लोहरदगा: झारखंड सरकार द्वारा पिछड़ी जाति को पूरे राज्य में आरक्षण देने को लेकर दोहरे मापदंड के खिलाफ लोग सड़क पर उतर आए हैं. दरअसल, झारखंड के अन्य जिलों में पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, लेकिन झारखंड के सात जिलों में इनके आरक्षण की स्थिति को खत्म कर दिया गया है. इन सात जिलों में से एक लोहरदगा जिला भी है. इसी के विरोध में पिछड़ी जाति आंदोलन पर उतर गई है. लोहरदगा में भी यह आंदोलन जोर पकड़ चुका है. आंदोलन के तहत शुक्रवार को बंद का आवाह्न किया गया.
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बंद को लेकर समर्थक सड़क पर उतरे. समर्थकों द्वारा व्यापारियों से अनुरोध करते हुए बंद को सफल बनाने की अपील की गई. हालांकि इसमें भी बंद समर्थकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. लोगों का सहर्ष समर्थन प्राप्त नहीं हो पा रहा था. जिसकी वजह से समिति के सदस्य थोड़े नाराज भी दिखे. समिति के सदस्यों ने कहा कि पिछड़ी जातियों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर आंदोलन चल रहा है. ऐसे में कुछ व्यापारी उनका समर्थन नहीं कर रहे हैं. यदि लोग उनकी बातों को नहीं समझेंगे, तो इसका नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ेगा.
'आगे और भी होगा उग्र आंदोलन': उन्होंने कहा कि बंद को लेकर यह तो महज शुरुआत है, आगे आंदोलन और भी उग्र होने वाला है. पिछड़ी जाति के आरक्षण के साथ मजाक किए जाने के विरोध में यह आंदोलन किया जा रहा है. राज्य सरकार ने पिछड़ी जातियों के साथ दोहरी नीति अपनाई है. राज्य के कई जिलों में तो आरक्षण 27 प्रतिशत दिया गया है, लेकिन लोहरदगा सहित सात जिला में आरक्षण को शून्य कर दिया गया है. यह पिछड़ी जातियों के साथ फूट डालो शासन करो वाली नीति के तहत काम किया जा रहा है. इसके खिलाफ में एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है. समिति के सदस्यों ने घूम-घूम कर दुकानदारों से बंद करने की अपील की. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के भी कड़े इंतजाम किए गए थे. खुद थाना प्रभारी गश्त कर रहे थे.