लोहरदगा: राजधानी रांची से सटा लोहरदगा जिले में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. नागरिकों को इन सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. सरकार जिले में विकास के लाख दावे करे, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. 17 मई 1983 को लोहरदगा जिला का गठन हुआ था. जिला गठन के 37 साल के बाद भी लोहरदगा विकास से कोसों दूर है. जिले में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का काम अधूरा पड़ा है. शहर में कुछ हद तक सरकारी योजनाओं का लाभ भी पहुंचा है, लेकिन आज भी कई जगहों पर सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल आदि की बेहतर सुविधा नहीं है. जिले में बन रहे बाईपास सड़क का काम भी अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है.
सड़कों का बुरा हाल
जिले में साल 2008 में बाईपास सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. आज तक बाईपास सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका है. ग्रामीण सड़कों की हालत भी खराब है. गांव में पेयजल का बेहतर प्रबंध नहीं है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. साथ ही सिंचाई की व बिजली की समस्या आज भी कायम है.
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हालांकि लोहरदगा जिले के 37 साल के सफर के दौरान नक्सलवाद पर काफी हद तक काबू पाया किया गया है, लेकिन विकास की दौड़ में अभी भी पिछड़ा हुआ है. जिले में विकास की कई योजनाओं को पूरा करना बेहद जरूरी है. खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, सिंचाई सहित कई जरूरतों को पूरा किए बिना विकास की कल्पना को साकार नहीं किया जा कता है. लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए सरकार को उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना होगा, तभी लोहरदगा जिला गठन का उद्देश्य पूरा हो सकता है.