लातेहार: मान्यताओं और आस्थाओं को कभी किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में स्थित मां उग्रतारा नगर भगवती का मंदिर. यह मंदिर यूं तो लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. लेकिन इसकी मान्यता बाकि मंदिरों से काफी अलग है. दरअसल, यह देश का पहला ऐसा मंदिर है जहां नवरात्र की पूजा 16 दिनों तक होती है.
यहां सोमवार से शुरू हो चुकी है पूजा
पूरे देश में जहां पितृपक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्र शुरू होता है वहीं यहां पितृपक्ष में ही नवरात्र का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगता है. जबकि आम मान्यता यह है कि पितृपक्ष में कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ नहीं किया जाता. दरअसल, जिउतिया त्योहार के दूसरे दिन से ही यहां माता के कलश की स्थापना कर मां अष्टादशभुजी की पूजा आरंभ कर दी जाती है. अपनी मान्यता के अनुरूप इस मंदिर में सोमवार से ही कलश स्थापना के साथ 16 दिवसीय नवरात्र शुरू हो गया है.
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मंदिर में बली का है प्रावधान
इस मंदिर में महिषासुर वध के उपलक्ष्य में भैंसा की बलि देने की प्रथा आज भी जारी है. 16 दिनों तक चलने वाले इस पूजा विधान में 3 दिन विशेष बलि दी जाती है. वहीं अष्टमी के दिन यहां भैंसा की बलि दी जाती है. 16 दिन के नवरात्र के दौरान प्रतिदिन यहां विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है और मंदिर में रोज भगवती को भोग लगाया जाता है. वहीं प्रतिदिन विशेष आरती का भी आयोजन किया जाता है.
मंदिर में 16 दिन का नवरात्र मनाने का इतिहास 400 वर्ष पुराना
मंदिर की मान्यता के बारे में मंदिर के पुजारी अवध पाठक का कहना है कि यहां 16 दिनों के नवरात्रि मनाने का इतिहास 400 वर्ष पुराना है. वे कहते हैं कि माता के मंदिर की स्थापना काल से ही यहां 16 दिनों तक नवरात्र की पूजा की जाती है.
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शाही परिवार ने करवाई थी मंदिर की स्थापना
मंदिर कि स्थापना के बारे में शाही परिवार के सदस्य गोकुल शाही का कहना है कि उनके पूर्वजों ने इस मंदिर की स्थापना करवाई थी. वहीं उनका कहना है कि 16 दिनों के नवरात्र की यह परंपरा काफी पुरानी है.
मिश्री और गड़ी है मंदिर का मुख्य प्रसाद
इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहां केवल फूल चढ़ा देने भर से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. वहीं यहां का मुख्य प्रसाद है मिश्री और सूखा नारियल. इसके अलावा यहां बकरे की बलि की भी प्रथा है.
कहां है मां उग्रतारा नगर भगवती का मंदिर
भगवती मंदिर चंदवा-चतरा मार्ग स्थित नगर गांव में अवस्थित है. नगर पहाड़ी की तलहटी में प्रकृति कि गोद में स्थित इस मंदिर में वैसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, परंतु नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.