लातेहारः पांचवीं अनुसूची में किए गए प्रावधानों को लागू करने की मांग (tana bhagat protested in latehar civil court) को लेकर सोमवार को टाना भगत समुदाय के लोगों ने सिविल कोर्ट में धरना प्रदर्शन किया. आंदोलनकारियों के धरना प्रदर्शन की वजह से न्यायालय कार्य प्रभावित हो गया. आंदोलन कर रहे लोगों ने कहा कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
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आंदोलनकारियों ने बताया कि लातेहार सहित राज्य के कई जिलों को संविधान के पांचवी अनुसूची में रखा गया है. इस अनुसूची में आने वाले जिलों में शासन प्रशासन की बागडोर ग्रामसभा और आदिवासियों के हाथों में होगी. लेकिन संविधान के इस अनुसूची को लागू नहीं किया जा रहा है. इससे आदिवासियों को हक और अधिकार से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से हम अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन, शासन हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है.
आंदोलन कर रहे टाना भगत समुदाय के लोगों को समझाने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी कोर्ट परिसर पहुंचे. सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव, अंचलाधिकारी रूद्र प्रताप, एसडीपीओ संतोष कुमार मिश्र, इंस्पेक्टर अमित कुमार गुप्ता ने आंदोलनकारियों को शांत कराने का प्रयास किया. लेकिन आंदोलनकारी किसी की बात सुनने को तैयार नहीं दिखे. इस दौरान आंदोलनकारी कोर्ट परिसर में धरना पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी की.
पांचवीं अनुसूची की मांग को लेकर टाना भगत समुदाय के लोगों ने पंचायत चुनाव का भी बहिष्कार किया था. पंचायत चुनाव रद्द करने की मांग को लेकर टाना भगतों ने समाहरणालय के साथ साथ सभी सरकारी कार्यालयों को 5 दिनों तक बंद रखा था. हालांकि 5 दिनों के बाद टाना भगत समुदाय के लोगों ने आंदोलन खत्म किया था. आदिवासी समाज और टाना भगत समुदाय के कुछ लोगों ने एक माह पहले महुआडांड़ अनुमंडल कार्यालय और प्रखंड कार्यालय को भी 3 दिनों तक बंद रखा था.
लातेहार सिविल कोर्ट के कार्य को बाधित करने और न्यायालय प्रांगण में धरना दिए जाने के बाद आम लोगों में कई प्रकार की चर्चा शुरू हो गई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि न्यायालय का घेराव किया जाना खुल्लम-खुल्ला कानून का उल्लंघन है. इसके बावजूद प्रशासन दर्शक बनकर देखता रहा. उन्होंने कहा कि न्यायालय परिसर में आंदोलन करना अपराध है.