लोहरदगा: चुनाव कोई प्रत्याशी जीतने की उम्मीद और सपने के साथ लड़ता है. लेकिन लोहरदगा में एक ऐसा प्रत्याशी है जो चुनाव में जीत या हार के लिए नहीं बल्कि, अपने शौक और जुनून के लिए लड़ता है. यह किसी दल से नहीं बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरता है. प्रत्याशी इतना मस्त मौला है कि उसे यह भी याद नहीं की इस बार के लोकसभा चुनाव में उसका प्रस्तावक कौन है.
मूल रूप से खूंटी जिले के कर्रा थाना अंतर्गत कांटी निवासी इकुस धान आज तक 3 विधानसभा चुनाव और एक पंचायत चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं, इस बार लोहरदगा लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं. इकुस धान की ना तो पत्नी है और ना ही बच्चे. फिलहाल शहरी क्षेत्र के कचहरी कॉलोनी में एक किराए के एक कमरे में अपना जीवन गुजार रहे हैं. इन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन वगैरा सब कुछ छोड़ दिया है. इकुस धान की पत्नी स्वर्गीय सुषमा धान कुडू प्रखंड के कार्तिक उरांव कॉलेज में लेक्चरर थी. ब्रेन हेमरेज की वजह से उनकी मौत हो गई.
इकुस खुद तबके वेस्ट बोकारो कोलियरी घाटो टांड हजारीबाग में क्लर्क के पद में काम कर चुके हैं. यह तब टाटा की कोयला खदान थी. जहां से इन्होंने खुद ही सेवानिवृत्ति ले ली है. पहली बार 1995 में तत्कालीन विधायक टेकलाल महतो जो बाद में गिरिडीह के सांसद भी रहे, उनके कहने पर इकुस ने लोहरदगा विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ा था. उस समय इन्हें 2227 वोट मिले थे. इसके बाद इकुस धान ने साल 2009 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था. तब इन्हें 962 वोट मिले.
साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में धान विधायक का चुनाव लड़कर 705 वोट हासिल किए थे. इसके बाद साल 2010 में हुए पंचायत चुनाव में इकुस धान ने कुडू प्रखंड के टाटी से मुखिया और पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ा. इकुस धान बताते हैं कि यह चुनाव प्रचार में कोई तामझाम नहीं करते. बस एक टेंपो और कुछ पंपलेट लेकर अकेले ही चुनाव प्रचार में निकल पड़ते हैं. जो लोग इन्हें जानते हैं वो इन्हें वोट देते हैं. इनका गुजारा पत्नी और खुद की पेंशन से चल रहा है.