लोहरदगा: झारखंड विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच लोहरदगा विधानसभा में चुनावी रण प्रारंभ हो चुका है. खास बात यह है कि यह रण किसी दो राजनीतिक दलों के बीच नहीं, बल्कि एक ही पार्टी में होता हुआ दिखाई दे रहा है. कांग्रेस के त्योहारी पोस्टर के बहाने इशारों-इशारों में चुनावी युद्ध नजर आ रहा है. दोनों ही संदेश दे रहे हैं कि हम किसी से कम नहीं.
लोहरदगा में पोस्टर वार
दशहरा को लेकर शहर में कांग्रेस पार्टी के दो अलग-अलग पोस्टर नजर आ रहे हैं. जिसमें एक पोस्टर में राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा के पूर्व सांसद रामेश्वर उरांव का फोटो दिखाई दे रहा है. तो दूसरा पोस्टर लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत का नजर आ रहा है. मजेदार बात यह है कि इस पोस्टर में काफी कुछ संदेश भी अप्रत्यक्ष रूप से नजर आ रहा है.
कांग्रेस के पोस्टर से विधायक गायब
कांग्रेस के पोस्टर में विधायक सुखदेव भगत गायब हैं तो विधायक के पोस्टर में कांग्रेस का कहीं जिक्र तक नहीं है. हालांकि, इसकी शुरुआत कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के पोस्टर से ही हुई है. जिसमें राजसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव, कांग्रेसी नेता सुखेर भगत सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता की तस्वीर लोगों को दशहरा की बधाई देते हुए दिखाई दे रही है. इस पोस्टर में स्थानीय विधायक की तस्वीर और नाम तक न होना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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विधायक के पोस्टर में पार्टी का नाम नहीं
इस तस्वीर के शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगने के 2 दिन के बाद विधायक सुखदेव भगत का पोस्टर भी बाजार में नजर आया. जिसमें सुखदेव भगत दशहरा की बधाई देते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस पोस्टर में कांग्रेस का कहीं जिक्र तक नहीं है. हालांकि, सुखदेव भगत की पत्नी और नगर परिषद की अध्यक्ष अनुपमा भगत के पोस्टर में कांग्रेस का जिक्र जरूर है. फिर भी लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है. कांग्रेस जिलाध्यक्ष भी इस पोस्टर को लेकर हैरान नजर आ रहे हैं.
विपक्षी दलों ने किया हमला
पोस्टर वार ने विपक्षी दलों को तो आक्रमण का मौका दे दिया है. इस बात को भी लेकर लोगों में अब चर्चा जोर पकड़ चुका है कि कहीं सचमुच सुखदेव भगत भाजपा में तो नहीं जा रहे. हालांकि, सुखदेव भगत कई बार इस बार से इंकार कर चुके हैं. वे इसे कांग्रेस के नेताओं की साजिश भी बता चुके हैं. हालांकि, सुखदेव भगत के बयान में यह कभी भी नहीं रहा कि वह भाजपा में नहीं जा रहे. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि पोस्टर वार ने लोहरदगा में विधानसभा चुनाव की राजनीति को गरमाने का काम किया है.
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सुखैर भगत को मिल सकता है मौका
सुखदेव भगत लोगों के बीच एक जमीन से जुड़े हुए नेता के रूप में जाने जाते हैं. कांग्रेस में रहने के दौरान उन्हें लगभग सभी समुदाय के लोगों का समर्थन भी मिलता रहा है. देखना मजेदार होगा कि इस पोस्टर वार के बाद आने वाले समय में किस प्रकार की तस्वीर दिखाई देती है. बाजार में चर्चा सुखैर भगत को लेकर भी है. कहा यह भी जा रहा है कि सुखैर भगत पर कांग्रेस दांव खेल सकती है. हालांकि, आधिकारिक रूप से कांग्रेस की ओर से इसे लेकर कोई भी बयान नहीं दिया गया है.