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नेतरहाट को नई पहचान दे रहा है राजू, आधुनिक तकनीक और व्यावसायिक खेती से किसानों को कराया रूबरू

लातेहार के नेतरहाट को हैदराबाद से आया युवक श्रीनिवासन राजू नई पहचान दिलाने में लगा है. दरअसल, पानी की कमी के कारण स्थानीय किसान मुख्य रूप से धान और मक्का की खेती कर पाते थे, लेकिन राजू ने लोगों को आधुनिक तकनीक से रूबरू कराया. अब नेतरहाट में मिर्च, टमाटर, कद्दू, अदरक, हल्दी, बैगन आदि खेती के अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है.

farming with modern technology in netarhat in latehar
लातेहार के नेतरहाट
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Published : Dec 24, 2020, 12:04 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 2:43 PM IST

लातेहारः झारखंड की रानी के रूप में प्रसिद्ध लातेहार का नेतरहाट अपने प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए झारखंड के अलावा आस-पास के दूसरे राज्यों में भी विख्यात है. नैसर्गिक सौंदर्यता, ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, खुशनुमा मौसम के अलावा नाशपाती की खेती और सूर्योदय तथा सूर्यास्त नेतरहाट की पहचान रही है, लेकिन हैदराबाद से आया युवक श्रीनिवासन राजू नेतरहाट को नई पहचान देने में जुट गया है. श्रीनिवासन राजू के प्रयास से स्थानीय किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं और खेती में ही सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

पानी की कमी से नहीं हो पाती थी खेती
दरअसल हैदराबाद निवासी श्रीनिवासन राजू अपनी पूरी टीम के साथ बॉक्साइट माइनिंग के रेजिंग का काम करने अक्सर नेतरहाट आया करता था. इस दौरान गांव में घूमने के क्रम में राजू अक्सर किसानों से भी मिला करता था. यहां के किसान मुख्य रूप से धान और मक्का की खेती कर पाते थे. नेतरहाट में पानी की घोर कमी रहने के कारण किसान अन्य दूसरे प्रकार की खेती के बारे में सोचा भी नहीं करते थे.

राजू ने बनाई खेती की योजना
राजू ने यहां की भौगोलिक बनावट और खुशनुमा मौसम को देखते हुए नेतरहाट में वैकल्पिक खेती करने की योजना तैयार की. चुंकी राजू की पारिवारिक पृष्ठभूमि खेती से जुड़ी हुई थी. ऐसे में उसे खेती के नए तरीकों की भी जानकारी थी. राजू ने स्थानीय किसानों से ही लगभग 20 एकड़ जमीन लीज पर ली और खेती आरंभ की. खुद खेती करने के साथ-साथ वह दूसरे किसानों को भी खेती की नई तकनीक से रूबरू कराने लगा.

इसे भी पढ़ें- कोडरमाः 9 महीने बाद स्कूलों में लौटी रौनक, शिक्षकों और छात्रों में उत्साह

सिंचाई के लिए लगाई टपक सिंचाई विधि
नेतरहाट में पानी की कमी को देखते हुए फसलों की सिंचाई के लिए श्रीनिवासन राजू ने अपने खेतों में टपक सिंचाई विधि से सिंचाई की व्यवस्था की. इस व्यवस्था से कम पानी में ही फसलों की बेहतर सिंचाई होने लगी. जिससे उत्पादन भी बेहतर होने लगा. राजू से सीख कर नेतरहाट के कुछ अन्य किसानों ने भी अपने खेतों में टपक सिंचाई विधि से सिंचाई आरंभ की.

आरंभ की स्ट्रॉबेरी की खेती
श्रीनिवासन राजू ने नेतरहाट में मिर्च, टमाटर, कद्दू, अदरक, हल्दी, बैगन आदि खेती के अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती भी आरंभ की. इस वर्ष से स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर आरंभ कर दी गई है. राजू ने बताया कि वह बॉक्साइट के रेजिंग के काम से यहां आते थे. इसी दौरान यहां की आबोहवा को देखकर उन्होंने यही बस जाने का निर्णय लिया. शुरुआत में तो लोग उनकी कल्पना को बेकार समझते थे और हंसी में उड़ा देते थे, लेकिन धीरे धीरे लोग अब खेती की उनके कल्पना को स्वीकार करने लगे हैं. उन्होंने कहा कि गत 3 वर्षों से नेतरहाट में स्ट्रॉबेरी की खेती प्रायोगिक रूप से कर रहे थे. इस वर्ष व्यावसायिक रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. नेतरहाट में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे तो यहां के किसानों को काफी बेहतर मुनाफा होने लगेगा. वहीं नेतरहाट पूरे देश में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रसिद्ध हो जाएगा.

क्या कहते हैं किसान
स्थानीय किसानों का कहना है कि श्रीनिवासन राजू ने उन्हें खेती की नई तकनीक से रूबरू कराया. अब वे लोग पारंपरिक खेती के अलावा स्ट्रॉबेरी जैसी व्यावसायिक फसल भी उगाने लगे हैं.

लातेहारः झारखंड की रानी के रूप में प्रसिद्ध लातेहार का नेतरहाट अपने प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए झारखंड के अलावा आस-पास के दूसरे राज्यों में भी विख्यात है. नैसर्गिक सौंदर्यता, ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, खुशनुमा मौसम के अलावा नाशपाती की खेती और सूर्योदय तथा सूर्यास्त नेतरहाट की पहचान रही है, लेकिन हैदराबाद से आया युवक श्रीनिवासन राजू नेतरहाट को नई पहचान देने में जुट गया है. श्रीनिवासन राजू के प्रयास से स्थानीय किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं और खेती में ही सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगे हैं.

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पानी की कमी से नहीं हो पाती थी खेती
दरअसल हैदराबाद निवासी श्रीनिवासन राजू अपनी पूरी टीम के साथ बॉक्साइट माइनिंग के रेजिंग का काम करने अक्सर नेतरहाट आया करता था. इस दौरान गांव में घूमने के क्रम में राजू अक्सर किसानों से भी मिला करता था. यहां के किसान मुख्य रूप से धान और मक्का की खेती कर पाते थे. नेतरहाट में पानी की घोर कमी रहने के कारण किसान अन्य दूसरे प्रकार की खेती के बारे में सोचा भी नहीं करते थे.

राजू ने बनाई खेती की योजना
राजू ने यहां की भौगोलिक बनावट और खुशनुमा मौसम को देखते हुए नेतरहाट में वैकल्पिक खेती करने की योजना तैयार की. चुंकी राजू की पारिवारिक पृष्ठभूमि खेती से जुड़ी हुई थी. ऐसे में उसे खेती के नए तरीकों की भी जानकारी थी. राजू ने स्थानीय किसानों से ही लगभग 20 एकड़ जमीन लीज पर ली और खेती आरंभ की. खुद खेती करने के साथ-साथ वह दूसरे किसानों को भी खेती की नई तकनीक से रूबरू कराने लगा.

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सिंचाई के लिए लगाई टपक सिंचाई विधि
नेतरहाट में पानी की कमी को देखते हुए फसलों की सिंचाई के लिए श्रीनिवासन राजू ने अपने खेतों में टपक सिंचाई विधि से सिंचाई की व्यवस्था की. इस व्यवस्था से कम पानी में ही फसलों की बेहतर सिंचाई होने लगी. जिससे उत्पादन भी बेहतर होने लगा. राजू से सीख कर नेतरहाट के कुछ अन्य किसानों ने भी अपने खेतों में टपक सिंचाई विधि से सिंचाई आरंभ की.

आरंभ की स्ट्रॉबेरी की खेती
श्रीनिवासन राजू ने नेतरहाट में मिर्च, टमाटर, कद्दू, अदरक, हल्दी, बैगन आदि खेती के अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती भी आरंभ की. इस वर्ष से स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर आरंभ कर दी गई है. राजू ने बताया कि वह बॉक्साइट के रेजिंग के काम से यहां आते थे. इसी दौरान यहां की आबोहवा को देखकर उन्होंने यही बस जाने का निर्णय लिया. शुरुआत में तो लोग उनकी कल्पना को बेकार समझते थे और हंसी में उड़ा देते थे, लेकिन धीरे धीरे लोग अब खेती की उनके कल्पना को स्वीकार करने लगे हैं. उन्होंने कहा कि गत 3 वर्षों से नेतरहाट में स्ट्रॉबेरी की खेती प्रायोगिक रूप से कर रहे थे. इस वर्ष व्यावसायिक रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. नेतरहाट में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे तो यहां के किसानों को काफी बेहतर मुनाफा होने लगेगा. वहीं नेतरहाट पूरे देश में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रसिद्ध हो जाएगा.

क्या कहते हैं किसान
स्थानीय किसानों का कहना है कि श्रीनिवासन राजू ने उन्हें खेती की नई तकनीक से रूबरू कराया. अब वे लोग पारंपरिक खेती के अलावा स्ट्रॉबेरी जैसी व्यावसायिक फसल भी उगाने लगे हैं.

Last Updated : Dec 24, 2020, 2:43 PM IST
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