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स्टूडियो का दौर सेल्फी में सिमटाः धूल फांक रहे पुराने कैमरे, आर्थिक तंगी में संचालक

एक दौर था, जब फोटो खिंचवाने की होड़ रहती थी. मौका शादी ब्याह का हो या कुछ और तस्वीर खिंचवाने की लालसा हर आम और खास में होती थी. फोटो स्टूडियो (Photo Studio) में भी तरह-तरह के कैमरे और अलग-अलग तरीकों से उन चेहरों की मुस्कान को कैद की जाती थी. बदलते वक्त के साथ पूरा स्टूडियो सिमटकर सेल्फी (selfie) में आ गया है.

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स्टूडियो का दौर सेल्फी
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Published : Jul 22, 2021, 5:28 PM IST

लोहरदगाः वो तो आपको जरूर याद होगा- जरा मुस्कुराइए, सिर को जरा सीधा कीजिए, थोड़ा करीब आ जाइए, बस हो गया, रेडी वन, टू, थ्री और कैमरे के रोल में आपकी यादें कैद हो गईं. ये वो दौर था जब यादों को कैमरे के माध्यम से तस्वीरों में सहेजा जाता था. आधुनिकता और आविष्कार के दौर में पूरा स्टूडियो अब फिंगर टिप्स पर आ गया है. इसका असर स्टूडियो संचालकों (Photo Studio business) पर पड़ा है.

इसे भी पढ़ें- जानें रील कंपनी कोडक के संस्थापक ईस्टमैन से जुड़ी रोचक बातें

कैमरा (Camera) का इतिहास काफी पुराना है. दुनिया का सबसे पहला कैमरा 1824 में जोसेफ निप्से (Joseph Nicéphore Niépce) ने बनाया था. उन्होंने ही दुनिया की पहली फोटोग्राफी (Photography) की थी. इस कैमरा तकनीक में सबसे बड़ी समस्या थी कि फोटो खींचने में काफी समय लगता था. खींची हुई फोटो भी कुछ समय तक ही रहती थी. वैसे कैमरा का डिजाइन सबसे पहले 1685 में जोहन्न जेहन ने तैयार किया था. जबकि 1888 में ईस्टमैन कोडक (Eastman Kodak) ने फिल्म कैमरा लांच किया था.

देखें पूरी खबर

कैमरा का मतलब हमारी यादों को कैद करना था. वो यादें, जिसे हम कई साल बाद भी देख पाते थे. आज कैमरा काफी कुछ बदल चुका है. पूरे परिवार के साथ ही स्टूडियो में जाकर फोटो खिंचवाना, उसे फ्रेम करके घर में लगाना, अब वो ललक कहीं गुम सी होती जा रही है. इसकी एक बड़ी वजह है, सेल्फी कैमरा. अब स्मार्ट फोन में आपको हाई मेगा पिक्सल कैमरा, हाई पिक्चर क्वालिटी मिल जाती है. अब भारी-भरकम कैमरे की जगह सैल्फी कैमरे ने ले ली है.

कैमरा और तस्वीर लेने के तरीके ने स्टूडियो संचालकों की रोटी पर डाली आफत
Black and White Camera से लेकर आज डिजिटल कैमरा और मोबाइल कैमरा (Digital Camera and Mobile Camera) ने कुछ इतनी तेजी के साथ अपना सफर तय किया कि स्टूडियो की जगह सेल्फी ने ले ली. लेकिन वो भी एक दौर था, जब स्टूडियो में फोटो खिंचवाने जाने को पहले काफी तैयारी होती थी. लोग पूरे परिवार के साथ तैयार होकर स्टूडियो में जाते थे या फिर किसी अच्छी लोकेशन में फोटोग्राफर (Photographer) को बुलाकर फोटो शूट करवाते थे. उन तस्वीरों को यादगार के तौर पर सहेज कर रखा जाता था. फिर धीरे-धीरे शादी विवाह में फोटोग्राफी का दौर भी चला. ब्लैक एंड वाइट तस्वीरों (Black and White Photos) से लेकर कलर और डिजिटल का युग भी देखा गया.

Photo Studio operators are in financial crisis in Lohardaga
फोटो स्टूडियो में ली गई तस्वीर

इसे भी पढ़ें- 'सेल्फी' को सुंदर बनाने के लिए 'फिल्टर' का इस्तेमाल करते हैं भारतीय !



अब तो फोटो पोस्ट Like and Share का दौर
अब तो दौर वो आ चुका है कि लोग मोबाइल पर फोटो लेते हैं और फिर उसे सोशल मीडिया (Social Media) पर अपलोड कर देते हैं. अब तो फोटो पोस्ट Like and Share का दौर चल रहा है. काफी कम संख्या में लोग अब स्टूडियो और फोटोग्राफर के पास जा रहे हैं. इसका असर पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्टूडियो संचालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले फोटोग्राफर की आय और उनके जीविकोपार्जन पर पड़ा है. स्टूडियो संचालक के पास लोग तब ही जाना पसंद करते हैं, जब उन्हें पासपोर्ट साइज फोटो (Passport Size Photo) किसी और काम के लिए तस्वीरों की जरूरत होती है. फिर कोई ऐसी तस्वीर को दोबार से बनवाना हो, जो कई साल पहले खिंची जा चुकी की है.

Photo Studio operators are in financial crisis in Lohardaga
फोटो स्टूडियो में ली गई तस्वीर

इसे भी पढ़ें- फोटोग्राफर दंपती का जुनून : कैमरे की डिजाइन का घर, बच्चों के नाम कैनन, एप्सन और निकॉन


फोटो क्वालिटी देखकर मोबाइल खरीदते हैं लोग
मोबाइल दुकानदारों के पास मोबाइल लेने के लिए आने वाले लोग कैमरा क्वालिटी पर ज्यादा जोर देते हैं, मसलन कितने पिक्सल का कैमरा (Pixel Camera) है, पिक्चर रिजोल्यूशन (Picture Resolution) कितना है. लोग मोबाइल में ऐसे फीचर्स (Features) भी तलाशते हैं कि फ्रंट और रियर कैमरा (Front and Rear Camera) कितने मेगा पिक्सल का है, फोटो क्वालिटी कैसी है, जूम (Zoom) कितना हो पाता है. इन तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर ही लोग मोबाइल खरीदते हैं. यही वजह है कि मोबाइल दुकानदार भी ग्राहकों की पसंद के अनुसार बेहतर कैमरा क्वालिटी वाले मोबाइल फोन को ही बेचना पसंद करते हैं.

Photo Studio operators are in financial crisis in Lohardaga
पुराने जमाने के कैमरे
यादगार के तौर पर सहेज कर रखे गए हैं कैमरेकुछ ऐसे भी फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने पीढ़ी-दर-पीढ़ी कैमरा के साथ फोटो फ्रेम और फोटो खिंचवाने के लिए आने वाले लोगों को भी बदलते देखा है. कई लोग अब भी कई साल पहले के कैमरे सहेज कर रखे हुए हैं. उनके कैमरों को देखकर ही लगता है कि फोटोग्राफी का इतिहास नहीं बदला, बल्कि इंसान ने अपने-आप को डिजिटल कर लिया है. इसका असर फोटोग्राफर और स्टूडियो पर पड़ा है. रोजगार का एक प्रमुख साधन आज खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है.
Photo Studio operators are in financial crisis in Lohardaga
धूल फांकते पुराने कैमरे

इसे भी पढ़ें- WorldPhotographyDay: 159 साल पुराने इस कैमरे से आज भी कैद होती हैं यादें


कैमरा और फोटोग्राफी (camera and photography) के बदलते दौर में स्टूडियो संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. कभी फोटोग्राफर के पास स्टूडियो में फोटो खिंचवाने के लिए लाइन लगाने वाले लोग आज मोबाइल कैमरे के साथ सेल्फी को अपना चुके हैं. इंटरनेट पर फोटो अपलोड करने की होड़ मची हुई है. लाइक एंड शेयर का ट्रेंड सबसे अधिक पसंद किया जाता है. कैमरे के साथ इंसान की प्रवृत्ति ही नहीं बदली, बल्कि रोजगार का एक साधन भी खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है.

लोहरदगाः वो तो आपको जरूर याद होगा- जरा मुस्कुराइए, सिर को जरा सीधा कीजिए, थोड़ा करीब आ जाइए, बस हो गया, रेडी वन, टू, थ्री और कैमरे के रोल में आपकी यादें कैद हो गईं. ये वो दौर था जब यादों को कैमरे के माध्यम से तस्वीरों में सहेजा जाता था. आधुनिकता और आविष्कार के दौर में पूरा स्टूडियो अब फिंगर टिप्स पर आ गया है. इसका असर स्टूडियो संचालकों (Photo Studio business) पर पड़ा है.

इसे भी पढ़ें- जानें रील कंपनी कोडक के संस्थापक ईस्टमैन से जुड़ी रोचक बातें

कैमरा (Camera) का इतिहास काफी पुराना है. दुनिया का सबसे पहला कैमरा 1824 में जोसेफ निप्से (Joseph Nicéphore Niépce) ने बनाया था. उन्होंने ही दुनिया की पहली फोटोग्राफी (Photography) की थी. इस कैमरा तकनीक में सबसे बड़ी समस्या थी कि फोटो खींचने में काफी समय लगता था. खींची हुई फोटो भी कुछ समय तक ही रहती थी. वैसे कैमरा का डिजाइन सबसे पहले 1685 में जोहन्न जेहन ने तैयार किया था. जबकि 1888 में ईस्टमैन कोडक (Eastman Kodak) ने फिल्म कैमरा लांच किया था.

देखें पूरी खबर

कैमरा का मतलब हमारी यादों को कैद करना था. वो यादें, जिसे हम कई साल बाद भी देख पाते थे. आज कैमरा काफी कुछ बदल चुका है. पूरे परिवार के साथ ही स्टूडियो में जाकर फोटो खिंचवाना, उसे फ्रेम करके घर में लगाना, अब वो ललक कहीं गुम सी होती जा रही है. इसकी एक बड़ी वजह है, सेल्फी कैमरा. अब स्मार्ट फोन में आपको हाई मेगा पिक्सल कैमरा, हाई पिक्चर क्वालिटी मिल जाती है. अब भारी-भरकम कैमरे की जगह सैल्फी कैमरे ने ले ली है.

कैमरा और तस्वीर लेने के तरीके ने स्टूडियो संचालकों की रोटी पर डाली आफत
Black and White Camera से लेकर आज डिजिटल कैमरा और मोबाइल कैमरा (Digital Camera and Mobile Camera) ने कुछ इतनी तेजी के साथ अपना सफर तय किया कि स्टूडियो की जगह सेल्फी ने ले ली. लेकिन वो भी एक दौर था, जब स्टूडियो में फोटो खिंचवाने जाने को पहले काफी तैयारी होती थी. लोग पूरे परिवार के साथ तैयार होकर स्टूडियो में जाते थे या फिर किसी अच्छी लोकेशन में फोटोग्राफर (Photographer) को बुलाकर फोटो शूट करवाते थे. उन तस्वीरों को यादगार के तौर पर सहेज कर रखा जाता था. फिर धीरे-धीरे शादी विवाह में फोटोग्राफी का दौर भी चला. ब्लैक एंड वाइट तस्वीरों (Black and White Photos) से लेकर कलर और डिजिटल का युग भी देखा गया.

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फोटो स्टूडियो में ली गई तस्वीर

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अब तो फोटो पोस्ट Like and Share का दौर
अब तो दौर वो आ चुका है कि लोग मोबाइल पर फोटो लेते हैं और फिर उसे सोशल मीडिया (Social Media) पर अपलोड कर देते हैं. अब तो फोटो पोस्ट Like and Share का दौर चल रहा है. काफी कम संख्या में लोग अब स्टूडियो और फोटोग्राफर के पास जा रहे हैं. इसका असर पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्टूडियो संचालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले फोटोग्राफर की आय और उनके जीविकोपार्जन पर पड़ा है. स्टूडियो संचालक के पास लोग तब ही जाना पसंद करते हैं, जब उन्हें पासपोर्ट साइज फोटो (Passport Size Photo) किसी और काम के लिए तस्वीरों की जरूरत होती है. फिर कोई ऐसी तस्वीर को दोबार से बनवाना हो, जो कई साल पहले खिंची जा चुकी की है.

Photo Studio operators are in financial crisis in Lohardaga
फोटो स्टूडियो में ली गई तस्वीर

इसे भी पढ़ें- फोटोग्राफर दंपती का जुनून : कैमरे की डिजाइन का घर, बच्चों के नाम कैनन, एप्सन और निकॉन


फोटो क्वालिटी देखकर मोबाइल खरीदते हैं लोग
मोबाइल दुकानदारों के पास मोबाइल लेने के लिए आने वाले लोग कैमरा क्वालिटी पर ज्यादा जोर देते हैं, मसलन कितने पिक्सल का कैमरा (Pixel Camera) है, पिक्चर रिजोल्यूशन (Picture Resolution) कितना है. लोग मोबाइल में ऐसे फीचर्स (Features) भी तलाशते हैं कि फ्रंट और रियर कैमरा (Front and Rear Camera) कितने मेगा पिक्सल का है, फोटो क्वालिटी कैसी है, जूम (Zoom) कितना हो पाता है. इन तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति होने पर ही लोग मोबाइल खरीदते हैं. यही वजह है कि मोबाइल दुकानदार भी ग्राहकों की पसंद के अनुसार बेहतर कैमरा क्वालिटी वाले मोबाइल फोन को ही बेचना पसंद करते हैं.

Photo Studio operators are in financial crisis in Lohardaga
पुराने जमाने के कैमरे
यादगार के तौर पर सहेज कर रखे गए हैं कैमरेकुछ ऐसे भी फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने पीढ़ी-दर-पीढ़ी कैमरा के साथ फोटो फ्रेम और फोटो खिंचवाने के लिए आने वाले लोगों को भी बदलते देखा है. कई लोग अब भी कई साल पहले के कैमरे सहेज कर रखे हुए हैं. उनके कैमरों को देखकर ही लगता है कि फोटोग्राफी का इतिहास नहीं बदला, बल्कि इंसान ने अपने-आप को डिजिटल कर लिया है. इसका असर फोटोग्राफर और स्टूडियो पर पड़ा है. रोजगार का एक प्रमुख साधन आज खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है.
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धूल फांकते पुराने कैमरे

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कैमरा और फोटोग्राफी (camera and photography) के बदलते दौर में स्टूडियो संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. कभी फोटोग्राफर के पास स्टूडियो में फोटो खिंचवाने के लिए लाइन लगाने वाले लोग आज मोबाइल कैमरे के साथ सेल्फी को अपना चुके हैं. इंटरनेट पर फोटो अपलोड करने की होड़ मची हुई है. लाइक एंड शेयर का ट्रेंड सबसे अधिक पसंद किया जाता है. कैमरे के साथ इंसान की प्रवृत्ति ही नहीं बदली, बल्कि रोजगार का एक साधन भी खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है.

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