लोहरदगा: नजमा खातून के जज्बे को सलाम है. हो भी क्यों न उन्होंने अकेले के दम पर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. अपने कंधे पर पूरे परिवार का भार खुद उठाया है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट.
समाज में एक नया कीर्तिमान
पुरुष प्रधान समाज में चमक बिखेर रही हैं लोहरदगा की नजमा. लकड़ियों को आकार देकर अपनी किस्मत लिख रही हैं नजमा खातून, कारपेंटर का काम कर परिस्थितियों से किया दो-दो हाथ आइए जानते हैं नजमा के बारे में जिन्होंने समाज में एक नया कीर्तिमान कायम किया है.
महिलाएं किसी से कमजोर नहीं
कारपेंटर या बढ़ई का काम आमतौर पर पुरुषों का व्यवसाय माना जाता है. इसके विपरीत लोहरदगा में एक ऐसी महिला है जो कारपेंटर या बढ़ई का काम कर पुरुष प्रधान समाज को यह बता रही हैं कि आज महिलाएं किसी से न तो कमजोर हैं न ही कोई काम कर पाने में अक्षम है.
बिना प्रशंसा किए आगे नहीं बढ़ पाते
लोहरदगा से चंदवा मुख्य पथ में सदर प्रखंड के हेसल गांव के समीप सड़क के किनारे अपनी दुकान पर बसुली और आरी लेकर लकड़ियों को आकार देती हुई नजमा खातून को देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि यह महिला कारपेंटर के काम में इतनी दक्ष है. हर कोई हैरान होकर एक बार नजमा के काम को जरूर देखता है और बिना प्रशंसा किए आगे नहीं बढ़ पाता.
15 साल पहले यह काम सीखा था
हेसल नवा टोली निवासी नजमा खातून ने 15 साल पहले यह काम सीखा था. नजमा के पति सत्तार अंसारी अक्सर बीमार रहते हैं. घर में खेती योग्य जमीन नहीं है. ऐसे में परिवार का भरण पोषण कैसे हो पाता. सात बेटियों की शादी की चिंता अलग से थी. नजमा ने 15 साल पहले गांव में ही कहीं से आए हुए एक कारपेंटर से यह काम सीखा. उसके बाद खुद भी फैसला लेकर काम करना शुरू किया.
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काम की कमी नहीं
आज वह लकड़ियों के फर्नीचर तैयार करने में दक्ष हो चुकी हैं. उनके पास काम की कमी नहीं है. बस पूंजी का अभाव है. सरकार से चाहती है कि आर्थिक मदद मिले. उसके काम से आसपास के लोग भी काफी प्रभावित हैं. सभी कहते हैं कि एक महिला होकर नजमा ने वह कर दिखाया है जो एक पुरुष भी नहीं कर पाता. नजमा ने इसी काम को करते हुए अपनी सात में से पांच बेटियों की शादी भी कर दी.