रांची/हैदराबाद: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक है लोहरदगा सीट, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट रांची, गुमला और लोहरदगा जिले में फैली हुई है. यह पूरा इलाका 'रेड कॉरिडोर' का हिस्सा है. यहां मुकाबला हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा है. पिछली दो बार से बीजेपी के सुदर्शन भगत जीत रहे हैं.
अपने समृद्ध खनिज भंडार जैसे बॉक्साइट और लेटेराइट के कारण यह इलाका प्रसिद्ध है. बावजूद इसके इलाके की गिनती आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र के रूप में होती है. इस संसदीय सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें मांडर, गुमला, लोहरदगा, सिसई, बिशुनपुर आती हैं.
2019 का रण
2019 के चुनावी रण में बीजेपी ने एक बार फिर से सुदर्शन भगत को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने इस बार अपना प्रत्याशी बदला है. पार्टी ने लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत पर दांव खेला है.
सुदर्शन भगत हैं बीजेपी के प्रत्याशी
सुदर्शन भगत साफ और शांत चरित्र के नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1969 को गुमला में हुआ था. उन्होंने स्नातक पढ़ाई की है. छात्र जीवन से ही वो वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से विशेष रूप से शिक्षा और आदिवासियों के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते रहे हैं. वो छात्र जीवन में एबीवीपी में सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे. संयुक्त राज्य बिहार में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया. 1995 में वो सक्रिय राजनीति में आए. गुमला जिला भाजयुमो के महासचिव बने.
साल 2000 में वो लोहरदगा विधानसभा सीट से विधायक बने. उन्हें बीजेपी सरकार में मंत्री बनाया गया. इस कार्यकाल में उन्होंने कई विभागों में अपना योगदान दिया. 2009 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी के भरोसे पर वो खरे उतरे. चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. उन्हें साल 2009 से 2011 तक श्रम स्थाई समिति का सदस्य बनाया गया.
2014 के लोकसभा चुनाव में फिर बीजेपी ने इन्हें फिर से टिकट दिया. उन्होंने दोबारा इस सीट पर जीत दर्ज की. मोदी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया. उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का प्रभार दिया गया. बाद में इन्हें जनजातीय मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया.
सुखदेव भगत हैं कांग्रेस प्रत्याशी
लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी हैं सुखदेव भगत. सुखदेव भगत लोहरदगा के नदिया गांव के रहने वाले हैं. प्रशासनिक सेवा छोड़कर वो राजनीति में आए. 2005 में वो लोहरदगा से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने.
2009 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2013 में वो झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें एकबार फिर हार का मुंह देखना पड़ा. 2015 में लोहरदगा में हुए उपचुनाव में उन्हें जीत मिली.