तमान स्थिति की जांच करायी जाएगी. डीसी ने कहा कि प्रशासन की ओर से एक टोल फ्री नंबर जारी किया है और जहां चापानल व मिनी जलापूर्ति योजना खराब है उस नंबर पर जानकारी देने पर उस समस्या को प्राथमिकता के आधार में दुरुस्त कराया जाएगा. इसके साथ ही अन्य जलापूर्ति योजनाओं की जांच कराया जाएगा और आगे उसे भी दुरुस्त कराया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पाकुड़: लाखों खर्च के बाद पानी टंकी बनीं और पाइप बिछाई गयीं लेकिन सब कुछ आज बदहाल स्थिति में है. पाकुड़ में पेयजल आपूर्ति योजना का आलम ऐसा है कि कई गांवों को पीने के पानी के लिए रोज जद्दोजदह करना पड़ता है. लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं धरातल पर उतारी गयीं. जिसका ज्यादा लाभ ठेकेदारों को मिला पर ग्रामीणों को आज भी पीने का पानी तक नहीं मिला.

इसे भी पढ़ें- Water Supply Scheme की हकीकत: जलमीनार पर करोड़ों खर्च, एनओसी नहीं मिलने से लाभ शून्य

पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के शहरग्राम, पलियादाहा, श्रीरामगढ़िया, अर्जुनदाहा, बिरकीबथान, पथरिया, बरमसिया, लिट्टीपाड़ा का तालपहाड़ी, कदमटोला, मासधारी, पकटोटी, तारामाटोला, गाडाटोला समेत दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां के लोग हर रोज जल के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. क्योंकि इन्हें पेयजल मुहैया कराने के लिए वर्षों पूर्व जो योजना धरातल पर उतारी गयी थी, उसने बीच में दम तोड़ दिया.

गांव की महिलाएं हों, बच्चे और बुजुर्ग सुबह होते ही पेयजल की तलाश में घर से बर्तन लेकर लंबी दूरी तय करने को विवश हैं. शासन और प्रशासन अगर महेशपुर प्रखंड के बांसलोई नदी पर बनाये गये पंप हाउस और पानी टंकी को सही तरीके से चालू कर देता तो हजारों लोगों को पीने का पानी मिल पाता. महेशपुर प्रखंड के शहरग्राम में सोलर युक्त पेयजल आपूर्ति योजना के दम तोड़ने के कारण कई गांव के लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

बता दें कि सरकार द्वारा हर घर नल जल योजना के तहत लोगों के घरों तक पीने का पानी मुहैया कराने के लिए काम किया जा रहा है. लेकिन सवाल यह उठ रहा कि वर्षों पहले शुरू की गयी योजनाओं को ही अगर सही तरीके से क्रियाशील कर दिया जाता तो आज लोगों को पानी के लिए कड़ी मशक्कत नहीं करनी पड़ती. इस बदहाली को लेकर ग्रामीणों में शासन और प्रशासन के साथ-साथ पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है.

ग्रामीण विनय मड़ैया, मंगला पहाड़िया, नूर आलम शेख के मुताबिक जिस वक्त इन योजनाओं को धरातल पर उतारा गया, उसके महज एक या दो माह के बाद ही पानी की सप्लाई बंद हो गयी. ग्रामीणों ने प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय के अधिकारियों, अभियंताओं, पंचायत एवं जनप्रतिनिधियों से लिखित और मौखिक शिकायत की लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वहीं भाजपा नेता सुरेंद्र प्रसाद भगत ने बताया कि पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन ने कोई खास कदम नहीं उठाया. भाजपा नेता ने कहा कि चापानल मरम्मती के नाम पर सिर्फ लूट खसोट हुआ है, जिससे आम जनता परेशान हैं.

पेयजल की समस्या को लेकर पाकुड़ डीसी मृत्युंजय बरनवाल ने बताया कि जिले की पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की किल्लत है, संबंधित प्रखंडों के बीडीओ एवं पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता को आपसी समन्वय स्थापित कर सर्वे करने का निर्देश दिया गया है. जिससे आने वाले समय में पेयजल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा. डीसी ने कहा कि महेशपुर में बांसलोई नदी में बनाये गए पंप एवं टंकी की वर्तमान स्थिति की जांच करायी जाएगी. डीसी ने कहा कि प्रशासन की ओर से एक टोल फ्री नंबर जारी किया है और जहां चापानल व मिनी जलापूर्ति योजना खराब है उस नंबर पर जानकारी देने पर उस समस्या को प्राथमिकता के आधार में दुरुस्त कराया जाएगा. इसके साथ ही अन्य जलापूर्ति योजनाओं की जांच कराया जाएगा और आगे उसे भी दुरुस्त कराया जाएगा.

Last Updated : Sep 12, 2023, 5:39 PM IST
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