लातेहारः सुग्गा बांध जिले को प्रकृति का अनुपम उपहार है. बड़े-बड़े चट्टानों और मनोरम वादियों के बीच कल-कल बहता पानी और लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरता फॉल लोगों का मन मोह लेता है. इस खूबसूरत फॉल के पीछे एक अनोखी कहानी भी छिपी हुई है. जिले के गारू प्रखंड अंतर्गत स्थित सुग्गा बांध की खूबसूरती अपने आप में निराली है. पत्थरों के बीच बहने वाली नदी की धार काफी तेज और शीतल होती है. यहां की खूबसूरती का लुत्फ उठाने दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं. अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक यहां काफी भीड़ लगी रहती है.
तोता की छिपी है अनोखी कहानी
इस मनोरम स्थल के पीछे एक अनोखी कहानी भी है. स्थानीय निवासी देवनीस लिली ने बताया कि तोता को स्थानीय भाषा में लोग सुग्गा कहते हैं. लोक कथा है कि काफी साल पहले यहां एक बांध हुआ करता था. बांध के ऊपर तोते ने अपना घोंसला बना रखा था. बरसात के दिनों में जब बांध में पानी भरने लगा तो तोते का घोंसला भी उसकी चपेट में आने लगा. ऐसे में तोता ने अपनी चोच से मारकर बांध के चट्टान को तोड़ना आरंभ किया. तोता ने अपने कठिन परिश्रम से बांध में सुराख कर दिया. जिससे होकर पानी बहने लगा और तोता का घोंसला सुरक्षित बच गया. इसी लोक कथा के आधार पर इस फॉल का नाम सुग्गा बांध रखा गया.
हर वर्ष लगती है पर्यटकों की भीड़
सुग्गा फॉल में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. झारखंड के अलावा बंगाल, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ समेत आसपास के अन्य राज्यों की पर्यटक यहां बड़ी संख्या में आते हैं और प्रकृति के अनुपम धरोहर का लुत्फ उठाते हैं. पिकनिक स्पॉट के रूप में यह स्थल काफी विख्यात है. पर्यटक पंकज कुमार गिरी ने बताया कि यह स्थान काफी मनोरम है. वह लोग प्रत्येक वर्ष यहां आते हैं और घंटों समय बिताते हैं.
इसे भी पढ़ें- ट्रैक्टर परेड समय से पहले शुरू हुई, भड़काऊ भाषण दिए गए : दिल्ली पुलिस
लातेहार से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह फॉल
सुग्गा बांध जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. पलामू जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 110 किलोमीटर है. वहीं राजधानी रांची से यह लगभग 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां आने-जाने का एकमात्र रास्ता सड़क मार्ग ही है.
पर्यटन के दृष्टिकोण से मिल रहा है बढ़ावा
उपायुक्त अबु इमरान ने कहा कि जिले के पर्यटन क्षेत्रों के विकास के लिए जिला प्रशासन तत्पर है. उन्होंने कहा कि पर्यटक स्थलों पर सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. हालांकि वन भूमि के कारण कहीं-कहीं परेशानी भी हो रही है. जिसके लिए वन विभाग से समन्वय स्थापित कर समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.