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लोहरदगा में छह बच्चों की मौत के बाद जागा शिक्षा विभाग, अभिभावक और बच्चों को किया जाएगा जागरूक

लोहरदगा जिले में पिछले एक महीने के दौरान छह बच्चों की डूबने की वजह से मौत हुई है. बच्चों की मौत को लेकर शिक्षा विभाग ने अब बच्चों और अभिभावकों को जागरूक करने का फैसला लिया है. जिसमें नदी, तालाब, डोभा में नहाने या खेलने के दौरान उत्पन्न खतरे को लेकर सजग किया जाएगा.

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Published : Jun 7, 2023, 4:08 PM IST

Death due to drowning in Lohardaga
Death due to drowning in Lohardaga

लोहरदगा: जिले में पिछले एक महीने के दौरान अलग-अलग थाना क्षेत्रों में नदी, तालाब, डोभा में डूबने से छह बच्चों की मौत हुई है. जिसमें दो बच्चों की भंडरा थाना क्षेत्र में, एक बच्चे की कुडू थाना क्षेत्र में, दो बच्चे की सदर थाना क्षेत्र में और एक बच्चे की सेन्हा थाना क्षेत्र के शामिल हैं. लगातार बच्चों की डूबने से हुई मौत की घटना के बाद आखिरकार शिक्षा विभाग की नींद खुली है. शिक्षा विभाग ने अब अभिभावक और बच्चों को जागरूक करने का फैसला लिया है. इसे लेकर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है. अब स्कूल की कक्षाओं और अभिभावक-शिक्षक गोष्ठी में इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जानिए क्या है पूरा आदेश.

ये भी पढ़ें- Lohardaga News: वो एकटक देखती रही, उसकी आखों के सामने तालाब में समा गए दो बच्चे!

जलाशय खतरे को लेकर जागरुक करने का निर्देश: शिक्षा विभाग ने जलाशय में बच्चों के खेलने या नहाने के दौरान खतरे को लेकर जागरूक करने का निर्देश दिया है. इस संबंध में विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि हाल के समय में नदी, तालाब, डोभा में डूबने की वजह से बच्चों की मौत की घटना को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है. इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक अपूर्वा पाल चौधरी ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें विद्यालय ग्रीष्मावकाश के बाद खुलने के साथ ही विद्यार्थियों को जागरूक करने का निर्देश दिया गया है.

विभागीय पत्र में कहा गया है कि विगत कुछ दिनों से जिले में घटित दुर्घटनाओं में अधिकतर बच्चों की नदी, तालाब, डोभा में डूबने से मृत्यु होने की सूचना प्राप्त हुई है. दुर्भाग्यवश इन सभी बच्चों की उम्र 13 वर्ष तक की बताई जा रही है. ग्रीष्मकालीन अवकाश के उपरांत विद्यालय खुलने के साथ ही सभी कक्षाओं में बच्चों के जलाशयों में बिना अभिभावक की देखरेख के खेलने या नहाने से उत्पन्न खतरा के बारे में चर्चा जरूर करें. इसमें विशेष रूप से ध्यान रखें कि बच्चों के साथ यह चर्चा उनकी आयु वर्ग के अनुरूप की जाए. जिससे बच्चों तक यह संदेश स्पष्ट रूप से पहुंच सके.

आदेश में कहा गया है कि जून-जुलाई, अगस्त एवं सितंबर की मासिक शिक्षक-अभिभावक बैठक में इस विषय पर विस्तृत विमर्श एवं चर्चा की जाए. बैठक में सुनिश्चित हो कि माता-पिता, अभिभावकों को ऐसी दुर्घटनाओं से बचने को लेकर सजगता एवं उत्तरदायित्व से परिचित एवं प्रेरित किया जाए. बैठकों में यथासंभव विद्यालय के पोषक क्षेत्र के गणमान्य एवं प्रौढ़ व्यक्तियों को भी आमंत्रित करें.

लोहरदगा: जिले में पिछले एक महीने के दौरान अलग-अलग थाना क्षेत्रों में नदी, तालाब, डोभा में डूबने से छह बच्चों की मौत हुई है. जिसमें दो बच्चों की भंडरा थाना क्षेत्र में, एक बच्चे की कुडू थाना क्षेत्र में, दो बच्चे की सदर थाना क्षेत्र में और एक बच्चे की सेन्हा थाना क्षेत्र के शामिल हैं. लगातार बच्चों की डूबने से हुई मौत की घटना के बाद आखिरकार शिक्षा विभाग की नींद खुली है. शिक्षा विभाग ने अब अभिभावक और बच्चों को जागरूक करने का फैसला लिया है. इसे लेकर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है. अब स्कूल की कक्षाओं और अभिभावक-शिक्षक गोष्ठी में इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जानिए क्या है पूरा आदेश.

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जलाशय खतरे को लेकर जागरुक करने का निर्देश: शिक्षा विभाग ने जलाशय में बच्चों के खेलने या नहाने के दौरान खतरे को लेकर जागरूक करने का निर्देश दिया है. इस संबंध में विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि हाल के समय में नदी, तालाब, डोभा में डूबने की वजह से बच्चों की मौत की घटना को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है. इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक अपूर्वा पाल चौधरी ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें विद्यालय ग्रीष्मावकाश के बाद खुलने के साथ ही विद्यार्थियों को जागरूक करने का निर्देश दिया गया है.

विभागीय पत्र में कहा गया है कि विगत कुछ दिनों से जिले में घटित दुर्घटनाओं में अधिकतर बच्चों की नदी, तालाब, डोभा में डूबने से मृत्यु होने की सूचना प्राप्त हुई है. दुर्भाग्यवश इन सभी बच्चों की उम्र 13 वर्ष तक की बताई जा रही है. ग्रीष्मकालीन अवकाश के उपरांत विद्यालय खुलने के साथ ही सभी कक्षाओं में बच्चों के जलाशयों में बिना अभिभावक की देखरेख के खेलने या नहाने से उत्पन्न खतरा के बारे में चर्चा जरूर करें. इसमें विशेष रूप से ध्यान रखें कि बच्चों के साथ यह चर्चा उनकी आयु वर्ग के अनुरूप की जाए. जिससे बच्चों तक यह संदेश स्पष्ट रूप से पहुंच सके.

आदेश में कहा गया है कि जून-जुलाई, अगस्त एवं सितंबर की मासिक शिक्षक-अभिभावक बैठक में इस विषय पर विस्तृत विमर्श एवं चर्चा की जाए. बैठक में सुनिश्चित हो कि माता-पिता, अभिभावकों को ऐसी दुर्घटनाओं से बचने को लेकर सजगता एवं उत्तरदायित्व से परिचित एवं प्रेरित किया जाए. बैठकों में यथासंभव विद्यालय के पोषक क्षेत्र के गणमान्य एवं प्रौढ़ व्यक्तियों को भी आमंत्रित करें.

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