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लोहरदगा में कर्फ्यू के बाद शरणार्थियों की तरह जीवन जीने को विवश हैं लोग

लोहरदगा में हुई घटना के बाद कर्फ्यू की वजह से लोग अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे हुए हैं. शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में अभी ढाई सौ लोग फंसे हुए हैं. जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं, वृद्ध और युवा भी शामिल हैं.

People are facing problems
लोहरदगा में कर्फ्यू
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Published : Jan 25, 2020, 6:30 PM IST

लोहरदगा: जिले में हिंसक घटनाओं के बाद कर्फ्यू की वजह से लोग अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे हुए हैं. अपने ही घर में लोग शरणार्थियों का जीवन जीने को विवश हैं. न तो उन तक कोई राहत पहुंच पाई है और न ही उन्हें वापस उनके घरों तक पहुंचाने को लेकर कोई प्रशासनिक कोशिश ही हुई है.

देखिए पूरी खबर

शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में अभी ढाई सौ लोग फंसे हुए हैं. जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं, वृद्ध और युवा भी शामिल हैं. इनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो विगत गुरुवार को हिंसा की घटना के बाद घर से बेघर होने को विवश हो गए थे. इनके लिए सिर छिपाने की समस्या थी. अपनी जान बचाने को लेकर सभी परेशान थे. ऐसे में शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में इन्हें शरण मिली, जहां पर स्थानीय सामाजिक संगठनों द्वारा इनके लिए भोजन और रहने का प्रबंध किया गया.

आज भी यह सभी परिवार एक खौफ के माहौल में जीने को विवश हैं. उन्हें लग रहा है कि वह कब अपने घरों तक पहुंच पाएंगे. मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले ऐसे परिवारों को आज अपने घर जाने में भी डर का एहसास होता है. लोगों को अपने घर की चिंता तो लग ही रही हैं साथ ही यह भी चिंता सता रही है कि पता नहीं कब वह अपने घरों में वापस उस चैन की जिंदगी को जी पाएंगे.

ये भी पढे़ं: बजरंग दल के बुलाए गए गुमला बंद का व्यापक असर, रांची प्रक्षेत्र डीआईजी खुद कर रहे शहर का निरीक्षण
लोहरदगा की हालात अब भी बदतर बनी हुई है. कर्फ्यू की वजह से जनजीवन असामान्य है. लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है. खाने-पीने के भी लाले पड़े हुए हैं. दैनिक उपयोग का सामान भी नहीं मिल पा रहा. शहर के धर्मशाला रोड में जो लोग ठहरे हुए हैं उनके लिए अपने परिवार की सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत है. इन्हें अब तक प्रशासनिक सहायता नहीं मिल पाई है. लगातार फरियाद के बावजूद यह सभी अभी यहीं धर्मशाला में पिछले 72 घंटे से भी ज्यादा समय से फंसे हुए हैं.

लोहरदगा: जिले में हिंसक घटनाओं के बाद कर्फ्यू की वजह से लोग अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे हुए हैं. अपने ही घर में लोग शरणार्थियों का जीवन जीने को विवश हैं. न तो उन तक कोई राहत पहुंच पाई है और न ही उन्हें वापस उनके घरों तक पहुंचाने को लेकर कोई प्रशासनिक कोशिश ही हुई है.

देखिए पूरी खबर

शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में अभी ढाई सौ लोग फंसे हुए हैं. जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं, वृद्ध और युवा भी शामिल हैं. इनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो विगत गुरुवार को हिंसा की घटना के बाद घर से बेघर होने को विवश हो गए थे. इनके लिए सिर छिपाने की समस्या थी. अपनी जान बचाने को लेकर सभी परेशान थे. ऐसे में शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में इन्हें शरण मिली, जहां पर स्थानीय सामाजिक संगठनों द्वारा इनके लिए भोजन और रहने का प्रबंध किया गया.

आज भी यह सभी परिवार एक खौफ के माहौल में जीने को विवश हैं. उन्हें लग रहा है कि वह कब अपने घरों तक पहुंच पाएंगे. मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले ऐसे परिवारों को आज अपने घर जाने में भी डर का एहसास होता है. लोगों को अपने घर की चिंता तो लग ही रही हैं साथ ही यह भी चिंता सता रही है कि पता नहीं कब वह अपने घरों में वापस उस चैन की जिंदगी को जी पाएंगे.

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लोहरदगा की हालात अब भी बदतर बनी हुई है. कर्फ्यू की वजह से जनजीवन असामान्य है. लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है. खाने-पीने के भी लाले पड़े हुए हैं. दैनिक उपयोग का सामान भी नहीं मिल पा रहा. शहर के धर्मशाला रोड में जो लोग ठहरे हुए हैं उनके लिए अपने परिवार की सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत है. इन्हें अब तक प्रशासनिक सहायता नहीं मिल पाई है. लगातार फरियाद के बावजूद यह सभी अभी यहीं धर्मशाला में पिछले 72 घंटे से भी ज्यादा समय से फंसे हुए हैं.

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स्टोरी-लोहरदगा में कर्फ्यू के बाद शरणार्थियों की तरह जीवन जीने को विवश हैं लोग
वॉकथ्रू-
एंकर- लोहरदगा जिले में हिंसक घटनाओं के बाद कर्फ्यू की वजह से लोग अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे हुए हैं. अपने ही घर में लोग शरणार्थियों का जीवन जीने को विवश हैं. ना तो उन तक कोई राहत पहुंच पाई है और ना ही उन्हें वापस उनके घरों तक पहुंचाने को लेकर कोई प्रशासनिक कोशिश ही हुई है. लोगों की परेशानी काफी गंभीर है. उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है.


इंट्रो- शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में अभी ढाई सौ लोग फंसे हुए हैं. जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं, वृद्ध और युवा भी शामिल हैं. इनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो विगत गुरुवार को हिंसा की घटना के बाद घर से बेघर होने को विवश हो गए थे. इनके लिए सर छिपाने की समस्या थी. अपनी जान बचाने को लेकर सभी परेशान थे. ऐसे में शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में इन्हें शरण मिली. जहां पर स्थानीय सामाजिक संगठनों द्वारा इनके लिए भोजन और रहने का प्रबंध किया गया. आज भी यह सभी परिवार एक खौफ के माहौल में जीने को विवश हैं. उन्हें लग रहा है कि जाने वह कब अपने घरों तक पहुंच पाएंगे. मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले ऐसे परिवारों को आज अपने घर जाने में भी डर का एहसास होता है. लोग अपने घर की चिंता तो लग ही रही हैं. साथ ही यह भी चिंता सता रही है कि पता नहीं कब वह अपने घरों में वापस उस चैन की जिंदगी को जी पाएंगे. लोहरदगा के हालात अब भी काफी बदतर बने हुए हैं. कर्फ्यू की वजह से जनजीवन असामान्य है. लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है. खाने-पीने के भी लाले पड़े हुए हैं. दैनिक उपयोग के सामान भी नहीं मिल पा रहे. शहर के धर्मशाला रोड में जो लोग ठहरे हुए हैं उनके लिए अपने परिवार की सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत है. इन्हें अब तक प्रशासनिक सहायता नहीं मिल पाई है. लगातार फरियाद के बावजूद यह सभी अभी यहीं धर्मशाला में पिछले 72 घंटे से भी ज्यादा समय से फंसे हुए हैं.


Body:शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में अभी ढाई सौ लोग फंसे हुए हैं. जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं, वृद्ध और युवा भी शामिल हैं. इनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो विगत गुरुवार को हिंसा की घटना के बाद घर से बेघर होने को विवश हो गए थे. इनके लिए सर छिपाने की समस्या थी. अपनी जान बचाने को लेकर सभी परेशान थे. ऐसे में शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में इन्हें शरण मिली. जहां पर स्थानीय सामाजिक संगठनों द्वारा इनके लिए भोजन और रहने का प्रबंध किया गया. आज भी यह सभी परिवार एक खौफ के माहौल में जीने को विवश हैं. उन्हें लग रहा है कि जाने वह कब अपने घरों तक पहुंच पाएंगे. मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले ऐसे परिवारों को आज अपने घर जाने में भी डर का एहसास होता है. लोग अपने घर की चिंता तो लग ही रही हैं. साथ ही यह भी चिंता सता रही है कि पता नहीं कब वह अपने घरों में वापस उस चैन की जिंदगी को जी पाएंगे. लोहरदगा के हालात अब भी काफी बदतर बने हुए हैं. कर्फ्यू की वजह से जनजीवन असामान्य है. लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है. खाने-पीने के भी लाले पड़े हुए हैं. दैनिक उपयोग के सामान भी नहीं मिल पा रहे. शहर के धर्मशाला रोड में जो लोग ठहरे हुए हैं उनके लिए अपने परिवार की सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत है. इन्हें अब तक प्रशासनिक सहायता नहीं मिल पाई है. लगातार फरियाद के बावजूद यह सभी अभी यहीं धर्मशाला में पिछले 72 घंटे से भी ज्यादा समय से फंसे हुए हैं.


Conclusion:लोहरदगा में लोग शरणार्थियों की तरह रहने को विवश हैं. हिंसक घटनाओं के बाद कई परिवार शहर के गुदरी बाजार स्थित धर्मशाला में शरण लिए हुए हैं. जिनके लिए अपनी परिवार की सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत है. इन्हें अब तक कोई प्रशासनिक सहायता नहीं मिल पाई है. इनके लिए सामाजिक संगठनों ने भोजन और रहने का प्रबंध किया है.
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