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Netarhat News: चांद में दाग के समान है नेतरहाट का लेबर कॉलोनी, जिन्होंने नेतरहाट को संवारा, उनकी पीढ़ी आज भी हैं बदहाल - नेतरहाट के लेबर कॉलोनी की कहानी

चांद में दाग की कहावत तो अक्सर लोग सुनते हैं. परंतु इस कहावत को यथार्थ में देखना हो तो नेतरहाट के बीचो-बीच स्थित लेबर कॉलोनी इसका एक उदाहरण है. लेबर कॉलोनी नेतरहाट की खूबसूरती के लिए चांद में दाग के समान ही है. दूसरे शब्दों में कहे तो नेतरहाट के लेबर कॉलोनी के हालात विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले जिम्मेवार लोगों के लिए भी एक दाग है.

Lack of basic facilities in labor colony of Netarhat
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Published : Mar 11, 2023, 7:42 AM IST

Updated : Mar 11, 2023, 8:03 AM IST

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लातेहार: नेतरहाट की पहचान आमतौर पर इसकी खूबसूरत वादियां और यहां की मनमोहक सूर्यास्त-सूर्योदय के दृश्य के लिए है. यहां आने वाले पर्यटकों के मन में यह भावना खुद ब खुद आ जाती है कि नेतरहाट में रहने वाले लोगों का जीवन काफी सुखमय होगा. परंतु नेतरहाट के बीचो बीच स्थित लेबर कॉलोनी में रहने वाले लोगों की स्थिति को देखकर पर्यटकों के मन में उभरी धारणा क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं. लेबर कॉलोनी में का हाल काफी बेहाल है. इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों को सरकारी सुविधा से पूरी तरह वंचित कर दिया गया है. सड़क, आवास, पानी जैसी सुविधाएं भी इस कॉलोनी के लोगों को नहीं मिल पा रही है.

ये भी पढ़ें- वैलेंटाइन स्पेशलः नेतरहाट की वादियों में गूंजती है अंग्रेज गवर्नर की बेटी मैगनोलिया और चरवाहे की अमर प्रेम कहानी

नेतरहाट स्कूल और डैम निर्माण के लिए लाए गए थे मजदूर: यहां रहने वाले लोगों के पूर्वज कुशल मजदूर थे. 50 के दशक में जब नेतरहाट की वादियों में सरकार ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय निर्माण की परिकल्पना की तो इस परिकल्पना को साकार करने के लिए सरकार को कुशल मजदूरों की जरूरत पड़ी. उस काल में नेतरहाट तक जाने के लिए काफी विकट रास्ते से गुजरना पड़ता था. जिस कारण मजदूर वहां आकर काम करने के लिए तैयार नहीं होते थे. ऐसे में सरकार ने नेतरहाट के बीचो बीच में ही मजदूरों के लिए एक कॉलोनी का निर्माण करवा दिया. जहां मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ रहने लगे. शुरुआती दौर में तो इस कॉलोनी में मजदूरों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई. जिससे मजदूर पूरे तन मन से काम कर नेतरहाट विद्यालय और नेतरहाट डैम का निर्माण कार्य में योगदान दिया.

काम खत्म और सुविधा भी खत्म: विद्यालय और डैम बनने के बाद जब मजदूरों की जरूरत खत्म हो गई तो सरकारी तंत्र ने अपना असली चेहरा दिखाना आरंभ कर दिया. मजदूरों का काम जब खत्म हो गया तो सरकारी स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं से भी उन्हें वंचित कर दिया गया. नेतरहाट को पहचान दिलाने वाले मजदूर अपना घर बार छोड़कर नेतरहाट में आकर बस गए थे, ऐसे में वापस जाकर फिर से नई जिंदगी की शुरुआत करना उनके लिए मुश्किल हो गया था. मजबूरी में वे लोग इसी कॉलोनी में स्थाई रूप से रहने लगे.

ये भी पढ़ें- नेतरहाट को नई पहचान दे रहा है राजू, आधुनिक तकनीक और व्यावसायिक खेती से किसानों को कराया रूबरू

कॉलोनी में रहने वाले महेंद्र महली ने बताया कि उनके पूर्वज यहां स्कूल निर्माण के दौरान मजदूर के रुप में आए थे. उसी समय यह कॉलोनी बनाकर उनके पूर्वजों को दिया गया था. परंतु भूमि का स्वामित्व नहीं रहने के कारण उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही. वहीं दीपक कुमार ने बताया कि सरकार के द्वारा उन्हें मात्र राशन दिया जाता है. जिसे लेने वे लोग नेतरहाट से 18 किलोमीटर दूर जाते हैं. इसके अलावा ना तो उन्हें आवास की सुविधा दी गई है नहीं कोई अन्य सुविधा मिल रही है. कॉलोनी का निवासी सुधीर नायक ने बताया कि उसके तीन पीढ़ी के लोग यहां रह चुके हैं परंतु भूमि के कागजात नहीं रहने के कारण न तो उनका कोई प्रमाण पत्र बनता है और ना ही कोई सुविधा मिलती है. ऐसे में पढ़ लिख कर भी वे लोग बेरोजगार रह जाते हैं.

दो जिला के बीच में फस गया कॉलोनी का विकास: नेतरहाट स्थित लेबर कॉलोनी का विकास लातेहार और गुमला जिला के बीच उलझ कर रह गया. भौगोलिक स्थिति से यह कॉलोनी नेतरहाट के बीचो बीच स्थित है. परंतु जो सीमांकन किया गया, उसके मुताबिक कॉलोनी गुमला जिले का हिस्सा हो जाता है. नेतरहाट की सारी प्रशासनिक व्यवस्था लातेहार जिले के अंतर्गत आती है. परंतु कॉलोनी का हिस्सा गुमला जिले में पड़ने के कारण लातेहार की ओर से यहां कोई विकास नहीं हो सकती है. कॉलोनी की निवासी ममता देवी बतातीं हैं कि दो जिला के बीच में फंसने के कारण यहां विकास नहीं हो पा रही. उन्हें पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित किया गया है.

ये भी पढ़ें- Incredible Jharkhand: शिमला से लेकर लंदन तक सबकुछ है झारखंड में!

पूर्व डीसी ने आरंभ किया था प्रयास: लातेहार के पूर्व उपायुक्त अबु इमरान ने लेबर कॉलोनी के लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की थी. उपायुक्त की पहल पर यहां के लोगों को पेयजल उपलब्ध हो पाया था. परंतु उनके तबादले के बाद फिर से नेतरहाट के लेबर कॉलोनी के लोगों का जीवन ठहर गया.

नेतरहाट का लेबर कॉलोनी समाज के स्वार्थीपन का भी एक जीता जागता उदाहरण है. यह कॉलोनी लोगों को यह आइना दिखा रहा है कि आपकी जरूरत जब तक समाज को है तब तक आपको सर आंखों पर बिठा कर रखा जाएगा. परंतु जैसे ही आपकी जरूरत खत्म हुई, आपकी तरफ देखने वाला भी कोई नहीं होगा. जरूरत इस बात की है कि सरकार नेतरहाट के बीचो बीच स्थित लेबर कॉलोनी को भी सुविधा युक्त बनाएं. ताकि नेतरहाट घूमने आने वाले पर्यटक अपने मन में नेतरहाट के साथ-साथ सरकार और प्रशासन की भी सकारात्मक छवि को अपने मन में बसा कर रख सकें.

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लातेहार: नेतरहाट की पहचान आमतौर पर इसकी खूबसूरत वादियां और यहां की मनमोहक सूर्यास्त-सूर्योदय के दृश्य के लिए है. यहां आने वाले पर्यटकों के मन में यह भावना खुद ब खुद आ जाती है कि नेतरहाट में रहने वाले लोगों का जीवन काफी सुखमय होगा. परंतु नेतरहाट के बीचो बीच स्थित लेबर कॉलोनी में रहने वाले लोगों की स्थिति को देखकर पर्यटकों के मन में उभरी धारणा क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं. लेबर कॉलोनी में का हाल काफी बेहाल है. इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों को सरकारी सुविधा से पूरी तरह वंचित कर दिया गया है. सड़क, आवास, पानी जैसी सुविधाएं भी इस कॉलोनी के लोगों को नहीं मिल पा रही है.

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नेतरहाट स्कूल और डैम निर्माण के लिए लाए गए थे मजदूर: यहां रहने वाले लोगों के पूर्वज कुशल मजदूर थे. 50 के दशक में जब नेतरहाट की वादियों में सरकार ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय निर्माण की परिकल्पना की तो इस परिकल्पना को साकार करने के लिए सरकार को कुशल मजदूरों की जरूरत पड़ी. उस काल में नेतरहाट तक जाने के लिए काफी विकट रास्ते से गुजरना पड़ता था. जिस कारण मजदूर वहां आकर काम करने के लिए तैयार नहीं होते थे. ऐसे में सरकार ने नेतरहाट के बीचो बीच में ही मजदूरों के लिए एक कॉलोनी का निर्माण करवा दिया. जहां मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ रहने लगे. शुरुआती दौर में तो इस कॉलोनी में मजदूरों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई. जिससे मजदूर पूरे तन मन से काम कर नेतरहाट विद्यालय और नेतरहाट डैम का निर्माण कार्य में योगदान दिया.

काम खत्म और सुविधा भी खत्म: विद्यालय और डैम बनने के बाद जब मजदूरों की जरूरत खत्म हो गई तो सरकारी तंत्र ने अपना असली चेहरा दिखाना आरंभ कर दिया. मजदूरों का काम जब खत्म हो गया तो सरकारी स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं से भी उन्हें वंचित कर दिया गया. नेतरहाट को पहचान दिलाने वाले मजदूर अपना घर बार छोड़कर नेतरहाट में आकर बस गए थे, ऐसे में वापस जाकर फिर से नई जिंदगी की शुरुआत करना उनके लिए मुश्किल हो गया था. मजबूरी में वे लोग इसी कॉलोनी में स्थाई रूप से रहने लगे.

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कॉलोनी में रहने वाले महेंद्र महली ने बताया कि उनके पूर्वज यहां स्कूल निर्माण के दौरान मजदूर के रुप में आए थे. उसी समय यह कॉलोनी बनाकर उनके पूर्वजों को दिया गया था. परंतु भूमि का स्वामित्व नहीं रहने के कारण उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही. वहीं दीपक कुमार ने बताया कि सरकार के द्वारा उन्हें मात्र राशन दिया जाता है. जिसे लेने वे लोग नेतरहाट से 18 किलोमीटर दूर जाते हैं. इसके अलावा ना तो उन्हें आवास की सुविधा दी गई है नहीं कोई अन्य सुविधा मिल रही है. कॉलोनी का निवासी सुधीर नायक ने बताया कि उसके तीन पीढ़ी के लोग यहां रह चुके हैं परंतु भूमि के कागजात नहीं रहने के कारण न तो उनका कोई प्रमाण पत्र बनता है और ना ही कोई सुविधा मिलती है. ऐसे में पढ़ लिख कर भी वे लोग बेरोजगार रह जाते हैं.

दो जिला के बीच में फस गया कॉलोनी का विकास: नेतरहाट स्थित लेबर कॉलोनी का विकास लातेहार और गुमला जिला के बीच उलझ कर रह गया. भौगोलिक स्थिति से यह कॉलोनी नेतरहाट के बीचो बीच स्थित है. परंतु जो सीमांकन किया गया, उसके मुताबिक कॉलोनी गुमला जिले का हिस्सा हो जाता है. नेतरहाट की सारी प्रशासनिक व्यवस्था लातेहार जिले के अंतर्गत आती है. परंतु कॉलोनी का हिस्सा गुमला जिले में पड़ने के कारण लातेहार की ओर से यहां कोई विकास नहीं हो सकती है. कॉलोनी की निवासी ममता देवी बतातीं हैं कि दो जिला के बीच में फंसने के कारण यहां विकास नहीं हो पा रही. उन्हें पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित किया गया है.

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पूर्व डीसी ने आरंभ किया था प्रयास: लातेहार के पूर्व उपायुक्त अबु इमरान ने लेबर कॉलोनी के लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की थी. उपायुक्त की पहल पर यहां के लोगों को पेयजल उपलब्ध हो पाया था. परंतु उनके तबादले के बाद फिर से नेतरहाट के लेबर कॉलोनी के लोगों का जीवन ठहर गया.

नेतरहाट का लेबर कॉलोनी समाज के स्वार्थीपन का भी एक जीता जागता उदाहरण है. यह कॉलोनी लोगों को यह आइना दिखा रहा है कि आपकी जरूरत जब तक समाज को है तब तक आपको सर आंखों पर बिठा कर रखा जाएगा. परंतु जैसे ही आपकी जरूरत खत्म हुई, आपकी तरफ देखने वाला भी कोई नहीं होगा. जरूरत इस बात की है कि सरकार नेतरहाट के बीचो बीच स्थित लेबर कॉलोनी को भी सुविधा युक्त बनाएं. ताकि नेतरहाट घूमने आने वाले पर्यटक अपने मन में नेतरहाट के साथ-साथ सरकार और प्रशासन की भी सकारात्मक छवि को अपने मन में बसा कर रख सकें.

Last Updated : Mar 11, 2023, 8:03 AM IST
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