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धूल की गर्द में राजा मेदनी राय का स्वर्णिम युग, खंडहर बन चुका है उनका किला

लातेहार के नवागढ़ गांव की छोटी पहाड़ी के ऊपर राजा मेदनी राय का किला है. यह किला लगभग 360 साल पुराना है. देखभाल और संरक्षण के अभाव में यह किला आज पूरी तरह जर्जर हो चुका है, लेकिन इसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

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Published : Jan 17, 2021, 7:22 PM IST

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राजा का महल बना खंडहर

लातेहार: ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की योजना भले ही सरकार की प्राथमिक सूची में हो, धरातल पर यह योजना पूरी तरह नहीं उतर पाई है. लातेहार सदर प्रखंड के नवागढ़ गांव में स्थित राजा मेदनी राय का किला है. उनके शासनकाल को पलामू और आसपास के क्षेत्रों के लिए स्वर्णिम युग माना जाता था, राजा का किला आज खंडहर में बदल गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी
लातेहार जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित नवागढ़ गांव की छोटी पहाड़ी पर राजा मेदनी राय का किला बना हुआ है. यह किला लगभग 360 साल पुराना है. देखभाल और संरक्षण के अभाव में यह किला आज पूरी तरह जर्जर हो चुका है. किले की लगभग सभी दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई है, लेकिन इसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

स्वर्णिम युग था राजा मेदनी राय का कार्यकाल
चेरो राजवंशी राजा मेदनी राय का कार्यकाल 1658 से लेकर 1674 तक रहा. अपने 16 वर्ष के कार्यकाल के दौरान राजा मेदनी राय ने अखंड पलामू में कई स्थानों पर अपना किला बनवाया था. इन्हीं में से एक नवागढ़ का किला भी है. राजा अक्सर यहां आकर रुकते थे और यहीं से शासन व्यवस्था भी चलाते थे. कहा जाता है कि राजा रात में वेश बदलकर आम जनता के बीच जाते थे और उनकी समस्याएं सुनते थे. कोई भी किसी कष्ट में होता था तो राजा उसकी समस्या का तत्काल समाधान कर देते थे. बताया जाता है कि राजा अपने प्रत्येक प्रजा को गाय और भैंस पालने की सलाह देते थे. गरीबों को वो मुफ्त में गाय और भैंस देते थे. इसी कारण से उनके कार्यकाल में पूरे इलाके में दूध की नदियां बहती थी. मेदनी राय युवा समिति के अध्यक्ष अवधेश सिंह चेरो ने बताया कि राजा मेदनी राय अपने बेहतर कार्य प्रणाली के कारण पूरे क्षेत्र की जनता के हृदय में बसते थे.


पलामू किला था राजा का गढ़
राजा मेदनी राय का मुख्य किला पलामू किला के नाम से प्रचलित था, लेकिन नवागढ़ किला भी उनका एक महत्वपूर्ण किला था. स्थानीय लोगों का कहना है कि नवागढ़ किला सुरंग के माध्यम से सीधे पलामू किला से जुड़ता है, लेकिन कालांतर में सुरंग का मुंह बंद हो गया है. स्थानीय निवासी हरिओम प्रसाद बताते हैं कि राजा के पूर्वज आज भी उनकी कहानियों को सुन कर उत्साहित हो जाते हैं.


जर्जर हो चुका है किला
राजा मेदनी राय ने अपने कार्यकाल को भले ही स्वर्णिम युग में बदल दिया हो, लेकिन आज उनका किला दुर्दशा की आंसू बहा रहा है. स्थानीय निवासी पंकज तिवारी ने कहा कि इस किला को संरक्षित करना अति आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ी पलामू के इतिहास और राजा मेदनी राय के काल के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सके.

इसे भी पढे़ं: डिजिटल इंडिया का दावा फेलः सरयू प्रखंड में नहीं है मोबाइल नेटवर्क, लोग हो रहे हैं परेशान

समाहरणालय के तौर पर कार्य करता था यह किला
स्थानीय निवासी वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि जिस तरह आज समाहरणालय से सभी सरकारी कार्य होते हैं, उसी प्रकार इस किला से राजा के कार्यकाल में भी सभी सरकारी कार्य होते थे. उन्होंने कहा कि इस किला और यहां की व्यवस्था से आम लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को भी सीख लेने की जरूरत है.

किला को किया जाएगा संरक्षित
वहीं लातेहार के एसडीएम शेखर कुमार ने कहा कि किला को संरक्षित करने की दिशा में जिला प्रशासन सकारात्मक प्रयास कर रही है, जल्द ही इस पर अमल किया जाएगा.

लातेहार: ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की योजना भले ही सरकार की प्राथमिक सूची में हो, धरातल पर यह योजना पूरी तरह नहीं उतर पाई है. लातेहार सदर प्रखंड के नवागढ़ गांव में स्थित राजा मेदनी राय का किला है. उनके शासनकाल को पलामू और आसपास के क्षेत्रों के लिए स्वर्णिम युग माना जाता था, राजा का किला आज खंडहर में बदल गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी
लातेहार जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित नवागढ़ गांव की छोटी पहाड़ी पर राजा मेदनी राय का किला बना हुआ है. यह किला लगभग 360 साल पुराना है. देखभाल और संरक्षण के अभाव में यह किला आज पूरी तरह जर्जर हो चुका है. किले की लगभग सभी दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई है, लेकिन इसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

स्वर्णिम युग था राजा मेदनी राय का कार्यकाल
चेरो राजवंशी राजा मेदनी राय का कार्यकाल 1658 से लेकर 1674 तक रहा. अपने 16 वर्ष के कार्यकाल के दौरान राजा मेदनी राय ने अखंड पलामू में कई स्थानों पर अपना किला बनवाया था. इन्हीं में से एक नवागढ़ का किला भी है. राजा अक्सर यहां आकर रुकते थे और यहीं से शासन व्यवस्था भी चलाते थे. कहा जाता है कि राजा रात में वेश बदलकर आम जनता के बीच जाते थे और उनकी समस्याएं सुनते थे. कोई भी किसी कष्ट में होता था तो राजा उसकी समस्या का तत्काल समाधान कर देते थे. बताया जाता है कि राजा अपने प्रत्येक प्रजा को गाय और भैंस पालने की सलाह देते थे. गरीबों को वो मुफ्त में गाय और भैंस देते थे. इसी कारण से उनके कार्यकाल में पूरे इलाके में दूध की नदियां बहती थी. मेदनी राय युवा समिति के अध्यक्ष अवधेश सिंह चेरो ने बताया कि राजा मेदनी राय अपने बेहतर कार्य प्रणाली के कारण पूरे क्षेत्र की जनता के हृदय में बसते थे.


पलामू किला था राजा का गढ़
राजा मेदनी राय का मुख्य किला पलामू किला के नाम से प्रचलित था, लेकिन नवागढ़ किला भी उनका एक महत्वपूर्ण किला था. स्थानीय लोगों का कहना है कि नवागढ़ किला सुरंग के माध्यम से सीधे पलामू किला से जुड़ता है, लेकिन कालांतर में सुरंग का मुंह बंद हो गया है. स्थानीय निवासी हरिओम प्रसाद बताते हैं कि राजा के पूर्वज आज भी उनकी कहानियों को सुन कर उत्साहित हो जाते हैं.


जर्जर हो चुका है किला
राजा मेदनी राय ने अपने कार्यकाल को भले ही स्वर्णिम युग में बदल दिया हो, लेकिन आज उनका किला दुर्दशा की आंसू बहा रहा है. स्थानीय निवासी पंकज तिवारी ने कहा कि इस किला को संरक्षित करना अति आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ी पलामू के इतिहास और राजा मेदनी राय के काल के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सके.

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समाहरणालय के तौर पर कार्य करता था यह किला
स्थानीय निवासी वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि जिस तरह आज समाहरणालय से सभी सरकारी कार्य होते हैं, उसी प्रकार इस किला से राजा के कार्यकाल में भी सभी सरकारी कार्य होते थे. उन्होंने कहा कि इस किला और यहां की व्यवस्था से आम लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को भी सीख लेने की जरूरत है.

किला को किया जाएगा संरक्षित
वहीं लातेहार के एसडीएम शेखर कुमार ने कहा कि किला को संरक्षित करने की दिशा में जिला प्रशासन सकारात्मक प्रयास कर रही है, जल्द ही इस पर अमल किया जाएगा.

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