लातेहारः जिले के किसान पारंपरिक खेती पर ही निर्भर है, लेकिन सिंचाई के अभाव में यहां के अधिकांश खेत खाली रह जाते हैं. बारिश के अभाव में किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए किसानों ने इस बार सरसों की खेती शुरू की है. उम्मीद जताई जा रही है कि खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई सरसों की खेती से होगी.
दरअसल, लातेहार जिला रेन शैडो एरिया के रूप में चिन्हित है. ऐसे में बारिश की कमी यहां हर साल की समस्या है. यहां के 9% जमीन ही सिंचित हैं. ऐसे में किसानों को हर बार खेती में नुकसान का सामना करना पड़ता है. इस नुकसान से बचने के लिए किसानों ने सरसो की खेती की ओर अपना रुख कर लिया है. सरसों की खेती में पानी की काफी कम जरूरत होती है. इसकी खेती ऊंचे जमीनों पर भी आसानी से की जा सकती है. लातेहार जिले में इस वर्ष लगभग 17,000 हेक्टेयर जमीन पर सरसों की खेती किसान कर रहे हैं. जिसे लेकर किसान नीरज यादव ने बताया कि सरसों की खेती में पानी की कम जरूरत होती है. ऐसे में वो लोग सरसों की खेती की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.
जिला कृषि विभाग ने भी किसानों को इस प्रकार की वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित और जागरूक करना आरंभ किया है. जिला कृषि पदाधिकारी अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि लातेहार जैसे जिले में सरसों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी. क्योंकि इस की खेती में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं है. वही फायदा भी काफी अधिक है. सरसों की खेती कर किसान अपने भविष्य को निखारने का प्रयास कर रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि सरकार इस प्रकार की वैकल्पिक खेती को बढ़ावा दे ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके.