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लोहरदगाः 170 साल से ज्यादा पुराना है यह चर्च, क्रिसमस की हो रही खास तैयारियां - लोहरदगा सबसे पुराना चर्च

क्रिसमस के त्योहार को ईसाई समुदाय के लोग बड़ा दिन के रूप में मनाते हैं. इसके लिए कई दिन पहले से ही चर्च में तैयारियां शुरू हो जाती हैं. लोहरदगा में एक ऐसा चर्च है जहां इन दिनों विशेष तैयारियां चल रही हैं. ब्रिटिश समय में बने इस चर्च का अपना महत्व है. आज यह चर्च 170 साल से भी ज्यादा पुराना हो चुका है.

historic church
ऐतिहासिक जीईएल चर्च
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Published : Dec 22, 2019, 12:01 PM IST

लोहरदगाः क्रिसमस को लेकर ईसाई समुदाय विशेष उत्साह और उल्लास में नजर आ रहा है. प्रभु यीशु के जन्म उत्सव को त्योहार के रूप में मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लोहरदगा के कुडू प्रखंड अंतर्गत हाता टोली स्थित गोस्सनर एंड जेलीलक लूथेरन कलीसिया छोटानागपुर एंड असम चर्च सालों पुराना है. इस चर्च का ऐतिहासिक महत्व है. साल 1845 में इस चर्च को बनाया गया था. तब से लेकर आज तक यहां प्रभु यीशु की प्रार्थना के लिए प्रतिदिन ईसाई समुदाय के लोग जमा होते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

174 साल का सफर पूरा
गोस्सनर एंड जेली लकल लूथरन कलीसिया छोटानागपुर एंड असम चर्च का निबंधन बिहार सरकार के समय में 1921 में कराया गया था. जबकि झारखंड सरकार के कार्यकाल में 2012 में इसका दोबारा निबंधन कराया गया.1995 में इस चर्च के 150 साल पूरे होने पर भव्य उत्सव का आयोजन हुआ था. इस लिहाज से इस चर्च के 174 साल का सफर पूरा हो चुका है.

ये भी पढ़ें- रांची में मतगणना को लेकर मॉक ड्राई रन, 20 से 22 राउंड में 7 विधानसभा क्षेत्र की पूरी होगी काउंटिंग

इस बार क्रिसमस को लेकर यहां पर लोगों में काफी उत्साह है. प्रभु यीशु के स्वागत को लेकर कार्यक्रम के माध्यम से तैयारियां की जा रही हैं. ऐतिहासिक चर्च की साज सज्जा का काम भी चल रहा है. इस ऐतिहासिक चर्च में क्रिसमस पर एक उत्साह और उल्लास का माहौल नजर आ रहा है.

लोहरदगाः क्रिसमस को लेकर ईसाई समुदाय विशेष उत्साह और उल्लास में नजर आ रहा है. प्रभु यीशु के जन्म उत्सव को त्योहार के रूप में मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लोहरदगा के कुडू प्रखंड अंतर्गत हाता टोली स्थित गोस्सनर एंड जेलीलक लूथेरन कलीसिया छोटानागपुर एंड असम चर्च सालों पुराना है. इस चर्च का ऐतिहासिक महत्व है. साल 1845 में इस चर्च को बनाया गया था. तब से लेकर आज तक यहां प्रभु यीशु की प्रार्थना के लिए प्रतिदिन ईसाई समुदाय के लोग जमा होते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

174 साल का सफर पूरा
गोस्सनर एंड जेली लकल लूथरन कलीसिया छोटानागपुर एंड असम चर्च का निबंधन बिहार सरकार के समय में 1921 में कराया गया था. जबकि झारखंड सरकार के कार्यकाल में 2012 में इसका दोबारा निबंधन कराया गया.1995 में इस चर्च के 150 साल पूरे होने पर भव्य उत्सव का आयोजन हुआ था. इस लिहाज से इस चर्च के 174 साल का सफर पूरा हो चुका है.

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इस बार क्रिसमस को लेकर यहां पर लोगों में काफी उत्साह है. प्रभु यीशु के स्वागत को लेकर कार्यक्रम के माध्यम से तैयारियां की जा रही हैं. ऐतिहासिक चर्च की साज सज्जा का काम भी चल रहा है. इस ऐतिहासिक चर्च में क्रिसमस पर एक उत्साह और उल्लास का माहौल नजर आ रहा है.

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स्टोरी- 170 साल से ज्यादा पुराना है यह चर्च, क्रिसमस की हो रही खास तैयारी
एंकर- क्रिसमस प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव. ईसाई समुदाय में इस त्योहार को लेकर एक विशेष उत्साह और उल्लास नजर आता है. क्रिसमस को लेकर ईसाई समुदाय के सभी उम्र के लोगों में खुशी का माहौल है. प्रभु यीशु के जन्म उत्सव को त्योहार के रूप में मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. बात जब ऐतिहासिक चर्च की हो तो लोहरदगा के कुडू प्रखंड अंतर्गत हाता टोली स्थित चर्च का नाम सबसे पहले आता है. 1845 ईसवी में इस चर्च का शुभारंभ यहां पर हुआ था. तब से लेकर आज तक यहां प्रभु यीशु की प्रार्थना को लेकर प्रतिदिन ईसाई समुदाय के लोग जमा होते हैं. क्रिसमस के मौके पर तो जैसे एक उत्सव का माहौल होता है. इस बार भी इस ऐतिहासिक चर्च में क्रिसमस को लेकर खास तैयारी की जा रही है. प्रभु यीशु के आगमन को लेकर समाज के हर वर्ग की तरह बच्चों और युवाओं में भी खासा उत्साह है।

बाइट-गॉडविन तिग्गा, स्थानीय निवासी

वी/ओ- गोस्सनर एंड जेली लकल लूथरन कलीसिया छोटानागपुर एंड असम नामक इस चर्च का निबंधन बिहार सरकार के समय में 1921 में कराया गया था. जबकि झारखंड सरकार के कार्यकाल में 2012 ईस्वी में इसका पुनः निबंधन कराया गया. 1995 में इस चर्च के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने पर भव्य उत्सव का आयोजन हुआ था. इस लिहाज से इस चर्च के 174 साल का सफर पूरा हो चुका है. इस बार क्रिसमस को लेकर यहां पर लोगों में काफी उत्साह है. समाज के लोग क्रिसमस के मौके पर प्रभु यीशु के आगमन को लेकर उत्साहित हैं. प्रभु यीशु के स्वागत को लेकर कार्यक्रम के माध्यम से तैयारियां की जा रही है. ऐतिहासिक चर्च की साज सज्जा का काम भी चल रहा है.

बाइट-विश्वास लकड़ा, प्रचारक, ईसाई समाज

वी/ओ- क्रिसमस के त्योहार को लेकर ईसाई समुदाय के लोग कई दिनों तक खुशियां मनाते हैं. 1 महीने पहले से चर्च के रंग रोगन साफ-सफाई का काम चलता है. क्रिसमस से 1 सप्ताह पहले से ही क्रिसमस गैदरिंग समारोह का भी आयोजन शुरू हो जाता है. क्रिसमस गैदरिंग को लेकर युवाओं के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों में भी काफी उत्साह देखने के लिए मिलता है. चरणी तैयार करना, सांस्कृतिक कार्यक्रम, क्रिसमस गीत, कोरस सहित अन्य तैयारियों को लेकर कई दिनों तक अभ्यास किए जाते हैं, आर्थिक रूप से लोग अपनी अपनी ओर से कार्यक्रम आयोजित करते हैं. ऐसे में हाता टोली स्थित इस ऐतिहासिक चर्च में भी क्रिसमस को लेकर एक उत्साह और उल्लास का माहौल नजर आ रहा है. लोगों का जुड़ाव इस वजह से भी है कि इस चर्च ने 170 साल से ज्यादा का समय या कहें कि सफर देखा है. इस चर्च के साथ लोगों की भावनाएं और विश्वास भी जुड़ी हुई है.

पीटूसी-


Body:क्रिसमस के त्योहार को लेकर ईसाई समुदाय के लोग कई दिनों तक खुशियां मनाते हैं. 1 महीने पहले से चर्च के रंग रोगन साफ-सफाई का काम चलता है. क्रिसमस से 1 सप्ताह पहले से ही क्रिसमस गैदरिंग समारोह का भी आयोजन शुरू हो जाता है. क्रिसमस गैदरिंग को लेकर युवाओं के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों में भी काफी उत्साह देखने के लिए मिलता है. चरणी तैयार करना, सांस्कृतिक कार्यक्रम, क्रिसमस गीत, कोरस सहित अन्य तैयारियों को लेकर कई दिनों तक अभ्यास किए जाते हैं, आर्थिक रूप से लोग अपनी अपनी ओर से कार्यक्रम आयोजित करते हैं. ऐसे में हाता टोली स्थित इस ऐतिहासिक चर्च में भी क्रिसमस को लेकर एक उत्साह और उल्लास का माहौल नजर आ रहा है. लोगों का जुड़ाव इस वजह से भी है कि इस चर्च ने 170 साल से ज्यादा का समय या कहें कि सफर देखा है. इस चर्च के साथ लोगों की भावनाएं और विश्वास भी जुड़ी हुई है.


Conclusion:लोहरदगा के कुडू प्रखंड अंतर्गत हाताटोली स्थित चर्च का इतिहास 170 साल से ज्यादा पुराना है. इस चर्च में क्रिसमस को लेकर लोगों की खुशियां अभी से ही झलकने लगी है. ऐतिहासिक चर्च के सजावट के साथ-साथ इसके गौरवमयी इतिहास को बनाए रखने को लेकर भी ईसाई समुदाय के लोगों में काफी उत्साह है. लोग क्रिसमस की तैयारियों में जुटे हुए हैं. प्रभु यीशु के आगमन को लेकर एक उत्साह का संचार हो रहा है.
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