लोहरदगा: जिले के पेशरार प्रखंड अंतर्गत दुंदरु से चौपाल तक 2 करोड़ 14 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क में विभागीय मनमर्जी की वजह से ठेकेदार उलझन में है. जिसके कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहा है.
एनआरईपी के माध्यम से योजना को लेकर टेंडर का प्रकाशन किया गया है. अब इस योजना में परेशानी यह है कि टेंडर के लिए जो नियम और शर्त एनआरईपी ने तय किया है, उसमें कहा गया है कि टेंडर में 10 प्रतिशत से कम दर पर टेंडर नहीं डाला जा सकता है.
ठेकेदार इस शर्त से काफी परेशान है. वहीं, टेंडर के लिए ठेकेदार को अगस्त 2018 तक का जीएसटी रिटर्न देने को कहा गया है. यहां पर भी उलझन यह है कि किसी भी टेंडर में 1 महीने पहले तक के जीएसटी रिटर्न को वैलिड किया जाता है और अब परेशानी ये है कि कहीं आगे चलकर विभाग टेंडर को रद्द ना कर दे.
समान रूप से संचालित होने वाले विकास योजनाओं में जिला परिषद ने नियम और शर्त में यह तय किया है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर टेंडर मान्य नहीं होगी. यानी कि एक विभाग कह रहा है कि 10 प्रतिशत से कम दर पर टेंडर मान्य नहीं होगी, जबकि दूसरा विभाग कहता है कि 10 प्रतिशत से अधिक दर पर टेंडर मान्य नहीं है. विकास योजनाओं में अलग-अलग नियम और शर्तें ठेकेदारों दुविधा में डाल कर रख दिया है.
मामले में कार्यपालक अभियंता गोपाल मंडल ने बताया कि उन्होंने विभाग से अनुमति के आधार पर यह टेंडर, नियम और शर्त का प्रकाशन किया है. यदि कोई शिकायत मिलती है तो टेंडर को रद्द करने संबंधी आगे की कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल कहीं ना कहीं एनआरईपी द्वारा नियम और शर्तों को लेकर जारी आदेश में भ्रष्टाचार की गंदगी दिखाई दे रही है.