लातेहारः कहा जाता है कि सड़क किसी भी इलाके की विकास की पहचान होती है. इस पैमाने पर अगर देखा जाए तो लातेहार जिले के कई ग्रामीण क्षेत्र विकास के मामले में काफी पीछे छूट गए हैं. लातेहार जिला मुख्यालय से पांडेयपुरा और आरागुंडी पंचायत को जोड़ने वाली ग्रामीण सड़क की हालात सरकारी विकास के दावों की पोल खोल रही है.
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दरअसल लातेहार जिला मुख्यालय से पांडेयपुरा और आरागुंडी पंचायत को जोड़ने वाली ग्रामीण सड़क इन दिनों काफी जर्जर हो गई है. लगभग 10 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर 10,000 से अधिक गड्ढे उभर आए हैं. सड़क पर चलने वाले लोगों को यह पता ही नहीं चल पाता कि सड़क पर गड्ढा है या गड्ढे में सड़क है? जर्जर सड़क होने के कारण लगभग 10000 लोग सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. स्थानीय निवासी मोहम्मद आरिफ की माने तो सड़क के जर्जर होने से यहां के ग्रामीण काफी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि कई बार तो स्थानीय विधायक और सरकारी अधिकारियों से भी इस मामले में गुहार लगाया जा चुका है, परंतु कहीं से ग्रामीणों को सहायता नहीं दी गई.
5 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगते हैं आधा घंटाः स्थानी ग्रामीण द्वारिका प्रसाद बताते हैं कि सड़क की स्थिति का जायजा इसी से लगाया जा सकता है कि 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में ग्रामीणों को आधा घंटा से 45 मिनट तक लग जाता है. पांडेयपुरा से लातेहार जिला मुख्यालय की दूरी मुश्किल से 5 किलोमीटर है. परंतु इस गांव के लोगों को लातेहार जिला मुख्यालय जाने से पहले 10 बार सोचना पड़ता है. उन्होंने कहा कि जर्जर सड़क होने के कारण यहां अक्सर दुर्घटना भी होते रहती है, जिससे लोगों की जान हमेशा जोखिम में रहती है.
बालूमाथ जाने का है शॉर्टकट रास्ताः ग्रामीण आशीष प्रसाद बताते हैं कि यह रास्ता बालूमाथ जाने के लिए काफी शॉर्टकट है. लातेहार जिला मुख्यालय से यदि लोग इस रास्ते का उपयोग कर बालूमाथ जाते हैं तो उन्हें कम से कम 7 किलोमीटर की दूरी कम पड़ती है. परंतु सड़क की स्थिति इतनी जर्जर है कि लोग इस पर चलना खतरों से खेलने के बराबर समझते हैं.
8 वर्ष पहले बनी थी सड़कः बताया जाता है कि इस सड़क को 8 वर्ष पहले ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा बनाया गया था. परंतु निर्माण के दौरान संवेदक के द्वारा जमकर धांधली की गई थी. जिसके कारण सड़क बनने के साथ ही ध्वस्त होने लगी थी. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सड़क की गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल भी उठाए थे. परंतु विभागीय मिलीभगत के कारण पूरे मामले की लीपापोती कर दी गई. इसी का परिणाम हुआ कि सड़क अपने निर्माण के एक- दो वर्ष के अंदर ही जर्जर हो गई थी. वर्तमान में तो स्थिति ऐसी हो गई है कि इस पर वाहन से चलना खतरे से खेलने के समान है.
विभाग से संबंध स्थापित कर कराई जाएगी सड़क की मरम्मतः इधर इस संबंध में लातेहार सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव ने कहा कि इस सड़क का निर्माण प्रखंड कार्यालय के द्वारा नहीं कराया जा सकता. इसके निर्माण के लिए वरीय अधिकारियों के माध्यम से संबंधित विभाग से समन्वय स्थापित किया जाएगा. उनका प्रयास होगा कि जल्द ही सड़क को दुरुस्त करा कर ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाए.
सरकार एक तरफ गांव गांव तक पक्की सड़क बनाकर ग्रामीणों के जीवन को आसान करने की दावे करती है. परंतु कई ऐसे गांव हैं जहां कागज में तो पक्की सड़क बनी हुई है पर धरातल पर सच्चाई यह है कि उन सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल है. जरूरत इस बात की है कि सरकार और प्रशासन ऐसी सड़कों को दुरुस्त कराएं ताकि सरकारी दावे धरातल पर उतर सके.