लातेहारः नेतरहाट अपनी हसीन वादियों के लिए झारखंड ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों में भी विख्यात है. लेकिन इसकी खूबसूरती पर अब अफीम माफियाओं की नजर लग गई है. नेतरहाट के तराई इलाकों में इन दिनों बड़े पैमाने पर पोस्ता की खेती की जा रही है. दूसरे शब्दों में कहे तो जिस नेतरहाट को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की योजना है. उसी नेतरहाट की घाटिया अफीम की खेती के हब के रूप में विकसित होती जा रही है.
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क्वीन ऑफ छोटानागपुर या झारखंड की रानी कही जाने वाली नेतरहाट की तराई में बसे नैना गांव से सटे माधो टोला के जंगल में इन दिनों बड़े पैमाने पर अफीम की खेती लहलहा रही है. यह अफीम की खेती अब तैयार होने के कगार पर पहुंच गई है. कुछ खेतों में तो पोस्ता के फल में चीरा लगाकर अफीम तैयार करने का कार्य भी आरंभ कर दिया गया है. इतना सब होते हुए भी खूबसूरत वादियों में जहर घोलने वाले तस्करों के खिलाफ अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जबकि ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने इसकी खबर जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक दे दी है.
बालूमाथ, बारियातू, हेरहंज और चंदवा के बाद नेतरहाट पर तस्करों की नजरः लातेहार जिला में अफीम की खेती और तस्करी कोई नई बात नहीं है. चतरा और पलामू जिला से सटे लातेहार के इलाकों में अफीम की खेती होने की खबर तो अक्सर मिलती है. लेकिन अब तस्करों की नजर झारखंड की रानी कहे जाने वाले नेतरहाट की सुंदर वादियों पर भी पड़ गई है. ग्रामीण बताते हैं कि नेतरहाट के नीचे बसे ग्रामीण क्षेत्रों से सटे जंगली इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही है, पर आज तक इन इलाकों में पुलिस की दबिश नहीं पड़ी. इसी का फायदा उठाकर इस बार अफीम तस्कर बड़े पैमाने पर अफीम की खेती इस इलाके में कर रहे हैं.
ग्रामीणों को लालच और धमकीः अपना नाम ना बताने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि इस इलाके में अफीम की तस्करी करने वाले लोग ग्रामीणों को लालच के साथ-साथ धमकी भी दे रहे हैं. ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर अफीम की खेती करने के प्रति उसकाया जा रहा है. वहीं जो ग्रामीण तस्करों के झांसे में नहीं आ रहे हैं, उन्हें इस मामले में दखल नहीं देने की धमकी दी जा रही है.
ग्रामीणों को यह भी धमकी दी जा रही है कि अगर किसी ने इस मामले की जानकारी बाहरी लोगों को दी तो इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. मजबूरी में अधिकांश ग्रामीण सब कुछ जानते हुए भी मूक दर्शक बने हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोगों ने अफीम की खेती की जानकारी प्रतिनिधियों और अधिकारियों को दी, पर इस पर प्रतिनिधियों या अधिकारियों के द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई. ऐसे में अब ग्रामीण चुप ही रहने में अपनी भलाई समझ रहे हैं.
नेतरहाट की बदल जाएगी पहचानः स्थानीय लोगों की मानें तो नेतरहाट में झारखंड ही नहीं बल्कि आसपास के दूसरे राज्यों के पर्यटन बड़े पैमाने पर आते हैं और यहां की हसीन वादियों का लुत्फ उठाते हैं. नेतरहाट में राज्य के बड़े राजनेताओं के साथ-साथ बड़े अधिकारियों का दौरा भी लगातार होते रहता है. अब तक नेतरहाट की पहचान इसकी खूबसूरत वादियां और यहां का सुहाना मौसम है. लेकिन जिस प्रकार अफीम की खेती का कारोबार इस इलाके में फैल रहा है, उससे भविष्य में नेतरहाट की पहचान ही बदल जाएगी. जिस प्रकार नशे के कारोबारियों ने जहर की खेती के लिए नेतरहाट की तराई इलाकों को अपना सेफ जोन बनाया है. उससे आने वाले भविष्य में नेतरहाट की वादियां नशे की जहरीली हवा से बदरंग हो जाएगी.
थाना प्रभारी ने कहा- नहीं होने देंगे नशे की खेतीः इस संबंध में जब नेतरहाट थाना प्रभारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि अभी तक पुलिस को इसकी सूचना नहीं मिली है. पर अगर ऐसी बात है तो वह इसका सत्यापन करा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में नशे की खेती नहीं करने दी जाएगी दोषियों पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा. नेतरहाट की घाटी में अफीम की खेती अत्यंत चिंताजनक बात है. जरूरत इस बात की है कि प्रशासन ऐसे मामलों में तत्काल एक्शन लेते हुए दोषियों पर कार्रवाई करें ताकि नेतरहाट की खूबसूरती में दाग ना लगे.