ETV Bharat / state

फौलादी हौसलों के सहारे बंजर जमीन को बना दिया उपजाऊ, समाज के लिए प्रेरणा बने लातेहार के गुंजर उरांव - latehar news

लातेहार के मुखिया गुंजर उरांव समाज के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. बंजर भूमि में फलदार और इमारती वृक्ष लगाकर उन्होंने मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प की एक मिसाल पेश की है. इस दौड़-भाग वाली जिंदगी में जहां खेती का पेशा पीछे छुटता जा रहा है वहीं, इनकी पहली प्राथमिकता खेती ही है. इससे न सिर्फ वे खुद लाभ पा रहे हैं लेकिन वातावरण की बेहतरी में भी अपना अहम योगदान दे रहे हैं.

Cultivation in barren land
मुखिया गुंजर उरांव
author img

By

Published : Apr 25, 2021, 12:24 PM IST

Updated : Apr 25, 2021, 5:23 PM IST

लातेहार: समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपने कार्य से अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं. ऐसे ही लोगों में से एक लातेहार सदर प्रखंड के परसही पंचायत के मुखिया गुंजर उरांव भी हैं. इन्होंने अपने बंजर भूमि में फलदार और इमारती वृक्ष लगाकर समाज में एक मिसाल तो पेश किया ही है, साथ ही साथ बुढ़ापे में आर्थिक चिंता की समस्या से भी मुक्त हो गए हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-राजधानी के किसान मिश्रित खेती कर कमा रहे लाखों, खेत में आम और तरबूज की लहलहा रही फसल

दरअसल, मुखिया गुंजर उरांव एक साधारण परिवार से आते हैं. मुखिया होने के बावजूद इनकी प्राथमिकता खेती ही है. इनके पूर्वजों के पास जो जमीन थी वह उपजाऊ नहीं थी. ऐसे में जमीन होने के बावजूद खेती में उसका उपयोग नहीं हो पाता था. गुंजर उरांव ने इस जमीन का उपयोग करने की योजना बनाई. इसके तहत उन्होंने कुछ विशेषज्ञों से सलाह ली और अपनी बंजर भूमि पर फलदार और इमारती पौधे लगाए. 5 साल के कठिन परिश्रम से उन्होंने अपनी बंजर भूमि पर लगभग एक सौ आम के पेड़, 55 अमरूद के पेड़ के अलावा अन्य प्रकार के पेड़ लगा लिए. आम और अमरुद अब फल भी देने लगे हैं, जिससे उन्हें काफी अच्छी आमदनी होने लगी है.

Cultivation in barren land
आम का पेड़

आम और अमरुद से ही कमा लेते हैं ढाई लाख रुपए

मुखिया जी ने बताया कि वर्तमान में वे आम और अमरुद के फल से ही लगभग ढाई लाख रुपए प्रत्येक वर्ष आसानी से कमा लेते हैं. पेड़ जैसे-जैसे और बड़े होंगे आमदनी और अधिक होने लगेगी.

बुढ़ापे की चिंता से हुए मुक्त

मुखिया जी ने कहा कि फलदार और इमारती पेड़ लगाकर वे बुढ़ापे की आर्थिक चिंता से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरकारी कर्मियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलता है और उन्हें आर्थिक समस्या नहीं रहती. ठीक उसी प्रकार फलदार और इमारती पेड़ लगाए जाने के बाद उन्हें भी बुढ़ापे में आर्थिक समस्या नहीं होगी.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग में जरबेरा के फूलों से खिल रही महिलाओं की जिंदगी, खेती से खोल रही हैं तरक्की का रास्ता

बेहतर किसान के साथ बेहतर मुखिया भी साबित हुए गुंजर

मुखिया गुंजर उरांव बेहतर किसान के साथ-साथ बेहतर मुखिया भी साबित हो रहे हैं. बागवानी के साथ-साथ मुखिया के कार्य और दायित्व का भी वे पूरी तरह निर्वहन करते हैं. पंचायत का विकास कैसे हो इसको लेकर वे अक्सर अपनी पत्नी के साथ बैठकर योजना बनाते रहते हैं.

Cultivation in barren land
मुखिया गुंजर उरांव

पत्नी भी देती है बागवानी में सहयोग

मुखिया जी की पत्नी जो खुद एक पारा शिक्षक हैं, वह भी समय निकाल कर बागवानी में पूरा सहयोग करती हैं. उन्होंने कहा कि आज उनकी बागवानी को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. वे लोगों को यही समझाते हैं कि अपनी जमीन पर इसी प्रकार पेड़ लगाएं ताकि आमदनी के लिए किसी का मोहताज न रहना पड़े.

अधिकारी भी करते हैं तारीफ

मुखिया जी के इस कार्य की तारीफ जिले के अधिकारी भी करते हैं. डीडीसी सुरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि मुखिया जी का कार्य वाकई प्रेरणा स्रोत है. उनका कार्य लोगों को यह संदेश देने के लिए काफी है कि कृषि कार्य से भी अच्छी आमदनी हो सकती है. वृक्षारोपण कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने गुंजर उरांव जहां एक और आर्थिक समस्या से निदान पा रहे हैं. वहीं पर्यावरण को भी संरक्षित कर रहे हैं.

लातेहार: समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपने कार्य से अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं. ऐसे ही लोगों में से एक लातेहार सदर प्रखंड के परसही पंचायत के मुखिया गुंजर उरांव भी हैं. इन्होंने अपने बंजर भूमि में फलदार और इमारती वृक्ष लगाकर समाज में एक मिसाल तो पेश किया ही है, साथ ही साथ बुढ़ापे में आर्थिक चिंता की समस्या से भी मुक्त हो गए हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-राजधानी के किसान मिश्रित खेती कर कमा रहे लाखों, खेत में आम और तरबूज की लहलहा रही फसल

दरअसल, मुखिया गुंजर उरांव एक साधारण परिवार से आते हैं. मुखिया होने के बावजूद इनकी प्राथमिकता खेती ही है. इनके पूर्वजों के पास जो जमीन थी वह उपजाऊ नहीं थी. ऐसे में जमीन होने के बावजूद खेती में उसका उपयोग नहीं हो पाता था. गुंजर उरांव ने इस जमीन का उपयोग करने की योजना बनाई. इसके तहत उन्होंने कुछ विशेषज्ञों से सलाह ली और अपनी बंजर भूमि पर फलदार और इमारती पौधे लगाए. 5 साल के कठिन परिश्रम से उन्होंने अपनी बंजर भूमि पर लगभग एक सौ आम के पेड़, 55 अमरूद के पेड़ के अलावा अन्य प्रकार के पेड़ लगा लिए. आम और अमरुद अब फल भी देने लगे हैं, जिससे उन्हें काफी अच्छी आमदनी होने लगी है.

Cultivation in barren land
आम का पेड़

आम और अमरुद से ही कमा लेते हैं ढाई लाख रुपए

मुखिया जी ने बताया कि वर्तमान में वे आम और अमरुद के फल से ही लगभग ढाई लाख रुपए प्रत्येक वर्ष आसानी से कमा लेते हैं. पेड़ जैसे-जैसे और बड़े होंगे आमदनी और अधिक होने लगेगी.

बुढ़ापे की चिंता से हुए मुक्त

मुखिया जी ने कहा कि फलदार और इमारती पेड़ लगाकर वे बुढ़ापे की आर्थिक चिंता से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरकारी कर्मियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलता है और उन्हें आर्थिक समस्या नहीं रहती. ठीक उसी प्रकार फलदार और इमारती पेड़ लगाए जाने के बाद उन्हें भी बुढ़ापे में आर्थिक समस्या नहीं होगी.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग में जरबेरा के फूलों से खिल रही महिलाओं की जिंदगी, खेती से खोल रही हैं तरक्की का रास्ता

बेहतर किसान के साथ बेहतर मुखिया भी साबित हुए गुंजर

मुखिया गुंजर उरांव बेहतर किसान के साथ-साथ बेहतर मुखिया भी साबित हो रहे हैं. बागवानी के साथ-साथ मुखिया के कार्य और दायित्व का भी वे पूरी तरह निर्वहन करते हैं. पंचायत का विकास कैसे हो इसको लेकर वे अक्सर अपनी पत्नी के साथ बैठकर योजना बनाते रहते हैं.

Cultivation in barren land
मुखिया गुंजर उरांव

पत्नी भी देती है बागवानी में सहयोग

मुखिया जी की पत्नी जो खुद एक पारा शिक्षक हैं, वह भी समय निकाल कर बागवानी में पूरा सहयोग करती हैं. उन्होंने कहा कि आज उनकी बागवानी को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. वे लोगों को यही समझाते हैं कि अपनी जमीन पर इसी प्रकार पेड़ लगाएं ताकि आमदनी के लिए किसी का मोहताज न रहना पड़े.

अधिकारी भी करते हैं तारीफ

मुखिया जी के इस कार्य की तारीफ जिले के अधिकारी भी करते हैं. डीडीसी सुरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि मुखिया जी का कार्य वाकई प्रेरणा स्रोत है. उनका कार्य लोगों को यह संदेश देने के लिए काफी है कि कृषि कार्य से भी अच्छी आमदनी हो सकती है. वृक्षारोपण कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने गुंजर उरांव जहां एक और आर्थिक समस्या से निदान पा रहे हैं. वहीं पर्यावरण को भी संरक्षित कर रहे हैं.

Last Updated : Apr 25, 2021, 5:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.