ETV Bharat / state

लातेहार में बड़े पैमाने पर किसान कर रहे हैं सरसों की खेती, खरीफ फसल के नुकसान की होती है भरपाई - लातेहार में बारिश की कमी

लातेहार जिले में बारिश के अभाव के कारण किसानों को खेती करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिसके लिए अब इन्होंने इस परिस्थिति से बचने के लिए सरसों की खेती शुरू कर दी है. किसानों का कहना है कि कम बारिश होने से हमेशा फसलों को नुकसना होता है. इसी वजह से हम सरसों की खेती कर रहे हैं क्योंकि इसमें कम पानी की जरूरत होती है.

Mustard cultivation
सरसों की खेती
author img

By

Published : Dec 25, 2019, 1:42 PM IST

लातेहारः जिले के किसान पारंपरिक खेती पर ही निर्भर है, लेकिन सिंचाई के अभाव में यहां के अधिकांश खेत खाली रह जाते हैं. बारिश के अभाव में किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए किसानों ने इस बार सरसों की खेती शुरू की है. उम्मीद जताई जा रही है कि खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई सरसों की खेती से होगी.

देखें पूरी खबर


दरअसल, लातेहार जिला रेन शैडो एरिया के रूप में चिन्हित है. ऐसे में बारिश की कमी यहां हर साल की समस्या है. यहां के 9% जमीन ही सिंचित हैं. ऐसे में किसानों को हर बार खेती में नुकसान का सामना करना पड़ता है. इस नुकसान से बचने के लिए किसानों ने सरसो की खेती की ओर अपना रुख कर लिया है. सरसों की खेती में पानी की काफी कम जरूरत होती है. इसकी खेती ऊंचे जमीनों पर भी आसानी से की जा सकती है. लातेहार जिले में इस वर्ष लगभग 17,000 हेक्टेयर जमीन पर सरसों की खेती किसान कर रहे हैं. जिसे लेकर किसान नीरज यादव ने बताया कि सरसों की खेती में पानी की कम जरूरत होती है. ऐसे में वो लोग सरसों की खेती की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.


जिला कृषि विभाग ने भी किसानों को इस प्रकार की वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित और जागरूक करना आरंभ किया है. जिला कृषि पदाधिकारी अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि लातेहार जैसे जिले में सरसों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी. क्योंकि इस की खेती में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं है. वही फायदा भी काफी अधिक है. सरसों की खेती कर किसान अपने भविष्य को निखारने का प्रयास कर रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि सरकार इस प्रकार की वैकल्पिक खेती को बढ़ावा दे ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके.

लातेहारः जिले के किसान पारंपरिक खेती पर ही निर्भर है, लेकिन सिंचाई के अभाव में यहां के अधिकांश खेत खाली रह जाते हैं. बारिश के अभाव में किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए किसानों ने इस बार सरसों की खेती शुरू की है. उम्मीद जताई जा रही है कि खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई सरसों की खेती से होगी.

देखें पूरी खबर


दरअसल, लातेहार जिला रेन शैडो एरिया के रूप में चिन्हित है. ऐसे में बारिश की कमी यहां हर साल की समस्या है. यहां के 9% जमीन ही सिंचित हैं. ऐसे में किसानों को हर बार खेती में नुकसान का सामना करना पड़ता है. इस नुकसान से बचने के लिए किसानों ने सरसो की खेती की ओर अपना रुख कर लिया है. सरसों की खेती में पानी की काफी कम जरूरत होती है. इसकी खेती ऊंचे जमीनों पर भी आसानी से की जा सकती है. लातेहार जिले में इस वर्ष लगभग 17,000 हेक्टेयर जमीन पर सरसों की खेती किसान कर रहे हैं. जिसे लेकर किसान नीरज यादव ने बताया कि सरसों की खेती में पानी की कम जरूरत होती है. ऐसे में वो लोग सरसों की खेती की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.


जिला कृषि विभाग ने भी किसानों को इस प्रकार की वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित और जागरूक करना आरंभ किया है. जिला कृषि पदाधिकारी अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि लातेहार जैसे जिले में सरसों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी. क्योंकि इस की खेती में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं है. वही फायदा भी काफी अधिक है. सरसों की खेती कर किसान अपने भविष्य को निखारने का प्रयास कर रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि सरकार इस प्रकार की वैकल्पिक खेती को बढ़ावा दे ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके.

Intro:
लातेहार में बड़े पैमाने पर किसान कर रहे हैं सरसों की खेती, खरीफ फसल में नुकसान की होगी भरपाई

लातेहार. लातेहार जिले के किसान पारंपरिक खेती पर ही निर्भर है. परंतु सिंचाई के अभाव में यहां के अधिकांश खेत खाली रह जाते हैं. बारिश के अभाव में किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए किसानों ने इस बार सरसों की खेती आरंभ की है. उम्मीद जताई जा रही है कि खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई सरसों की खेती से होगी.



Body:दरअसल लातेहार जिला रेन शैडो एरिया के रूप में चिन्हित है. ऐसे में बारिश की कमी यहां हर साल की समस्या है. यहां के 9% जमीन ही सिंचित हैं. ऐसे में किसानों को हर बार खेती में नुकसान का सामना करना पड़ता है. इस नुकसान से बचने के लिए किसानों ने सरसों की खेती की ओर अपना रुख कर लिया है. सरसों की खेती में पानी की काफी कम जरूरत होती है. यह खेती ऊंचे जमीनों में भी आसानी से किया जा सकता है. लातेहार जिले में इस वर्ष लगभग 17000 हेक्टेयर भूमि में सरसों की खेती किसान कर रहे हैं. इस संबंध में किसान नीरज यादव ने बताया कि सरसों की खेती में पानी की कम जरूरत होती है. ऐसे में वे लोग सरसों की खेती की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.
जिला कृषि विभाग में भी किसानों को इस प्रकार की वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित और जागरूक करना आरंभ किया है. जिला कृषि पदाधिकारी अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि लातेहार जैसे जिले में सरसों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगा. क्योंकि इस खेती में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं है. वही फायदा भी काफी अधिक है.
vo-jh_lat_01_mustard_farming_visual_byte_jh10010

byte- स्थानीय किसान नीरज यादव
byte- जिला कृषि पदाधिकारी अंजनी कुमार मिश्र


Conclusion:सरसों की खेती कर किसान अपने भविष्य को निखारने का प्रयास कर रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि सरकार इस प्रकार की वैकल्पिक खेती को बढ़ावा दे ताकि किसानों की आय दुगनी हो सके.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.