लोहरदगाः दो बार विधायक और झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वह लोहरदगा लोकसभा सीट से महागठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
प्रशासनिक सेवा छोड़ जुड़े राजनीति से
लोहरदगा के नदिया गांव के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय गंधर्व भगत के बेटे सुखदेव भगत ने पहले प्रशासनिक सेवा को अपना भविष्य चुना था. कुछ समय तक प्रशासनिक सेवा में अपना योगदान देने के बाद सुखदेव भगत को राजनीति के जरिए आम लोगों की सेवा करने की चाहत हुई. पिता स्वतंत्रता सेनानी थे इसलिए जनकल्याण की इच्छा से राजनीति में आने का फैसला लिया.
हार के बाद भी बने रहे कांग्रेस का भरोसा
2004 के झारखंड विधानसभा चुनाव में लोहरदगा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए सुखदेव भगत ने पहली बार चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद साल 2009 और साल 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा के संयुक्त उम्मीदवार कमल किशोर भगत के हाथों सुखदेव भगत को हार का सामना करना पड़ा था. तब लगा था कि सुखदेव भगत का राजनीतिक करियर अब समाप्त हो चुका है. इसी बीच कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में सुखदेव भगत पर भरोसा जताते हुए मई 2013 में उन्हें झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया था.
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उपचुनाव में जीत कर बने विद्यायक
2014 में जब डॉक्टर से मारपीट के मामले में कमल किशोर भगत को सजा हुई तो लोहरदगा विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो गई. 2015 में हुए उपचुनाव में सुखदेव भगत ने एनडीए के संयुक्त उम्मीदवार कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को हराकर फिर एक बार लोहरदगा विधानसभा की सीट अपने नाम कर ली.
2019 में फिर से जीता भरोसा
इस बार लोहरदगा लोकसभा सीट से पूर्व सांसद डॉ रामेश्वर उरांव के अलावा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सह प्रभारी डॉ अरुण उरांव के टिकट की रेस में थे. इसके बावजूद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में सुखदेव भगत पर भरोसा जताते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट थमा दिया है. अब यहां पर चुनाव काफी रोचक हो चुका है. यहां एक ओर भाजपा के सुदर्शन भगत और दूसरी ओर कांग्रेस के टिकट पर सुखदेव भगत के बीच मुकाबला है.