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विकास योजनाओं में नियमों का फेरबदल, प्रभावित हो रहा विकास कार्य

2 करोड़ 14 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क में विभागीय मनमर्जी की वजह से ठेकेदार उलझन में है. जिसके कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहा है.

new rules by NREP on tender
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Published : Feb 2, 2019, 1:44 PM IST

लोहरदगा: जिले के पेशरार प्रखंड अंतर्गत दुंदरु से चौपाल तक 2 करोड़ 14 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क में विभागीय मनमर्जी की वजह से ठेकेदार उलझन में है. जिसके कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहा है.


एनआरईपी के माध्यम से योजना को लेकर टेंडर का प्रकाशन किया गया है. अब इस योजना में परेशानी यह है कि टेंडर के लिए जो नियम और शर्त एनआरईपी ने तय किया है, उसमें कहा गया है कि टेंडर में 10 प्रतिशत से कम दर पर टेंडर नहीं डाला जा सकता है.


ठेकेदार इस शर्त से काफी परेशान है. वहीं, टेंडर के लिए ठेकेदार को अगस्त 2018 तक का जीएसटी रिटर्न देने को कहा गया है. यहां पर भी उलझन यह है कि किसी भी टेंडर में 1 महीने पहले तक के जीएसटी रिटर्न को वैलिड किया जाता है और अब परेशानी ये है कि कहीं आगे चलकर विभाग टेंडर को रद्द ना कर दे.

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जानकारी देते कार्यपालक अभियंता और ठेकेदार.
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समान रूप से संचालित होने वाले विकास योजनाओं में जिला परिषद ने नियम और शर्त में यह तय किया है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर टेंडर मान्य नहीं होगी. यानी कि एक विभाग कह रहा है कि 10 प्रतिशत से कम दर पर टेंडर मान्य नहीं होगी, जबकि दूसरा विभाग कहता है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर टेंडर मान्य नहीं है. विकास योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्तें ठेकेदारों दुविधा में डाल कर रख दिया है.


मामले में कार्यपालक अभियंता गोपाल मंडल ने बताया कि उन्होंने विभाग से अनुमति के आधार पर यह टेंडर, नियम और शर्त का प्रकाशन किया है. यदि कोई शिकायत मिलती है तो टेंडर को रद्द करने संबंधी आगे की कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल कहीं ना कहीं एनआरईपी द्वारा नियम और शर्तों को लेकर जारी आदेश में भ्रष्टाचार की गंदगी दिखाई दे रही है.

लोहरदगा: जिले के पेशरार प्रखंड अंतर्गत दुंदरु से चौपाल तक 2 करोड़ 14 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क में विभागीय मनमर्जी की वजह से ठेकेदार उलझन में है. जिसके कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहा है.


एनआरईपी के माध्यम से योजना को लेकर टेंडर का प्रकाशन किया गया है. अब इस योजना में परेशानी यह है कि टेंडर के लिए जो नियम और शर्त एनआरईपी ने तय किया है, उसमें कहा गया है कि टेंडर में 10 प्रतिशत से कम दर पर टेंडर नहीं डाला जा सकता है.


ठेकेदार इस शर्त से काफी परेशान है. वहीं, टेंडर के लिए ठेकेदार को अगस्त 2018 तक का जीएसटी रिटर्न देने को कहा गया है. यहां पर भी उलझन यह है कि किसी भी टेंडर में 1 महीने पहले तक के जीएसटी रिटर्न को वैलिड किया जाता है और अब परेशानी ये है कि कहीं आगे चलकर विभाग टेंडर को रद्द ना कर दे.

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समान रूप से संचालित होने वाले विकास योजनाओं में जिला परिषद ने नियम और शर्त में यह तय किया है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर टेंडर मान्य नहीं होगी. यानी कि एक विभाग कह रहा है कि 10 प्रतिशत से कम दर पर टेंडर मान्य नहीं होगी, जबकि दूसरा विभाग कहता है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर टेंडर मान्य नहीं है. विकास योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्तें ठेकेदारों दुविधा में डाल कर रख दिया है.


मामले में कार्यपालक अभियंता गोपाल मंडल ने बताया कि उन्होंने विभाग से अनुमति के आधार पर यह टेंडर, नियम और शर्त का प्रकाशन किया है. यदि कोई शिकायत मिलती है तो टेंडर को रद्द करने संबंधी आगे की कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल कहीं ना कहीं एनआरईपी द्वारा नियम और शर्तों को लेकर जारी आदेश में भ्रष्टाचार की गंदगी दिखाई दे रही है.

Intro:स्लग- JH_LOH_VIKRAM_MANMARJI
स्टोरी- विकास योजनाओं में नियमों का फेर, परेशान हो रहे संवेदक, प्रभावित हो रहा विकास
.... एक ही प्रकार की योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्त से 2 करोड़ 14 लाख की सड़क योजना पर ग्रहण
बाइट- संवेदक, लाल बैधनाथ शाहदेव
बाइट- कार्यपालक अभियंता, गोपाल मंडल
एंकर- लोहरदगा जिले के पेशरार प्रखंड अंतर्गत दुंदरु से चौपाल तक कुल 2 करोड़ 14 लाख रुपए की लागत से बनने वाले सड़क योजना में विभागीय मनमर्जी की वजह से संवेदक उलझन में है. इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. एनआरईपी के माध्यम से योजना को लेकर निविदा का प्रकाशन किया गया है. अब इस योजना में परेशानी यह है कि निविदा के लिए जो नियम और शर्त एनआरईपी ने तय किए हैं उसमें कहा गया है कि निविदा में 10 प्रतिशत से कम दर पर निविदा नहीं डाला जा सकता है.संवेदक इस शर्त को देख कर माथा पीट रहे हैं. यही नहीं निविदा के लिए संवेदक को से अगस्त 2018 तक का ही जीएसटी रिटर्न समर्पित करने को कहा गया है. यहां पर भी उलझन यह है कि किसी भी निविदा में 1 माह पूर्व तक के जीएसटी रिटर्न को मान्य किया जाता है .कहीं आगे चलकर विभाग की निविदा को रद्द ना कर दे. दूसरी बात यह है कि समान रूप से संचालित होने वाले विकास योजनाओं में जिला परिषद ने नियम और शर्त में यह तय किया है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर निविदा मान्य नहीं होगी. यानी कि 1 विभाग कह रहा है कि 10 प्रतिशत से कम दर पर निविदा मान्य नहीं होगी, जबकि दूसरा विभाग कहता है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर निविदा मान्य नहीं है विकास योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्तें संवेदकों का सिर घुमा कर रख दिया है.इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. साथ ही दो करोड़ 14 लाख रुपए की लागत से बनने वाले सड़क योजना पर भी ग्रहण लगा हुआ है. मामले में कार्यपालक अभियंता गोपाल मंडल कहते हैं कि उन्होंने विभाग से अनुमति के आधार पर यह निविदा और नियम और शर्त का प्रकाशन किया है. अब यदि कोई शिकायत मिलती है तो निविदा को रद्द करने संबंधी आगे की कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल कहीं ना कहीं एनआरईपी द्वारा नियम और शर्तों को लेकर जारी आदेश में भ्रष्टाचार की गंदगी दिखाई दे रही है.


Body:JH_LOH_VIKRAM_MANMARJI
स्टोरी- विकास योजनाओं में नियमों का फेर, परेशान हो रहे संवेदक, प्रभावित हो रहा विकास
.... एक ही प्रकार की योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्त से 2 करोड़ 14 लाख की सड़क योजना पर ग्रहण


Conclusion:
.... एक ही प्रकार की योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्त से 2 करोड़ 14 लाख की सड़क योजना पर ग्रहण
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