लातेहारः कहा जाता है, जहां चाह होता है वहां राह अपने आप मिल जाता है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया लातेहार के सालोडीह गांव निवासी सोमर उरांव ने. सोमर ने अपने टोले के लोगों का प्यास बुझाने के लिए खुद ही कुआं खोद डाला. सोमर के इस जज्बे को लेकर आसपास के लोग सोमर को लातेहार का दशरथ मांझी कहने लगे हैं.
दरअसल, लातेहार के सालोडीह गांव के स्कूल टोला में पानी की घोर कमी थी. टोले के पास लगे चापानल काफी पहले से खराब पड़ें हैं. ऐसे में सालों भर इस टोले में पानी की घोर कमी रहती है. पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण कई बार सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके थे. सभी जगह से मात्र आश्वासन ही मिला. अंत में टोले के सोमर उरांव ने अपने दम पर कुआं खोदने का संकल्प लिया और काम शुरू कर दिया. सोमर के इस काम को देखते हुए उसकी बूढ़ी मां के अलावा परिवार के दूसरे सदस्य भी एकजुट होकर कुआं की खुदाई में जुट गए.
मुसीबतों ने नहीं छोड़ा साथ
सोमर और उसके परिवार ने कुएं की खुदाई शुरू तो कर दी लेकिन मुसीबतों ने पीछा नहीं छोड़ा. लगभग10 फीट खुदाई के बाद ही जमीन के अंदर चट्टान मिल गया. इससे तो एक बार पूरा परिवार ही निराश हो गया. जिसके बाद भी हौसला नहीं छोड़ा और चट्टान का सीना चीरना शुरू कर दिया. करीब 6 महीने के अथक प्रयास के बाद कुएं की खुदाई पूरी हुई. अब कुएं की बंधाई का काम अंतिम चरण में है. लातेहार के दशरथ मांझी सोमर ने कहा कि टोले में पानी की घोर कमी थी. लोगों को 1 किलोमीटर दूर खेत से पानी लाना पड़ता था. कई बार मांग करने के बावजूद ना तो प्रशासन से मदद मिली न ही जनप्रतिनिधियों ने ही कोई मदद की. ऐसे में उसने खुद ही कुआं खोदने का संकल्प ले लिया.
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सोमर की मां मनिया देवी ने कहा कि कहीं से कोई मदद नहीं मिली. उसके बेटों ने लोगों के प्यास बुझाने के लिए कुआं खोदा है. इसे पूरा करने में घर से 50 से 60 हजार रुपए भी खर्च हो गए. वहीं, सीता देवी ने कहा कि अब पानी की कमी नहीं होगी. इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने ग्रामीणों के जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि यह कार्य निश्चित ही समाज के लिए प्रेरणादायी है.