लोहरदगा: बहुचर्चित चिपो हत्याकांड में गुरूवार को 22 आरोपियों को अदालत में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 17 अप्रैल 2016 को लोहरदगा जिले के कैरो थाना अंतर्गत चिपो गांव में अंधविश्वास की आड़ में भीड़ ने एक ही परिवार के तीन सदस्यों को जलाकर मार डाला था. इस घटना में परिवार का एक सदस्य गंभीर रूप से झुलस गया था. जिसे तत्कालीन एसपी कार्तिक एस ने आग में कूदकर बचाया था.
इस घटना को लेकर स्पीडी ट्रायल के माध्यम से दोषियों को सजा सुनाई गई है. अदालत के फैसले को लेकर दोनों ही पक्षों के लोग अदालत पहुंचे थे. सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम भी किए गए थे, घटना के 3 साल के बाद मामले में अदालत का फैसला आया है. अदालत ने 22 आरोपियों को आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी सुनाया गया है.
अंधविश्वास के झांसे में आकर की थी हत्या
बहुचर्चित चीपो हत्याकांड की घटना झारखंड में मॉब लिचिंग की दूसरी घटना थी. इससे पहले 17 मार्च 2017 को लातेहार के बालूमाथ में भीड़ द्वारा दो लोगों की हत्या की गई थी. इसके ठीक 1 महीने के बाद 17 अप्रैल 2017 को लोहरदगा के कैरो थाना अंतर्गत चिपो गांव में अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर ग्रामीणों ने एक ही परिवार के तीन सदस्यों को जलाकर मार डाला था. अदालत में इस फैसले को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता भी थी. 2 अगस्त को अदालत ने सभी 22 आरोपियों को मामले में दोषी पाते हुए सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 8 अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी. फैसले को लेकर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे.
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पीड़ित परिवार खुश, आरोपितों के परिजन जाएंगे उच्च न्यायालय
अदालत ने हत्या, डायन बिसाही प्रतिषेध अधिनियम सहित अन्य धाराओं में आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. सभी आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनाई गई. आरोपियों को अदालत नहीं लाया गया था, इस मामले को लेकर पीड़ित पक्ष ने अदालत के फैसले पर खुशी जताई है. जबकि आरोपितों के परिजनों ने कहा है कि पुलिस ने मामले में कई लोगों को गलत तरीके से फंसाया है. वह अदालत के फैसले को लेकर उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.