लोहरदगा: भगवान श्री राम की पावन धरती अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को भगवान मंदिर में विराजमान होंगे. लगभग 500 सालों के इंतजार के बाद वह पल आने वाला है, जिसका इंतजार प्रत्येक हिंदू धर्मावलंबी को है. इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने को लेकर प्रत्येक हिंदू उत्साहित है. देश भर के कई लोगों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जा रहा है. इन लोगों में एक लोहरदगा के गुरुकुल शांति आश्रम के आचार्य शरतचंद्र आर्य भी शामिल हैं. शरतचंद्र आर्य इस आमंत्रण को पाकर काफी खुश हैं.
'प्रत्येक भारतीय के लिए यह गौरवपूर्ण क्षण': आचार्य का कहना है कि यह किसी गौरव से कम नहीं है. लगभग 500 सालों के इंतजार के बाद वह पल आ रहा है. जब भगवान श्री राम अपनी जन्मस्थली अयोध्या के उसे ऐतिहासिक मंदिर में विराजमान होंगे. इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने को लेकर वह काफी उत्साहित हैं. इसके लिए वह अपने जीवन को धन्य पाते हैं.
आचार्य का कहना है कि प्रत्येक भारतीय के लिए यह गौरवपूर्ण क्षण है. हम सभी को भगवान श्री राम के दर्शन को लेकर एक उत्साह और इंतजार है. इस दिन पूरे देश में एक उत्सव मनाया जाएगा. प्रत्येक मंदिर भगवान श्रीराम के मंदिर के रूप में स्थापित होगा. विशेष धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे. अन्य आयोजनों से भी इस अवसर को ऐतिहासिक बनाया जाएगा. वह इस कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर 20 जनवरी को ही सड़क मार्ग से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे. आमंत्रण पत्र के साथ-साथ उन्हें फोन भी आया था. जिसमें कहा गया था कि उन्हें कार्यक्रम से पहले ही अयोध्या पहुंच जाना है. यह पल काफी यादगार पल होने जा रहा है.
बता दें कि लोहरदगा के शांति नगर में गुरुकुल शांति आश्रम का संचालन होता है. यहां पर ब्रह्मचारियों को संस्कृत, वेद, भारतीय संस्कृति, पुराण आदि का ज्ञान दिया जाता है. यहां का जीवन पौराणिक काल के गुरुकुल आश्रम की तस्वीर को प्रस्तुत करता है. आचार्य शरतचंद्र आर्य ब्रह्मचारियों के आचार्य हैं.
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