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लोहरदगा की महिलाएं कर रही है जूट के थैले का निर्माण, अपनी मेहनत से संवार रही अपना भविष्य

लोहरदगा की महिलाएं जूट के थैले का निर्माण कर अपने हौसलों को उड़ान देने में लगी है. उनके इस स्वरोजगार में उनका साथ दे रहा है नाबार्ड और लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड.

जूट के थैले का निर्माण करती महिलाएं
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Published : Sep 13, 2019, 1:35 PM IST

लोहरदगा: महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे जरूरी है उनका आर्थिक रूप से सुदृढ़ होना और इस आर्थिक सुदृढ़ता के लिए जरूरी है रोजगार पर उनकी निर्भरता. रोगजार वो भी स्वरोजगार हो तो फिर कहना ही क्या, फिर तो उन्हें उनकी तकदीर बदलने से कोई नहीं रोक सकता. आज लोहरदगा के इस्लामनगर की महिलाएं इस स्वरोजगार के माध्यम से ही अपने भविष्य को संवारने में लगी है.

देखें स्पेशल स्टोरी


महिलाएं कर रही हैं जूट के थैले का निर्माण
झारखंड में सरकार ने पॉलिथीन से हो रहे नुकसान को देखते हुए पॉलिथीन को प्रतिबंधित क्या किया, इस्लामनगर की महिलाओं को रोजगार का नया साधन मिल गया. पॉलिथीन के बदले सरकार अन्य विकल्प तलाशने पर जोर दे रही है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करे बल्कि रोजगार के नए दरवाजे भी खोले. सरकार की इसी सोच के तहत इस्लामनगर की महिलाओं ने जूट के थैले का निर्माण करना शुरू कर दिया.

यह भी पढ़ें- गुंजन सक्सेना की साहसिक उड़ान, कारगिल युद्ध में दुश्मनों के नापाक मंसूबे को किया नाकाम

जुट के थैले से कर रही पर्यावरण की सुरक्षा
पर्यावरण के लिए सुरक्षित, सुंदर और टिकाउ जूट के थैलों के निर्माण से महिलाओं को घर बैठे-बैठे ही रोजगार मिल गया है. वे अपना घर-परिवार संभालते हुए अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में लग गई है. सुंदर और कढ़ाई किए हुए इन जूट बैग की मांग भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है.


नाबार्ड के सहयोग से मिल रहा है इन्हें बाजार
जूट बैग की सुंदरता और वर्तमान समय में इसकी उपयोगिता ने महिलाओं को इस काम से जोड़े रखा है. नाबार्ड के सहयोग से संचालित लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से महिलाएं जूट बैग के निर्माण में जुटी हैं. घर बैठे काम मिलने की वजह से इन्हें और कोई परेशानी तो नहीं होती और जो मुख्य परेशानी है बाजार की. उस समस्या का हल भी नाबार्ड और लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड कर देती है. महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराने और कच्चा माल खरीदने में दोनों ही संस्थाओं का पूरा सहयोग मिलता है. जिससे यह महिलाएं अपने काम को पूरी लगन से कर रही है.

यह भी पढ़ें- 17 सालों से बन रहा बराज अब भी अधूरा, 2016 में CM रघुवर दास ने दोबारा किया था शिलान्यास


सरकार से सहयोग की अपील
एक दिन में एक महिला लगभग 4-5 थैले का निर्माण कर जरूरत भर आय कर लेती है. ऐसे में वे चाहती हैं कि इस काम को वे जारी रख सकें. लेकिन इस काम के लिए जरूरत है उन्हें बड़े बाजार की, जिसके लिए उन्हें सरकारी सहयोग की आवश्यकता है. वे चाहती हैं कि सरकार उन्हें सुविधा और बाजार दोनों उपलब्ध कराए.


प्रत्येक महिला में उद्यमिता के गुण और मूल्य तो होते ही हैं लेकिन बिना किसी सहयोग के कम ही इसे धरातल पर उतार पाते हैं. इस्लामनगर की महिलाओं ने यह अनोखी कोशिश कर यह बता दिया कि देश की दशा-दिशा बदलने में महिला की ही सबसे बड़ी भूमिका होती है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में उनकी कोशिश वाकई काबिल-ए-तारिफ है.

लोहरदगा: महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे जरूरी है उनका आर्थिक रूप से सुदृढ़ होना और इस आर्थिक सुदृढ़ता के लिए जरूरी है रोजगार पर उनकी निर्भरता. रोगजार वो भी स्वरोजगार हो तो फिर कहना ही क्या, फिर तो उन्हें उनकी तकदीर बदलने से कोई नहीं रोक सकता. आज लोहरदगा के इस्लामनगर की महिलाएं इस स्वरोजगार के माध्यम से ही अपने भविष्य को संवारने में लगी है.

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महिलाएं कर रही हैं जूट के थैले का निर्माण
झारखंड में सरकार ने पॉलिथीन से हो रहे नुकसान को देखते हुए पॉलिथीन को प्रतिबंधित क्या किया, इस्लामनगर की महिलाओं को रोजगार का नया साधन मिल गया. पॉलिथीन के बदले सरकार अन्य विकल्प तलाशने पर जोर दे रही है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करे बल्कि रोजगार के नए दरवाजे भी खोले. सरकार की इसी सोच के तहत इस्लामनगर की महिलाओं ने जूट के थैले का निर्माण करना शुरू कर दिया.

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जुट के थैले से कर रही पर्यावरण की सुरक्षा
पर्यावरण के लिए सुरक्षित, सुंदर और टिकाउ जूट के थैलों के निर्माण से महिलाओं को घर बैठे-बैठे ही रोजगार मिल गया है. वे अपना घर-परिवार संभालते हुए अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में लग गई है. सुंदर और कढ़ाई किए हुए इन जूट बैग की मांग भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है.


नाबार्ड के सहयोग से मिल रहा है इन्हें बाजार
जूट बैग की सुंदरता और वर्तमान समय में इसकी उपयोगिता ने महिलाओं को इस काम से जोड़े रखा है. नाबार्ड के सहयोग से संचालित लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से महिलाएं जूट बैग के निर्माण में जुटी हैं. घर बैठे काम मिलने की वजह से इन्हें और कोई परेशानी तो नहीं होती और जो मुख्य परेशानी है बाजार की. उस समस्या का हल भी नाबार्ड और लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड कर देती है. महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराने और कच्चा माल खरीदने में दोनों ही संस्थाओं का पूरा सहयोग मिलता है. जिससे यह महिलाएं अपने काम को पूरी लगन से कर रही है.

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सरकार से सहयोग की अपील
एक दिन में एक महिला लगभग 4-5 थैले का निर्माण कर जरूरत भर आय कर लेती है. ऐसे में वे चाहती हैं कि इस काम को वे जारी रख सकें. लेकिन इस काम के लिए जरूरत है उन्हें बड़े बाजार की, जिसके लिए उन्हें सरकारी सहयोग की आवश्यकता है. वे चाहती हैं कि सरकार उन्हें सुविधा और बाजार दोनों उपलब्ध कराए.


प्रत्येक महिला में उद्यमिता के गुण और मूल्य तो होते ही हैं लेकिन बिना किसी सहयोग के कम ही इसे धरातल पर उतार पाते हैं. इस्लामनगर की महिलाओं ने यह अनोखी कोशिश कर यह बता दिया कि देश की दशा-दिशा बदलने में महिला की ही सबसे बड़ी भूमिका होती है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में उनकी कोशिश वाकई काबिल-ए-तारिफ है.

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स्टोरी- सरकार ने पॉलिथीन के खिलाफ छेड़ा अभियान तो महिलाओं के जाग उठे अरमान
वी/ओ- सरकार ने पॉलिथीन को प्रतिबंधित कर दिया है. पर्यावरण को पॉलिथीन की वजह से हो रहे नुकसान को देखते हुए अब पॉलिथीन का उपयोग बंद हो चुका है. ऐसे में पॉलिथीन के विकल्प के रूप में महिलाओं द्वारा निर्मित जूट का बैग खासा लोकप्रिय हो रहा है. यही वजह है कि महिलाओं के अरमानों को पंख लग चुके हैं. लोहरदगा के इस्लामनगर में महिलाओं की टोली जूट बैग का निर्माण कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में जुट गई है. सुंदर और कढ़ाई किए हुए इन जूट बैग की मांग भी बढ़ रही है.

बाइट- रिजवान खातून, सदस्य, लावापानी क्राफ्ट लिमिटिड
बाइट- अमर देवघरिया, सीईओ, लावापानी क्राफ्ट लिमिटिड

वी/ओ- जूट बैग की सुंदरता और वर्तमान समय में इसकी उपयोगिता ने महिलाओं को इस काम से जोड़े रखा है. नाबार्ड के सहयोग से लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से महिलाएं आज जूट बैग के निर्माण में जुट गई है. जिससे इनकी आर्थिक स्थिति में भी तेजी से सुधार हो रहा है. घर बैठे काम मिलने की वजह से इन्हें कोई परेशानी नहीं होती. बाजार की समस्या भी नहीं है. नाबार्ड और लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड का इसमें पूरा सहयोग मिलता है. जिससे यह महिलाएं अपने काम को पूरी लगन से कर रही है. इन्हें सरकार से सहयोग की उम्मीद भी है. महिलाओं का साफ कहना है कि यदि सरकार मदद करें तो यह इस काम को और भी बेहतर ढंग से कर सकती हैं.

बाइट- हसीना खातून, सदस्य, लावापानी क्राफ्ट लिमिटिड
बाइट- अख्तरी खातून, सदस्य, लावापानी क्राफ्ट लिमिटिड

वी/ओ- जूट बैग का निर्माण कर महिलाएं आज संगठित भी हो रही है. दिलचस्प बात यह है कि इन्हें ना तो कच्चे माल के लिए भटकना पड़ता है और ना ही तैयार माल को बेचने के लिए. बस इन्हें सरकारी सहायता या कहे कि आर्थिक मजबूती मिल जाए तो इसे महिलाएं बड़े पैमाने पर कर सकती हैं. जूट बैग का प्रचलन बढ़ने से पॉलीथिन के उपयोग पर भी रोक लग पा रहा है. लोग अब जूट बैग को उपयोग में लाकर अपने दैनिक कार्यों में इसका उपयोग कर रहे हैं. जिससे इनकी मांग बढ़ती ही जा रही है.


Body:जूट बैग का निर्माण कर महिलाएं आज संगठित भी हो रही है. दिलचस्प बात यह है कि इन्हें ना तो कच्चे माल के लिए भटकना पड़ता है और ना ही तैयार माल को बेचने के लिए. बस इन्हें सरकारी सहायता या कहे कि आर्थिक मजबूती मिल जाए तो इसे महिलाएं बड़े पैमाने पर कर सकती हैं. जूट बैग का प्रचलन बढ़ने से पॉलीथिन के उपयोग पर भी रोक लग पा रहा है. लोग अब जूट बैग को उपयोग में लाकर अपने दैनिक कार्यों में इसका उपयोग कर रहे हैं. जिससे इनकी मांग बढ़ती ही जा रही है.


Conclusion:पॉलिथीन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बाद सरकार ने जब पॉलिथीन को प्रतिबंधित करते हुए इसके उपयोग को पूरी तरह से बंद करने का फरमान सुनाया तो लोहरदगा की महिलाओं ने जूट बैग के सहारे अपने अरमानों को पंख दे दिए.
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