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Panchayat Election: टाना भगत ने की पंचायत चुनाव रद्द कराने की मांग, रैली निकालकर सरकार को दी चेतावनी

झारखंड में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) से पहले ही चुनाव का विरोध शुरू हो गया है. लातेहार में विभिन्न जिलों से पहुंचे टाटा भगत समुदाय के लोगों ने रैली निकाली और सरकार से चुनाव रद्द कराने की मांग की. टाना भगत समुदाय के लोगों का कहना है कि झारखंड के 15 जिलों में संविधान के पांचवी अनुसूची के तहत पंचायत चुनाव कराना पूरी तरह असंवैधानिक है.

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विरोध प्रदर्शन
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Published : Nov 8, 2021, 5:11 PM IST

लातेहार: पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सरकार अभी तैयारी ही कर रही है. लेकिन चुनाव का विरोध शुरू हो गया है. लातेहार जिला मुख्यालय में झारखंड के विभिन्न जिलों से पहुंचे टाना भगत समुदाय के लोगों ने विशाल रैली निकालकर पंचायत चुनाव रद्द करने की मांग की.



इसे भी पढे़ं: Panchayat election in Jharkhand: मुंडा आदिवासी नहीं लेंगे पंचायत चुनाव में भाग, बंदगांव बाजार टांड़ में ऐलान

टाना भगत समुदाय के लोगों का कहना है कि झारखंड के 15 जिलों में संविधान के पांचवी अनुसूची के तहत पंचायत चुनाव कराना पूरी तरह असंवैधानिक है. पांचवी अनुसूची में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन जिलों में शासन प्रशासन को नियंत्रण करने का अधिकार आदिवासी समुदाय को ही है. ऐसे में पंचायत चुनाव करवाकर सरकार पांचवी अनुसूची का उल्लंघन कर रही है. टाना भगत समुदाय के लोग सरकार से पंचायत चुनाव को रद्द करते हुए संविधान के पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासियों को ग्राम पंचायत के विकास का पूरा अधिकार देने की मांग कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

प्रयोगशाला बन गया है झारखंड


रैली में शामिल होने गुमला से आए जनार्दन टाना भगत, परमेश्वर टाना भगत के अलावा अन्य ने कहा कि झारखंड राज्य का निर्माण आदिवासियों के विकास के लिए किया गया था. लेकिन राज्य निर्माण के 20 साल बाद भी यहां आदिवासियों का कोई विकास नहीं हुआ. राज्य में पंचायत चुनाव हुए. लेकिन उसका भी लाभ आदिवासी समाज को नहीं मिला. गांव का कुछ भी विकास नहीं हुआ. सरकार ने झारखंड को प्रयोग की धरती बनाकर रख दिया है. ऐसे में टाना भगत समुदाय के लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि पुरानी व्यवस्था के तहत एक बार विकास की जिम्मेवारी आदिवासी समुदाय को दी जाए, ताकि ग्राम समाज का विकास हो सके.



बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे टाना भगत समुदाय के लोग

पंचायत चुनाव का विरोध करने के लिए बड़ी संख्या में टाना भगत समुदाय के लोग लातेहार जिला मुख्यालय में पहुंचे. लातेहार बाजार से रैली निकालकर पूरे शहर का भ्रमण करते हुए समाहरणालय पहुंचे और सरकार के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.

इसे भी पढे़ं: झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध, 22 पड़हा समिति ने राजभवन के सामने किया प्रदर्शन

क्या है पांचवीं अनुसूची

भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची देश के 10 राज्यों के आदिवासी इलाकों में लागू है. संविधान की यह अनुसूची स्थानीय समुदाय का लघु वन उत्पाद, जल और खनिज पर अधिकार सुनिश्चित करती है. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया था कि बगैर ग्रामसभा की इजाजत लिए अनुसूचित क्षेत्रों में किए जा रहे सभी प्रकार के खनन और औद्योगिक गतिविधियां गैरकानूनी हैं. इस आदेश में न्यायालय ने ग्रामसभा की भूमिका को भी परिभाषित किया और खनन व अन्य कंपनियों को आदेश दिया कि वे अपने राजस्व को कोऑपरेटिव के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ साझा करें. इसी फैसले के बाद इस अनुसूची के प्रावधान प्रकाश में आए थे.

सरकार को आंदोलन की चेतावनी


टाना भगत समुदाय के द्वारा पंचायत चुनाव का विरोध किए जाने के बाद झारखंड में पंचायत चुनाव पर एक बार फिर से प्रश्न चिन्ह लगने लगा है. क्योंकि टाना भगत समुदाय के लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सरकार उनकी बात को नहीं मानती है तो उनका आंदोलन और उग्र होगा.

लातेहार: पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सरकार अभी तैयारी ही कर रही है. लेकिन चुनाव का विरोध शुरू हो गया है. लातेहार जिला मुख्यालय में झारखंड के विभिन्न जिलों से पहुंचे टाना भगत समुदाय के लोगों ने विशाल रैली निकालकर पंचायत चुनाव रद्द करने की मांग की.



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टाना भगत समुदाय के लोगों का कहना है कि झारखंड के 15 जिलों में संविधान के पांचवी अनुसूची के तहत पंचायत चुनाव कराना पूरी तरह असंवैधानिक है. पांचवी अनुसूची में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन जिलों में शासन प्रशासन को नियंत्रण करने का अधिकार आदिवासी समुदाय को ही है. ऐसे में पंचायत चुनाव करवाकर सरकार पांचवी अनुसूची का उल्लंघन कर रही है. टाना भगत समुदाय के लोग सरकार से पंचायत चुनाव को रद्द करते हुए संविधान के पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासियों को ग्राम पंचायत के विकास का पूरा अधिकार देने की मांग कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

प्रयोगशाला बन गया है झारखंड


रैली में शामिल होने गुमला से आए जनार्दन टाना भगत, परमेश्वर टाना भगत के अलावा अन्य ने कहा कि झारखंड राज्य का निर्माण आदिवासियों के विकास के लिए किया गया था. लेकिन राज्य निर्माण के 20 साल बाद भी यहां आदिवासियों का कोई विकास नहीं हुआ. राज्य में पंचायत चुनाव हुए. लेकिन उसका भी लाभ आदिवासी समाज को नहीं मिला. गांव का कुछ भी विकास नहीं हुआ. सरकार ने झारखंड को प्रयोग की धरती बनाकर रख दिया है. ऐसे में टाना भगत समुदाय के लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि पुरानी व्यवस्था के तहत एक बार विकास की जिम्मेवारी आदिवासी समुदाय को दी जाए, ताकि ग्राम समाज का विकास हो सके.



बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे टाना भगत समुदाय के लोग

पंचायत चुनाव का विरोध करने के लिए बड़ी संख्या में टाना भगत समुदाय के लोग लातेहार जिला मुख्यालय में पहुंचे. लातेहार बाजार से रैली निकालकर पूरे शहर का भ्रमण करते हुए समाहरणालय पहुंचे और सरकार के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.

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क्या है पांचवीं अनुसूची

भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची देश के 10 राज्यों के आदिवासी इलाकों में लागू है. संविधान की यह अनुसूची स्थानीय समुदाय का लघु वन उत्पाद, जल और खनिज पर अधिकार सुनिश्चित करती है. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया था कि बगैर ग्रामसभा की इजाजत लिए अनुसूचित क्षेत्रों में किए जा रहे सभी प्रकार के खनन और औद्योगिक गतिविधियां गैरकानूनी हैं. इस आदेश में न्यायालय ने ग्रामसभा की भूमिका को भी परिभाषित किया और खनन व अन्य कंपनियों को आदेश दिया कि वे अपने राजस्व को कोऑपरेटिव के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ साझा करें. इसी फैसले के बाद इस अनुसूची के प्रावधान प्रकाश में आए थे.

सरकार को आंदोलन की चेतावनी


टाना भगत समुदाय के द्वारा पंचायत चुनाव का विरोध किए जाने के बाद झारखंड में पंचायत चुनाव पर एक बार फिर से प्रश्न चिन्ह लगने लगा है. क्योंकि टाना भगत समुदाय के लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सरकार उनकी बात को नहीं मानती है तो उनका आंदोलन और उग्र होगा.

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