लोहरदगा: हिंदी और भोजपुरी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह से ईटीवी भारत में खास बातचीत की. इस बातचीत के दौरान अक्षरा सिंह ने खुलकर अपनी अब तक के सफर को साझा किया. अक्षरा सिंह ने साफ तौर पर कहा कि बिहारी होने का दर्द तो झेलना ही पड़ता है और इस दर्द को उन्होंने खुद भी झेला है. कई मुद्दों पर उन्होंने हमसे बेवाक बातचीत की.
अक्षरा सिंह बताती हैं कि आप खुद के लिए यदि फैसला ले लें तो दुनिया आपकी सम्मान करेगी. अक्षरा सिंह ने बिहार चुनाव के मद्देनजर एक महिला अभिनेत्री होने के नाते अबतक के सफर में आयी चुनौतियां को खुल कर रखा. इस दौरान वे कई महत्वपूर्ण बातें भी बतायीं. उन्होंने बताया कि कैसे एक कलाकार का जीवन संघर्ष से भरा होता है. अक्षरा सिंह लोहरदगा में हिंदी पिक्चर फिल्म युवा की शूटिंग के लिए आई हुई हैं. इस फिल्म में वह मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म खेल और खिलाड़ियों के संघर्ष पर आधारित है.
आप खुद पर शर्म करेंगे तो लोग उंगली उठाएंगे : अक्षरा
अभिनेत्री अक्षरा सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि झारखंड का वातावरण और यहां के पर्यटन स्थल बेहद खूबसूरत हैं. ऐसी जगह पर काम करना उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. यहां के पहाड़, यहां की नदियां और यहां के जंगल आकर्षित करते हैं. फिल्म शूटिंग के लिए झारखंड का माहौल काफी बेहतर है. अस्सी-नब्बे के दशक में एक फिल्म अभिनेत्री के लिए फिल्म में काम करना या अभिनय करना जितना मुश्किल था, आज के समय में इतना ही आसान हो चुका है. अब बहुत बदलाव आ चुका है. एक अभिनेता के बजाय एक अभिनेत्री को अपने आप को फिल्म जगत में स्थापित करना बेहद मुश्किल होता है. काफी मेहनत करनी पड़ती है. कड़ी मेहनत के बाद जाकर आपको एक काम मिल पाता है. एक अच्छे रोल को पाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ती है.
युवाओं के लिए परिस्थितियां बदलनी चाहिए
बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम और विधानसभा चुनाव को लेकर अक्षरा सिंह ने कहा कि वह राजनीति पर बहुत ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहती, परंतु एक युवा होने के नाते इतना जरूर कहती हूं कि युवाओं के लिए परिस्थितियां बदलनी चाहिए. खासकर शिक्षा और दूसरी चीजों में बदलाव बेहद जरूरी है.
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लोग अलग नजरिए से देखते हैं
अक्षरा सिंह ने खुलकर अपनी बात कहते हुए कहा कि जब बात झारखंड- बिहार या यूपी की आती है तो एक अलग नजरिए से देखा जाता है. वह भी इसका शिकार रहीं हैं और ज्यादातर लोग इसके शिकार होते हैं. बिहारी होने का दर्द झेलना पड़ता है, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी यह है कि हम बिहार या छोटे से किसी जगह पर से जाकर अपना वजूद खुद स्थापित कर सकें. आप खुद अपने लिए स्टैंड लेंगे तो दुनिया आपको सलाम करेगी. सबको खुद के लिए खड़ा होना चाहिए. ज्यादातर बिहारियों या झारखंडियों में मैंने देखा है कि अंदर एक झिझक या डर होती है, जो खुद को बताते हुए शर्माते हैं कि वह एक बिहारी-झारखंडी हैं. आप जब खुद पर शर्म करेंगे तो लोग आप पर और भी उंगली उठाएंगे.