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लोहरदगा में जोर-शोर से चल रही है स्ट्रॉबेरी की खेती, किसान हो रहे हैं मालामाल

स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जिसे देखते ही मुंह में पानी आ जाता है. अपने सुंदर रंग की वजह से यह किसी को भी आकर्षित कर लेता है. सिर्फ इसका रंग और स्वाद ही लजीज नहीं है, बल्कि इसकी खेती से होने वाला मुनाफा भी काफी बेहतर है. यही वजह है कि लोहरदगाा के किसान अब इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

लोहरदगा में स्ट्रॉबेरी की खेती
strawberry cultivation in Lohardaga
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Published : Feb 12, 2020, 3:57 PM IST

लोहरदगा: जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती को काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है. यहां का मौसम भी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए काफी बेहतर है. लोहरदगा में अब तक परंपरागत रूप से कहा जाए तो सिर्फ धान, गेहूं और सब्जियों की खेती कर किसान अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे.

देखें पूरी खबर

कम पूंजी में ज्यादा कमाई

लोहरदगा में सिंचाई का अभाव और अन्य परेशानियों की वजह से धीरे-धीरे किसान खेती से पीछे भागते जा रहे थे. ऐसे में किसानों को स्ट्रॉबेरी के रूप में एक ऐसी खेती के बारे में पता चला, जिसने उनके दिन सुधारने शुरू कर दिए. अब यहां के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर, न सिर्फ बेहतर मुनाफा पा रहे हैं, बल्कि कम पूंजी में उन्हें एक अच्छा काम भी मिल गया है, जिससे वे अब आर्थिक रूप से मजबूत बनने लगे हैं. किसानों के चेहरे पर नजर आने वाली मुस्कुराहट बताती है कि स्ट्रॉबेरी की खेती सिर्फ उनके लिए परंपरागत खेती से अलग खेती ही नहीं है, बल्कि यह मुनाफे वाली खेती है.

ये भी पढ़ें-टेरर फंडिंग मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने NIA से मांगा जवा

कम पानी की होती है आवश्यकता

लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के एकागुड़ी क्षेत्र में खेती करने वाले किसान बताते हैं कि यह खेती काफी मुनाफे वाली खेती है. उनक कहना है कि इस तरह की खेती में पूंजी कम लगती है. पानी की आवश्यकता भी कम है और कमाई काफी ज्यादा है. व्यापारी खुद ही खेतों तक आकर फसल को खरीदकर ले जाते हैं. यह खेती किसानों के काफी आर्थिक मुनाफे का सौदा है. उनका कहना है कि पहले भारत में यह खेती हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में 1960 के दशक में शुरू हुई थी. धीरे-धीरे अब यह खेती देश के अलग-अलग हिस्सों में की जाने लगी है.

ये भी पढ़ें-राज्यपाल से बुरुगुलीकेरा के लोगों ने कहा 'मैडम हमें सुरक्षा दें, पत्थलगड़ी समर्थक देकर गए हैं धमकी'

किसानों को हो रहा है काफी मुनाफा

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्ट्रॉबेरी की मांग पेय पदार्थ, जैम और कैंडी के निर्माण में तो होता ही है, साथ ही फल के रूप में भी इसे काफी ज्यादा पसंद किया जाता है. हर उम्र और वर्ग के लोग स्ट्रॉबेरी को पसंद करते हैं. स्ट्रॉबेरी में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट विटामिन बी, नियासिन, कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम और पोटैशियम सहित अन्य तत्व पाए जाने की वजह से यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी काफी बेहतर है. लोहरदगा के अलग-अलग क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती आज बड़े पैमाने पर की जा रही है, जिससे किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है.

स्ट्रॉबेरी की खेती करना काफी आसान

इस काम में उद्यान विभाग ने किसानों का सहयोग भी किया है. हिमाचल प्रदेश से स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगा कर किसानों को यहां पर उपलब्ध कराया गया, साथ ही उन्हें खेती करने के तरीके भी बताए गए, जिससे किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने में काफी आसानी हुई. लोहरदगा में अब काफी ज्यादा संख्या में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. खेती की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियों से काफी हद तक मुक्ति मिल गई है.

लोहरदगा: जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती को काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है. यहां का मौसम भी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए काफी बेहतर है. लोहरदगा में अब तक परंपरागत रूप से कहा जाए तो सिर्फ धान, गेहूं और सब्जियों की खेती कर किसान अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे.

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कम पूंजी में ज्यादा कमाई

लोहरदगा में सिंचाई का अभाव और अन्य परेशानियों की वजह से धीरे-धीरे किसान खेती से पीछे भागते जा रहे थे. ऐसे में किसानों को स्ट्रॉबेरी के रूप में एक ऐसी खेती के बारे में पता चला, जिसने उनके दिन सुधारने शुरू कर दिए. अब यहां के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर, न सिर्फ बेहतर मुनाफा पा रहे हैं, बल्कि कम पूंजी में उन्हें एक अच्छा काम भी मिल गया है, जिससे वे अब आर्थिक रूप से मजबूत बनने लगे हैं. किसानों के चेहरे पर नजर आने वाली मुस्कुराहट बताती है कि स्ट्रॉबेरी की खेती सिर्फ उनके लिए परंपरागत खेती से अलग खेती ही नहीं है, बल्कि यह मुनाफे वाली खेती है.

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कम पानी की होती है आवश्यकता

लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के एकागुड़ी क्षेत्र में खेती करने वाले किसान बताते हैं कि यह खेती काफी मुनाफे वाली खेती है. उनक कहना है कि इस तरह की खेती में पूंजी कम लगती है. पानी की आवश्यकता भी कम है और कमाई काफी ज्यादा है. व्यापारी खुद ही खेतों तक आकर फसल को खरीदकर ले जाते हैं. यह खेती किसानों के काफी आर्थिक मुनाफे का सौदा है. उनका कहना है कि पहले भारत में यह खेती हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में 1960 के दशक में शुरू हुई थी. धीरे-धीरे अब यह खेती देश के अलग-अलग हिस्सों में की जाने लगी है.

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किसानों को हो रहा है काफी मुनाफा

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्ट्रॉबेरी की मांग पेय पदार्थ, जैम और कैंडी के निर्माण में तो होता ही है, साथ ही फल के रूप में भी इसे काफी ज्यादा पसंद किया जाता है. हर उम्र और वर्ग के लोग स्ट्रॉबेरी को पसंद करते हैं. स्ट्रॉबेरी में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट विटामिन बी, नियासिन, कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम और पोटैशियम सहित अन्य तत्व पाए जाने की वजह से यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी काफी बेहतर है. लोहरदगा के अलग-अलग क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती आज बड़े पैमाने पर की जा रही है, जिससे किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है.

स्ट्रॉबेरी की खेती करना काफी आसान

इस काम में उद्यान विभाग ने किसानों का सहयोग भी किया है. हिमाचल प्रदेश से स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगा कर किसानों को यहां पर उपलब्ध कराया गया, साथ ही उन्हें खेती करने के तरीके भी बताए गए, जिससे किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने में काफी आसानी हुई. लोहरदगा में अब काफी ज्यादा संख्या में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. खेती की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियों से काफी हद तक मुक्ति मिल गई है.

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