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लोहरदगाः सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा जल मीनार, लोगों की नहीं बुझ रही प्यास - लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड में जल मीनार

लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड कार्यालय परिसर में लाखों रुपए की लागत से बनाया गया जल मीनार खुद ही प्यासा है. इस जल मीनार का निर्माण 4 साल पहले किया गया था. तब से लेकर आज तक यह जल मीनार किसी की प्यास ही नहीं बुझा पाया. जल मीनार का निर्माण कराने के बाद से लेकर आज तक यह खराब और बदहाल पड़ा हुआ है.

लोहरदगाः सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा जल मीनार, लोगों की नहीं बुझ रही प्यास
पानी भरते ग्रामीण
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Published : Feb 28, 2020, 2:48 PM IST

लोहरदगाः जिले के सेन्हा प्रखंड कार्यालय परिसर में लाखों रुपए की लागत से बनाया गया, लेकिन जल मीनार खुद ही प्यासा है. इस जल मीनार का निर्माण 4 साल पहले किया गया था. तब से लेकर आज तक यह जल मीनार किसी की प्यास ही नहीं बुझा पाया. जल मीनार का निर्माण कराने के बाद से लेकर आज तक यह खराब और बदहाल पड़ा हुआ है.

देखें पूरी खबर

और पढ़ें-राहुल गांधी को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत, किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का आदेश

हर रोज सेन्हा प्रखंड कार्यालय में अपने काम को लेकर आने वाले लोग जब जल मीनार के पास पानी की आस लगाए हुए पहुंचते हैं, तो उन्हें निराशा का सामना करना पड़ता है. प्यास बुझाने के लिए लोग होटल और ठेला में शरण लेने को विवश होते हैं, यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. मजबूरी में उन्हें बोतलबंद पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है.

ना कोई सुनता है फरियाद, ना अधिकारियों को है पता

इस जल मीनार का निर्माण किस विभाग से कराया गया था, यह ना तो आम आदमी को पता है ना ही अधिकारियों को. जल मीनार का निर्माण जैसे-तैसे करा दिया गया, यह कभी आम आदमी की प्यास को बुझा ही नहीं पाया. ग्रामीण हर रोज अधिकारियों के पास इस जल मीनार की मरम्मत की मांग को लेकर पहुंचते हैं. अपनी समस्याएं भी बताते हैं, बावजूद इसके उनकी फरियाद कोई नहीं सुन रहा. सेन्हा जिला परिषद सदस्य राम लखन प्रसाद कहते हैं कि उन्हें भी पता नहीं किस जल मीनार का निर्माण कब और कैसे और किसने कराया था. वह इस मामले को लेकर विभाग से संपर्क करते हुए जल मीनार की मरम्मत कराने की कोशिश करेंगे. बहरहाल यह तो एक सरकारी आश्वासन है, इस समस्या का समाधान जाने कब होगा यह पता नहीं.

पानी की तलाश में भटकते हैं लोग

सेन्हा प्रखंड मुख्यालय लोहरदगा जिले के सबसे बड़े प्रखंडों में से एक है. यहां पर हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पहुंचते हैं. जब उन्हें प्यास लगती है तो पानी के लिए उन्हें भटकना पड़ता है. प्रखंड मुख्यालय होने के बावजूद यहां पर पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं है. निराश होकर लोग बोतलबंद पानी खरीदने को विवश हैं. अब उनकी पीड़ा को समझा जा सकता है कि जो पेंशन के लिए हर रोज प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहा हो उसे जब बोतल बंद पानी खरीद कर पीना पड़े तो उसके लिए आर्थिक परेशानी क्या होगी. इस परेशानी को ना तो कोई समझने वाला है ना ही समस्याओं के समाधान को लेकर कोई कदम ही उठाए जा रहे हैं. सरकार की कोशिशों को दिखा रहे ठेंगा पानी के नाम पर हर साल लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. सरकार की कोशिशें होती है कि शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर कोई भी कमी ना रह जाए. इसके लिए अलग-अलग फंड के माध्यम से कहीं जल मीनार तो कहीं हैंडपंप लगाए जा रहे हैं. पिछले कई सालों से सरकार की यह कोशिशें लगातार जारी है. बकायदा इसके लिए पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के माध्यम से लगातार योजनाओं का क्रियान्वयन भी हो रहा है. पानी आम आदमी की सबसे अहम जरूरतों में शामिल है. समाज के निम्न वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक को पानी की आवश्यकता हर दिन पड़ती है. फिर भी सरकार की कोशिशों को व्यवस्था संभालने वाले लोग ही मुंह चिढ़ा रहे हैं. आज लोग पीने के पानी तक के लिए विवश हैं. पेयजल की खराब हालत ने आम आदमी को परेशान करके रख दिया है.

लोहरदगाः जिले के सेन्हा प्रखंड कार्यालय परिसर में लाखों रुपए की लागत से बनाया गया, लेकिन जल मीनार खुद ही प्यासा है. इस जल मीनार का निर्माण 4 साल पहले किया गया था. तब से लेकर आज तक यह जल मीनार किसी की प्यास ही नहीं बुझा पाया. जल मीनार का निर्माण कराने के बाद से लेकर आज तक यह खराब और बदहाल पड़ा हुआ है.

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और पढ़ें-राहुल गांधी को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत, किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का आदेश

हर रोज सेन्हा प्रखंड कार्यालय में अपने काम को लेकर आने वाले लोग जब जल मीनार के पास पानी की आस लगाए हुए पहुंचते हैं, तो उन्हें निराशा का सामना करना पड़ता है. प्यास बुझाने के लिए लोग होटल और ठेला में शरण लेने को विवश होते हैं, यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. मजबूरी में उन्हें बोतलबंद पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है.

ना कोई सुनता है फरियाद, ना अधिकारियों को है पता

इस जल मीनार का निर्माण किस विभाग से कराया गया था, यह ना तो आम आदमी को पता है ना ही अधिकारियों को. जल मीनार का निर्माण जैसे-तैसे करा दिया गया, यह कभी आम आदमी की प्यास को बुझा ही नहीं पाया. ग्रामीण हर रोज अधिकारियों के पास इस जल मीनार की मरम्मत की मांग को लेकर पहुंचते हैं. अपनी समस्याएं भी बताते हैं, बावजूद इसके उनकी फरियाद कोई नहीं सुन रहा. सेन्हा जिला परिषद सदस्य राम लखन प्रसाद कहते हैं कि उन्हें भी पता नहीं किस जल मीनार का निर्माण कब और कैसे और किसने कराया था. वह इस मामले को लेकर विभाग से संपर्क करते हुए जल मीनार की मरम्मत कराने की कोशिश करेंगे. बहरहाल यह तो एक सरकारी आश्वासन है, इस समस्या का समाधान जाने कब होगा यह पता नहीं.

पानी की तलाश में भटकते हैं लोग

सेन्हा प्रखंड मुख्यालय लोहरदगा जिले के सबसे बड़े प्रखंडों में से एक है. यहां पर हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पहुंचते हैं. जब उन्हें प्यास लगती है तो पानी के लिए उन्हें भटकना पड़ता है. प्रखंड मुख्यालय होने के बावजूद यहां पर पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं है. निराश होकर लोग बोतलबंद पानी खरीदने को विवश हैं. अब उनकी पीड़ा को समझा जा सकता है कि जो पेंशन के लिए हर रोज प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहा हो उसे जब बोतल बंद पानी खरीद कर पीना पड़े तो उसके लिए आर्थिक परेशानी क्या होगी. इस परेशानी को ना तो कोई समझने वाला है ना ही समस्याओं के समाधान को लेकर कोई कदम ही उठाए जा रहे हैं. सरकार की कोशिशों को दिखा रहे ठेंगा पानी के नाम पर हर साल लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. सरकार की कोशिशें होती है कि शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर कोई भी कमी ना रह जाए. इसके लिए अलग-अलग फंड के माध्यम से कहीं जल मीनार तो कहीं हैंडपंप लगाए जा रहे हैं. पिछले कई सालों से सरकार की यह कोशिशें लगातार जारी है. बकायदा इसके लिए पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के माध्यम से लगातार योजनाओं का क्रियान्वयन भी हो रहा है. पानी आम आदमी की सबसे अहम जरूरतों में शामिल है. समाज के निम्न वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक को पानी की आवश्यकता हर दिन पड़ती है. फिर भी सरकार की कोशिशों को व्यवस्था संभालने वाले लोग ही मुंह चिढ़ा रहे हैं. आज लोग पीने के पानी तक के लिए विवश हैं. पेयजल की खराब हालत ने आम आदमी को परेशान करके रख दिया है.

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